Vidhansabha Elections: दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन सिर्फ टूटा हुआ दिखाई नहीं दे रहा है. ब्लॉस्ट कर खत्म हुआ जान पड़ रहा है. क्या वो जमाना चला गया जब आरजेडी के सामने कांग्रेस रेंगती थी और अब आंख दिखाया जा रहा है. तो दूसरी तरफ जेएमएम के तेवर कांग्रेस के लिए साइलेंस किलर की तरह लग रही है. कांग्रेस के साथ एक मोहल्ले में दोस्ती तो दूसरे मोहल्ले में दुश्मनी वाली सियासत आरजेडी और जेएमएम क्यों कर रही है. आगे विस्तार से पढ़िए
कांग्रेस ने तेजस्वी को किया मजबूर ?
दिल्ली में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. आरजेडी 25 साल बाद इस बार दिल्ली चुनाव में उम्मीदवार नहीं उतारने जा रही है. आरजेडी ने दिल्ली चुनाव में पहली बार 1998 में उतरी थी. तब से आरजेडी हर चुनाव में अपना उम्मीदवार उतारती रही है. लेकिन ये पहला मौका है, जब आरजेडी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपना उम्मीदवार नहीं दिया है. तेजस्वी यादव ने ऐसा दांव क्यों खेला ?, क्या तेजस्वी यादव को कांग्रेस ने ऐसा करने के लिए मजूबर किया है. तेजस्वी यादव की ये नीति साफ तौर पर रही है कि बिहार के अलावा वो अन्य राज्य में गठबंधन के तहत की चुनाव लड़ते हैं, अकेले चुनाव नहीं लड़ते हैं. जैसे हमने बंगाल, यूपी चुनाव में देखा. क्या अंदरूनी तौर पर दिल्ली में कांग्रेस ने इस बार आरजेडी को सीट ही नहीं दिया. इसलिए आरजेडी चुनाव नहीं लड़ रही है. पिछड़ी बार कांग्रेस ने आरजेडी के लिए 4 विधानसभा सीट छोड़ी थी. बुराड़ी, किराड़ी, उत्तम नगर और पालम विधानसभा सीट पर आरजेडी ने चुनाव लड़ा था.
दिल्ली चुनाव पर तेजस्वी का स्टैंड क्या ?
बिहार में तेजस्वी यादव का पुराना गठबंधन कांग्रेस के साथ है. तो दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के साथ उनके रिश्ते अच्छे हैं. दिल्ली में 70 विधानसभा सीट है. जिसमें माना जाता है कि करीब 15 सीटों पर बिहारी वोटर्स हार और जीत तय करते हैं. ऐसे में तेजस्वी यादव की पार्टी भले ही चुनाव न लड़े. लेकिन प्रचारक के तौर पर अपने साथी के लिए अच्छा काम तेजस्वी यादव आ सकते हैं. कम से कम लालू यादव या तेजस्वी यादव का वीडियो संदेश भी खेल कर सकता है. पर सवाल ये है कि दिल्ली में तेजस्वी यादव का दोस्त कौन है ?, कांग्रेस या आप. तेजस्वी यादव ने अपने जवाब में कहा था कि दिल्ली में दिल्ली वाले जाने, यहां तो समझौता है. तेजस्वी यादव का ये जवाब कन्फ्यूजन भरा है. इस कन्फ्यूजन का फायदा और नुकसान किसे होगा ?. असल में इसका सटिक जवाब ये है कि तेजस्वी यादव का मैसेज अंदर करेंट दिल्ली चुनाव को लेकर रहता क्या है.
तेजस्वी के राह पर हेमंत सोरेन
हेमंत सोरेन भी दिल्ली चुनाव को लेकर तेजस्वी यादव की राह पर ही चलते दिख रहे हैं. कहने को ये अभी तय नहीं किया गया है कि जेएमएम दिल्ली चुनाव में किसे सपोर्ट करेगी, कांग्रेस या आप को. पर सूत्रों की मानें तो जेएमएम साइलेंट ही रहेगी. खुलकर किसी पार्टी या गठबंधन को सपोर्ट नहीं करेगी. क्योंकि झारखंड में एक तरफ जेएमएम के साथ कांग्रेस का गठबंधन है. तो दूसरी तरफ अरविंद केजरीवाल के साथ हेमंत सोरेन का रिश्ता भी काफी मजूबती वाला है. हेमंत सोरेन जब जेल में थे. तब आप पार्टी ने इस बुरे वक्त में जेएमएम का साथ दिया था. ऐसे में कहा जा रहा है कि हेमंत सोरेन का मैसेज भी अंदर करेंट रहेगा. सूत्रों की मानें तो हेमंत सोरेन का अंदर करेंट मैसेज अरविंद केजरीवाल के लिए हो सकता है.
तेजस्वी-हेमंत की चुप्पी का फायदा किसे होगा ?
दिल्ली विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव और हेमंत सोरेन सच में चुप रह गए ना तो फायदा कांग्रेस को हो सकता है. लेकिन अगर तेजस्वी यादव और हेमंत सोरेन का मैसेज अंदर करेंट अरविंद केजरीवाल के लिए रहा, तो ‘आप’ को वोनस वोट मिलना तय है.
देवांशु प्रभात की रिपोर्ट