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सहायक प्रोफेसर और कुलपति पदों पर नई गाइडलाइंस: UGC ने दी बड़ी छूट, जानें डिटेल्स

यूजीसी ने सहायक प्रोफेसर और कुलपति पदों पर भर्ती के लिए नए नियमों का मसौदा तैयार किया है। एमई/एमटेक कैंडिडेट्स को नेट की अनिवार्यता से छूट मिलेगी। कुलपति पद के लिए 10 साल के शैक्षणिक अनुभव की बाध्यता खत्म कर दी गई है। नियम शिक्षा में बड़ा बदलाव लाएं

सहायक प्रोफेसर और कुलपति पदों पर नई गाइडलाइंस: UGC ने दी बड़ी छूट, जानें डिटेल्स

सहायक प्रोफेसर और कुलपति बनने का सपना देख रहे युवाओं के लिए बड़ी खबर है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने भर्ती प्रक्रिया में बड़े बदलाव करते हुए एक नया मसौदा तैयार किया है। इसके तहत, एमई और एमटेक उम्मीदवारों के लिए नेट (NET) परीक्षा पास करना अब अनिवार्य नहीं होगा। इसके साथ ही कुलपति के पदों पर नियुक्ति के लिए भी नियमों में ढील दी गई है।

मुख्य बदलाव:

  1. एमई/एमटेक कैंडिडेट्स को राहत:
    • एमई या एमटेक में 55% अंक रखने वाले कैंडिडेट्स बिना नेट परीक्षा के सहायक प्रोफेसर पद के लिए आवेदन कर सकते हैं।
  2. पीएचडी और नेट विषयों में लचीलापन:
    • अब पीएचडी और नेट का विषय यूजी या पीजी के विषय से अलग हो सकता है। उदाहरण के तौर पर, अगर कैंडिडेट की पीएचडी रसायन विज्ञान में है, लेकिन उनका पीजी गणित में हुआ है, तो वह रसायन विज्ञान पढ़ाने के लिए पात्र हैं।
  3. कुलपति पद के नियम:
    • अब कुलपति पद के लिए 10 साल के शैक्षणिक अनुभव की बाध्यता नहीं होगी। संबंधित क्षेत्र में 10 साल का अनुभव रखने वाले और उत्कृष्ट ट्रैक रिकॉर्ड वाले विशेषज्ञ भी इस पद के लिए योग्य होंगे।

प्रोफेसर और प्रमोशन के लिए गाइडलाइंस:

  • प्रमोशन: असिस्टेंट प्रोफेसर से एसोसिएट प्रोफेसर बनने के लिए पीएचडी डिग्री अनिवार्य होगी।
  • पहले की योग्यता: पहले यूजी और पीजी के विषय नेट और प्रोफेसर पद के लिए एक ही होने जरूरी थे, लेकिन अब यह शर्त हटा दी गई है।

फैकल्टी नियुक्ति में क्रांतिकारी बदलाव:
नई गाइडलाइंस से उच्च शिक्षा में अधिक विशेषज्ञ और योग्य कैंडिडेट्स के लिए रास्ता खुलेगा। यह मसौदा अभी ड्राफ्ट चरण में है, लेकिन यदि इसे लागू किया गया, तो शिक्षा जगत में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।


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