Jharkhand News: पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो और उनकी पत्नी आभा महतो ने मंगलवार को अचानक झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की। इस मुलाकात ने झारखंड की राजनीति में हलचल मचा दी है। दोनों नेताओं की भाजपा से नाराजगी और झामुमो के शीर्ष नेतृत्व से मिलना उनके झामुमो में वापसी के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
झामुमो में वापसी की संभावना
शैलेंद्र महतो, जो झामुमो के केंद्रीय महासचिव रह चुके हैं, वर्तमान में भाजपा में हैं। उनकी पत्नी आभा महतो ने भी विधानसभा चुनाव में बहरागोड़ा से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की दावेदारी की थी, लेकिन टिकट न मिलने के कारण वे नाराज थीं। करीबी सूत्रों के अनुसार, दोनों की झामुमो में वापसी लगभग तय मानी जा रही है। यह भाजपा के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है, खासकर कुड़मी समुदाय में उनकी गहरी पैठ को देखते हुए।
झारखंड की राजनीति पर संभावित प्रभाव
यदि शैलेंद्र और आभा महतो झामुमो में वापसी करते हैं, तो यह झारखंड की राजनीति में एक बड़ा बदलाव ला सकता है। यह भाजपा के लिए एक चुनौतीपूर्ण स्थिति होगी और झामुमो की ताकत बढ़ा सकती है। कुड़मी समाज में इन नेताओं की मजबूत पकड़ झामुमो के लिए लाभकारी हो सकती है।
अन्य नेताओं की वापसी का प्रभाव
हाल ही में झामुमो में भाजपा के कई नेताओं की वापसी हुई है, जैसे पूर्व विधायक लुईस मरांडी, घाटशिला के लक्ष्मण टुडू और कुणाल षाड़ंगी। इन वापसीयों ने झामुमो की स्थिति को और मजबूत किया है। यदि शैलेंद्र और आभा महतो भी झामुमो में लौटते हैं, तो यह पार्टी के लिए एक बड़ा फायदा हो सकता है।
कांग्रेस नेतृत्व की झारखंड यात्रा
इस बीच, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव गुलाम अहमद मीर और सचिव डॉ. सिरिबेला प्रसाद भी झारखंड के दौरे पर हैं। उनकी यात्रा का उद्देश्य कांग्रेस के संगठन को मजबूत करना और राज्य में पार्टी की स्थिति को सुधारना है।
झारखंड की राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव
शैलेंद्र और आभा महतो की झामुमो में वापसी झारखंड की राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में यह घटनाक्रम किस दिशा में बढ़ता है और राज्य की राजनीतिक स्थिति पर क्या प्रभाव डालता है।