PATNA : झारखंड में मंत्री बनते-बनते रहे गए आरजेडी के देवघर विधायक सुरेश पासवान...लालू यादव ने आखिरी टाइम में फैसला लिया और गोड्डा वाले संजय यादव आरजेडी कोटे से मंत्री बन गए...संजय यादव तीसरी बार गोड्डा से आरजेडी के टिकट पर विधायक बने हैं...पहली बार उन्होंने साल 2000 में विधानसभा का चुनाव लड़ा था और जीता था. आरजेडी का टिकट उन्हें कैसे मिला. इसके पीछे दिलचस्प कहानी है. दरअसल संजय यादव लालू यादव के साथ अपने छात्र जीवन में ही जुड़ गए. बात 1990 की हो रही है. इस बीच एक मर्डर केस में संजय यादव को 4 साल जेल में रहना पड़ा. 1996 में लालू यादव ने पटना के गांधी मैदान में गरीब रैला का आयोजन किया था. इस आयोजन से पहले लालू यादव तत्कालीन बिहार के जिलों में जाकर जनसभा करते थे और लोगों को गरीब रैला में आने का न्यौता देते थे. इसी दौरान जब उनकी जनसभा बेलहर विधासभा क्षेत्र में हो रही है और लालू यादव की नजर पहली बार संजय यादव पर जाती है. संजय यादव तब बिलकुल नए नवैले युवा नेता थे.
मंच से लालू यादव कहने लगे वो लड़का कौन हैं...जो इतनी भीड़ अपने साथ लाया है. उसे बुलाकर मंच पर लाओ...फिर क्या था. जैसे ही संजय यादव मंच पर लालू यादव के पास गए तो उनका हाथ-पैर थरथर कर रहा था. आगे लालू यादव ने कहा भाषण दो...फिर संजय यादव डरते-डरते दो लाइन ही बोल सके. जब लालू यादव ने 5 जुलाई 1997 को आरजेडी बनाई...तब संजय यादव बांका जिले के महासचिव बनाए गए. इसी दौरान भागलपुर में उन पर गोली चलाई गई. जिसमें वो बाल-बाल बच गए.
जब साल 2000 का विधानसभा चुनाव आया...उससे पहले लालू यादव ने संजय यादव को कह दिया था कि तुम पोड़ैयाहाट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी करो. पर यहीं पर संजय यादव के साथ खेल हो गया...रंजन यादव ने बिना लालू यादव से पूछे पोड़ैयाहाट सीट का टिकट मनीभूषण यादव को दे दिया. फिर क्या था लालू यादव ने अपनी सबसे बड़ी सियासी चाल चली. कांग्रेस वाली गोड्डा विधानसभा सीट पर संजय यादव को लड़ाया गया. जैसे ही लालू यादव ने पीला वाला लिफाफा दिया...संजय यादव गोड्डा पहुंच जाते हैं...और मात्र 18 दिन के प्रचार करने के बाद गोड्डा विधानसभा सीट पर आरजेडी का झंडा लहरा देते हैं. संजय यादव ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा भी था कि गोड्डा चौक पर जब पहली बार आरजेडी का टिकट लेकर पहुंचे. तो कई आरजेडी के लोग नाराज थे. उनका मानना था कि बाहरी लोग को क्यों टिकट दिया गया. पर मैंने सबको प्यार से मना लिया और प्रचार के दौरान दिन-रात एक कर दिया. उस टाइम हम सिर्फ दही और पेड़ा खाते थे.
संजय यादव की कहानी अब थोड़ा फास्ट फॉर्वड करते हैं. साल 2005 में संजय यादव गोड्डा विधानसभा सीट से चुनाव हार जाते हैं. लेकिन 2009 में जब चुनाव होते हैं तो संजय यादव गोड्डा सीट से जीत जाते हैं. फिर 2014 और 2019 में फिर गोड्डा से हार मिलती है. अब 2024 में गोड्डा से संजय यादव 9122 वोटों के अंतर से जीत जाते हैं. संजय यादव की छवि दबंग विधायक के तौर पर शुरू से रही है. मई 2011 में संजय यादव भरी मीटिंग में गोड्डा जिले के डिप्टी डेवलपमेंट कमीश्नर दिलीप कुमार झा को मुक्के से मारा था.
गौरतलब है कि संजय यादव का जन्म बिहार के बांका जिले के ढाका गांव में हुआ था. संजय यादव के पिता चंद्रशेखर यादव पंचायत सेवक थे. उनके चार बेटों में संजय यादव दूसरे नंबर पर हैं. संजय यादव के बड़े भाई दिलीप यादव पिछले बीस वर्षों से बिहार में मुखिया हैं, जबकि छोटे भाई मनोज यादव फिलहाल जेडीयू से बेलहर से विधायक हैं, इससे पहले वे दो बार एमएलसी भी रह चुके हैं, जबकि दूसरे छोटे भाई वकील यादव पेशे से शिक्षक हैं. संजय यादव की पत्नी गोड्डा के जिला परिषद की अध्यक्ष रह चुकी हैं. संजय यादव फिलहाल महागामा विधानसभा के धरमनडीह के मतदाता हैं. करीब डेढ़ साल पहले संजय यादव के बारे अफवाह भी उड़ाई गई थी कि वो आरजेडी छोड़ने वाले हैं. तब मीडिया के सामने आकर संजय यादव ने कहा था कि दुनिया पलट जाएं, पर हम नहीं पलटेंगे...जिन्दगी भर राजद में रहेंगे.
देबांशु प्रभात की रिपोर्ट