Sharabandi - बिहार की तरह झारखंड में भी हुई शराबबंदी, हेमंत सोरेन सरकार ने ले लिया बड़ा फैसला

Ranchi - बिहार में शराबबंदी कानून को लागू हुए नौ साल का समय गुजर चुका है। अब बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड में भी शराबबंदी लागू कर दी है। हेमंत सोरेन सरकार ने इसको लेकर बड़ा फैसला ले लिया है। जिसके बाद झारखंड में शराबी की बिक्री पर रोक लग गई है।
हालांकि शराबबंदी का यह फैसला हमेशा के लिए लागू नहीं होगा। इसे सिर्फ पांच दिन के लिए लागू किया गया है। राज्य सरकार ने यह फैसला अचानक किसी सामाजिक दबाव या प्रतिबंध के कारण नहीं, बल्कि सरकार की नई शराब नीति की वजह से लिया
है।
उत्पाद विभाग के आयुक्त रामलीला रवानी ने मंगलवार को इस बात की जानकारी दी. यहां 30 जून रात 10 बजे से लेकर 5 जुलाई तक शराब की दुकानें बंद रहेंगी। एक्साइज कमिश्नर ने बताया राज्य सरकार ने शराब बिक्री के लिए नई उत्पाद नीति बनाई है, जिसके तहत अब शराब की दुकानें प्राइवेट कारोबारी चलाएंगे, जिसमें शराब दुकानों के संचालन का हैंडओवर और टेकओवर शुरू किया जा रहा है। इसी वजह से यह कदम उठाया गया है। इस कारण 30 जून रात से आने वाले पांच दिनों तक सभी शराब दुकानें बंद रहेंगी।
हालांकि, नई नीति के कार्यान्वयन में तकनीकी कारणों से देरी हो रही है, और इस कारण उत्पाद विभाग ने एक जुलाई से खुद शराब की दुकानों का संचालन करने का फैसला लिया है, लेकिन दुकानों के हस्तांतरण और स्टॉक बंद होने के कारण, खुदरा दुकानों से शराब की बिक्री कम से कम चार- पांच दिन बंद रहेगी।
एजेंसियों के साथ अनुबंध खत्म
बता दें कि, राज्य में खुदरा शराब बिक्री के लिए कुल 1453 दुकानें संचालित हैं. वर्तमान नीति के अनुसार, प्लेसमेंट एजेंसियों को 30 जून तक ही इन दुकानों से शराब बेचने की अनुमति थी, जिसकी अवधि सोमवार,30 जून को खत्म हो गई।
1453 शराब दुकानों पर लगा ताला
हैंडओवर और टेकओवर की प्रक्रिया शुरू होने तक राज्यभर में 1453 खुदरा उत्पाद की दुकानें बंद रहेंगी। इस संबंध में जेएसबीसीएल के प्रबंध निदेशक और उत्पाद आयुक्त ने सभी जिलों के डीसी को पत्र भेजा है।
उत्पाद आयुक्त के ट्रेनिंग में जाने से हुई देरी
गौरतरब है कि मई महीने ही उत्पाद नीति को कैबिनेट से स्वीकृति मिल चुकी है इसके बाद से नीति को लागू करने को लेकर आगे की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पायी है। बताया जा रहा है कि उत्पाद आयुक्त के ट्रेनिंग में जाने के कारण नीति को लागू करने की आवश्यक प्रक्रिया पूरी नहीं हो पायी थी. जिसके बाद विभाग में नये सचिव और आयुक्त को पदस्थापित किया था