Jharkhand cabinet: बिहार में सरकार बनने के बाद झारखंड में तेज हुई हलचल, हेमंत सोरेन जल्द कर सकते हैं नई कैबिनेट की घोषणा

Jharkhand cabinet: झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार जल्द कैबिनेट विस्तार कर सकती है। सोमेश सोरेन का नाम सबसे आगे, कई वरिष्ठ जेएमएम विधायक भी दावेदारों में शामिल।

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झारखंड में कैबिनेट विस्तार- फोटो : social media

Jharkhand cabinet: बिहार में नई सरकार के शपथ लेने के तुरंत बाद अब इसका असर झारखंड की राजनीति में भी साफ दिखने लगा है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जल्द ही मंत्रिमंडल में बदलाव या विस्तार करने की तैयारी में हैं। राजनीतिक सूत्रों का मानना है कि इस बार सरकार में कुछ नए चेहरों के शामिल होने के पूरे आसार हैं, जिससे आने वाले महीनों की राजनीतिक दिशा भी तय हो सकती है।

सोमेश सोरेन पर सबसे ज्यादा निगाहें

मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा में जो नाम सबसे ऊपर उभरा है, वह है घाटशिला के विधायक सोमेश सोरेन। उनकी लोकप्रियता पार्टी के भीतर लगातार बढ़ी है और संगठन उन्हें एक युवा व ऊर्जावान नेता के रूप में आगे बढ़ते देख रहा है। पिता रामदास सोरेन के निधन के बाद हुए उपचुनाव में उन्होंने भारी जीत दर्ज की थी, जिसने उनके राजनीतिक कद को और मजबूत कर दिया।क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने के लिहाज से भी उनका नाम काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है और इसी कारण उन्हें कैबिनेट में शामिल किए जाने की संभावना बेहद प्रबल है।

जेएमएम के सीनियर नेताओं की भी दावेदारी मजबूत

नई टीम में सिर्फ युवा चेहरों की बात नहीं, बल्कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के कई अनुभवशील नेताओं के नाम भी सुर्खियों में हैं। पार्टी अंदरूनी राय के अनुसार वरिष्ठ विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल कर सरकार की स्थिरता और संगठन की पकड़ को और मजबूत किया जा सकता है।इन दावेदारों में स्टीफन मरांडी, हेमलाल मुर्मू, बसंत सोरेन, अमित महतो, सबिता महतो, उदय शंकर सिंह, निरल पूर्ति, सुखराम उरांव और दशरथ गगराई जैसे कई नाम शामिल हैं।

क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व और जातीय संतुलन बनेगा सबसे बड़ा आधार

झारखंड की राजनीति में हमेशा से क्षेत्रीय और सामाजिक संतुलन महत्वपूर्ण रहा है। यही कारण है कि मंत्रिमंडल विस्तार में भी इन्हीं दोनों तत्वों का खास ख्याल रखा जाएगा।जिन इलाकों को अब तक प्रतिनिधित्व नहीं मिला, वहाँ से नए चेहरे जोड़े जा सकते हैं।साथ ही आदिवासी, ओबीसी और अनुसूचित जाति समूहों को भी उचित हिस्सेदारी देना सरकार और गठबंधन के लिए अनिवार्य होगा।गठबंधन दलों से भी संवाद जारी है ताकि फैसला सर्वसम्मति से लागू किया जा सके।

हेमंत सोरेन का बड़ा कदम

मंत्रिमंडल विस्तार केवल पदों का फेरबदल नहीं होगा, बल्कि आने वाले विधानसभा चुनावों से पहले एक राजनीतिक संकेत भी होगा। इससे सरकार की मजबूती, गठबंधन की एकजुटता और प्रशासनिक क्षमता का संदेश जनता तक पहुंचेगा। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बहुत जल्द पार्टी नेताओं और गठबंधन सहयोगियों से अंतिम बातचीत कर सकते हैं और इसके बाद नया मंत्रिमंडल सामने आ सकता है।