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Controversial IAS Whatsap Group: IAS व्हाट्सएपग्रुप पर बड़ा खुलासा,फोन नहीं हुआ था हैक,ऑफिसर के नम्बर से ही बना था हिन्दू वाला ग्रुप...

व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ा मामला केरल में आईएएस अधिकारियों और सरकार की छवि के लिए भी एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।

 Controversial IAS Whatsap Group:  IAS व्हाट्सएपग्रुप पर बड़ा खुलासा,फोन नहीं हुआ था हैक,ऑफिसर के नम्बर से ही बना था हिन्दू वाला ग्रुप...
केरल IAS व्हाट्सएप ग्रुप मामला- फोटो : freepik

 Controversial IAS Whatsap Group: केरल में एक आईएएस अधिकारी के फोन से बनाए गए विवादित व्हाट्सएप ग्रुप 'मल्लू हिंदू ऑफिसर्स' और 'मल्लू मुस्लिम ऑफिसर्स' के मामले में पुलिस जांच पूरी हो गई है। इस मामले में संदेह था कि कहीं सिविल सेवा में धार्मिक आधार पर फूट डालने की कोशिश तो नहीं की जा रही है। 30 अक्टूबर को सामने आए इस मामले ने सामाजिक और राजनीतिक हलकों में काफी बवाल मचा दिया था।


पुलिस की जांच और तकनीकी प्रमाण

पुलिस ने इस मामले की तह तक जाने के लिए व्हाट्सएप, गूगल, और इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (ISP) से तकनीकी जानकारी जुटाई। पुलिस जांच में यह साबित हुआ कि ग्रुप अधिकारी के फोन से ही बनाए गए थे और उनका फोन हैक नहीं हुआ था। पहले अधिकारी ने दावा किया था कि उनका फोन हैक हुआ था, लेकिन पुलिस ने इसे गलत साबित किया है। पुलिस रिपोर्ट में यह साफ लिखा गया है कि ग्रुप बनाते समय अधिकारी का फोन सुरक्षित था और उस पर किसी तीसरे व्यक्ति का नियंत्रण नहीं था।


व्हाट्सएप और गूगल की पुष्टि

पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, व्हाट्सएप ने पुष्टि की कि ग्रुप उसी डिवाइस से बनाए गए थे जिस पर IAS अधिकारी का व्हाट्सएप अकाउंट इंस्टॉल था। गूगल ने भी यह सत्यापित किया कि अधिकारी के फोन में कोई अनधिकृत एप्लिकेशन इंस्टॉल नहीं थी, जिससे यह साबित होता है कि कोई बाहरी व्यक्ति फोन को नियंत्रित नहीं कर रहा था।


फोरेंसिक जांच और फोन फॉर्मेटिंग की उलझन

पुलिस अब इस मामले में आगे की फोरेंसिक जांच करने की योजना बना रही है, लेकिन फोन को पहले ही फॉर्मेट कर दिए जाने से मामले में नई जानकारी मिलने की संभावना कम है। फोन फॉर्मेट किए जाने से जांच प्रक्रिया और भी जटिल हो गई है, जिससे अधिकारी पर सबूतों के साथ छेड़छाड़ का आरोप भी लग सकता है।


सरकार के लिए चुनौती

इस मामले की रिपोर्ट शहर के पुलिस कमिश्नर ने केरल के डीजीपी को सौंप दी है। अब यह देखना महत्वपूर्ण है कि सरकार इस पर क्या कार्रवाई करती है। धार्मिक आधार पर बनाए गए इन ग्रुप्स का मामला सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है, क्योंकि सिविल सेवाओं में इस प्रकार के विभाजनकारी कदम उठाना गंभीर मुद्दा माना जाता है।

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