शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 6 जनवरी को यूजीसी के नए नियमों का ड्राफ्ट जारी किया है। इसका उद्देश्य शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को बेहतर और लचीला बनाना है। इस ड्राफ्ट में उन बदलावों का जिक्र है, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत किए जाएंगे।
नए नियमों में सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अब शिक्षकों को केवल उसी विषय में उच्च शिक्षा में डिग्री लेने की आवश्यकता नहीं होगी, जिसे वे पढ़ाना चाहते हैं। उदाहरण के लिए, अगर किसी व्यक्ति ने किसी अन्य विषय में शिक्षा ली है लेकिन वह यूजीसी नेट या Ph.D. से संबंधित विषय पढ़ाना चाहता है, तो वह आवेदन कर सकेगा। इससे विश्वविद्यालयों को उम्मीदवारों में अधिक विविधता मिलेगी।
इसके अलावा, नए नियमों के अनुसार, शिक्षकों के चयन में अब पीएचडी या यूजीसी नेट के अनिवार्य होने की जरूरत नहीं है। खासकर उन लोगों को बढ़ावा दिया जाएगा जो इंडस्ट्री में अनुभव रखते हैं और उन्हें "प्रैक्टिस के प्रोफेसर" के तौर पर नियुक्त किया जा सकेगा। यह कदम शिक्षा और उद्योग के बीच बेहतर संबंध बनाने की दिशा में उठाया गया है।
शिक्षकों के प्रमोशन के मामले में भी बदलाव किया गया है। अब, API (Academic Performance Indicator) प्रणाली की अनिवार्यता को खत्म किया जाएगा, जिससे शिक्षकों को उनके अकादमिक और अन्य योगदान के आधार पर प्रमोट किया जाएगा, न कि केवल अकादमिक प्रदर्शन के आधार पर।
नए नियमों से उच्च शिक्षा में बदलाव की उम्मीद है, जो टीचर्स को अपने करियर में नई दिशा देगा और उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में और भी प्रेरित करेगा।