ain Hemorrhage: बदलते मौसम ने बजाई हेल्थ अलर्ट की घंटी, राजधानी के अस्पतालों में हेमरेज के बढ़ते मामले बने सियासी मुद्दा, युवाओं तक ऐसे पहुंचा खतरा, डॉक्टर ने बताया ऐसे बचें
Brain Hemorrhage: तापमान में लगातार हो रहे उतार-चढ़ाव ने बीमारी के ग्राफ को इस कदर ऊपर भेज दिया है कि राजधानी के अस्पतालों में बिस्तर तक कम पड़ने लगे हैं।...
Brain Hemorrhage: मौसम का बदलता मिज़ाज, दिन में हल्की धूप और रात में ठंडी हवाओं का संगम, आम जनता की सेहत पर आपदा बनकर टूट रहा है। तापमान में लगातार हो रहे उतार-चढ़ाव ने बीमारी के ग्राफ को इस कदर ऊपर भेज दिया है कि राजधानी के अस्पतालों में बिस्तर तक कम पड़ने लगे हैं। सर्दी, खांसी और बुखार से बच्चे बेहाल, जबकि बड़े और बुजुर्ग ब्रेन हेमरेज और हृदयाघात की गिरफ्त में आते जा रहे हैं।
राजधानी के तीन बड़े अस्पताल IGIMS, PMCH और AIIMS पटना संघर्ष की स्थिति में हैं। अकेले IGIMS में 25 मरीज, जबकि बाकी संस्थानों में कुल मिलाकर 36 से अधिक लोग ब्रेन हेमरेज की गंभीर हालत में भर्ती हैं। चिकित्सकों के अनुसार, पिछले एक सप्ताह में चार मरीजों की मौते हो चुकी हैं। दर्दनाक सच यह है कि पहले यह समस्या 50 वर्ष से ऊपर के लोगों में आम थी, परंतु अब 35 से 40 वर्ष की युवा पीढ़ी भी आईसीयू तक पहुंच रही है।
IGIMS के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रोहित उपाध्याय ने चेतावनी दी कि ठंडी भरे दिनों में धूप न निकलने से लोग घर में कैद रहने को मजबूर हैं। सर्द मौसम धमनियों को सिकोड़ देता है और खून को गाढ़ा कर देता है, जिससे ब्लड क्लॉट बनने का खतरा तेज हो जाता है। यही क्लॉट हार्ट अटैक और ब्रेन हेमरेज की जड़ है। कई मरीज पहले से हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और हृदय रोग से पीड़ित थे, जिन्हें ठंड ने और अधिक कमजोर कर दिया है।
डॉ रोहित का कहना है कि अचानक तेज सिरदर्द, उल्टी, शरीर में कमजोरी, बोलने में दिक्कत, आंखों के सामने धुंध या किसी हिस्से में सुन्नपन इनमें से कोई भी लक्षण दिखते ही अस्पताल पहुंचना जरूरी है। देर करने पर इलाज कठिन और जानलेवा हो सकता है।
डॉ. उपाध्याय ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अनियमित दिनचर्या, तनाव, गलत खान-पान और नींद की कमी यही असली कसूरवार हैं।ऑफिस का तनाव, एग्जाम प्रेशर और फास्ट फूड के खिलाफ शरीर बगावत कर रहा है। ऊपर से कुछ युवा बिना मेडिकल जांच के जिम में हेवी वर्कआउट शुरू कर देते हैं, जिससे ब्लड प्रेशर अचानक बेकाबू हो जाता है। यही दमदार शरीर की चाह, कई बार जान पर भारी पड़ रही है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की अपील है कि सरकार और स्वास्थ्य विभाग को तत्काल हेल्थ कैंप, जागरूकता अभियान और विशेषज्ञ टीमों की तैनाती करनी चाहिए, क्योंकि ये सिर्फ मौसमी बीमारी नहीं, बल्कि जन स्वास्थ्य संकट का इशारा है।