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BUSINESS NEWS - किसे मिलेंगे रतन टाटा के 79 सौ करोड़, वसीयत में कर दिया था तय, इन खास दो चेहरों को सौंपी बड़ी जिम्मेदारी

BUSINESS NEWS - 86 साल की उम्र में रतन टाटा के निधन के बाद अब उनके वसीयत भी चर्चा शुरु हो गई है। जिसमें वकील डेरियस खंबाटा और परिवार के अन्य सदस्यों को उनके वसीयत को एक्सक्यूट करने के लिये नियुक्त किया है।

 Ratan Tata will

DESK -पद्मविभूषण से सम्मानित उद्योगपति रतन टाटा ने 86 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। जिसके बाद रतन टाटा के देहांत के बाद उनके सौतेले भाई नोएल टाटा को टाटा ट्रस्ट का नया चेयरमैन बनाया गया  है। अब रतन टाटा के आखिरी सपने यही पूरी करेंगे। 

जानकारी के अनुसार  रतन टाटा ने वकील डेरियस खंबाटा और परिवार के अन्य सदस्यों को उनके वसीयत को एक्सक्यूट करने के लिये नियुक्त किया है। इन सहयोगी में उन्होंने अपने परिवार के सदस्य को शमिल किया है। उन्होंने अपनी करीबी सहयोगी मेहली मिस्त्री और अपनी, सौतेली बहनों शिरीन और डियाना जीजीभॉय वासीयत को एक्सक्यूट करने के लिए नियुक्त किया।

टाटा संस के अलावा कई कंपनियों में थी टाटा की हिस्सेदारी

Hurn India Rich List 2024 की रिपोर्ट के अनुसार रतन टाटा की टाटा संस में 0.83 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। उनकी नेट वर्थ 7900 करोड़ रुपये थी। रतन टाटा की वेल्थ का करीब तीन-चौथाई हिस्सा टाटा संस में उनकी शेयरहोल्डिंग से जुड़ा है। इसके अलावा रतन टाटा मे ओला,पेटीएम,TRACXN, फर्स्टक्राई, ब्सूस्टोन, कारदेखो, कैशकरो, अर्बन कंपनी Upbox जैसी करीब 2 दर्जन कंपनियों में निवेश किया था । इसके अलावा उनके पास मुंबई के कोलाबा और अलीबाग में घर था। रतन टाटा के वसीयत के डिटेल्स प्राइवेट है।

कौन है मेहली मिस्त्री और किसने की डेरियस खंबाटा की वसीयत बनाने में की है मदद

मेहली मिस्त्री को रतन टाटा के करीबी सहयोगी के तौर पर जाना जाता है। मेहली मिस्त्री दोराबाजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टी है। इन दोनों ट्रस्ट की मिलावट टाटा संस में कुल हिस्सेदारी 52 प्रतिशत है। वहीं Tata Trust की टाटा संस में कुल हिस्सेदारी 66 प्रतिशत की है। बता दें कि टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस है। टाटा ग्रुप की लिस्टेड कंपनियों में टाटा संस की मार्केट वैल्यू 16.71 लाख करोड़ रुपये की है।

रिपोर्ट के अनुसार डेरीयस खंबाटा ने रतन टाटा को वसीयत बनाने में मदद की है। उन्होंने पिछले साल टाटा के दो प्रमुख ट्रस्ट में बतौर ट्रस्टी वापस की थी। इससे पहले उन्होंने निजी कारणों का हवाला देते हुए  टाटा ट्रस्ट को छोड़ दिया था।

रिपोर्ट - जागृति




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