Bollywood kissing scene: हिंदी सिनेमा ने 100 से अधिक वर्षों की यात्रा में कई बदलाव देखे हैं। आज के दौर में फिल्मों में किसिंग और इंटीमेट सीन आम हो चुके हैं, लेकिन एक समय ऐसा भी था जब इन दृश्यों को सिनेमा में स्थान नहीं मिलता था। उस दौर में 1933 में आई फिल्म कर्मा ने इतिहास रचते हुए एक ऐसा किसिंग सीन प्रस्तुत किया, जिसे हिंदी सिनेमा का सबसे लंबा किसिंग सीन माना गया।
फिल्म कर्मा और उसका विवादित किसिंग सीन
कर्मा (1933) में दिग्गज अभिनेत्री देविका रानी और अभिनेता हिमांशु रॉय के बीच फिल्माया गया यह सीन अपने समय से काफी आगे था। इस 4 मिनट लंबे किसिंग सीन ने देशभर में सनसनी मचा दी थी। इस सीन को लेकर इतना बवाल हुआ कि फिल्म को देशभर में बैन कर दिया गया।
विवाद और परिणाम
कर्मा के इस सीन को लेकर विवाद इतना बढ़ गया था कि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हो गई। यह उस दौर की सामाजिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों को दर्शाता है, जहां खुलेआम किसिंग सीन दिखाना स्वीकार्य नहीं था। आजादी से पहले के भारत में इस तरह के दृश्य असहज और अस्वीकार्य माने जाते थे।
देविका रानी और हिमांशु रॉय: पर्दे के पीछे की कहानी
देविका रानी और हिमांशु रॉय असल जिंदगी में पति-पत्नी थे, जिससे इस सीन को फिल्माने में उन्हें कोई झिझक नहीं हुई। हालांकि, उन्होंने यह अनुमान नहीं लगाया था कि यह सीन हिंदी सिनेमा के इतिहास में सबसे लंबे किसिंग सीन के रूप में दर्ज हो जाएगा। उनकी इस फिल्म ने उस समय की सामाजिक सोच और फिल्मों में दिखाए जाने वाले दृश्यों के बीच के संघर्ष को उजागर किया।
वर्तमान समय में सिनेमा का बदलता स्वरूप
आज के समय में, फिल्मों में किसिंग और हॉट सीन सामान्य हो गए हैं। हालांकि, कुछ कलाकार, जैसे कि सलमान खान, अब भी किसिंग सीन फिल्माने में रुचि नहीं रखते हैं, जो दर्शाता है कि व्यक्तिगत मान्यताएँ और पेशेवर प्राथमिकताएं कैसे भूमिका निभाती हैं।
ऐतिहासिक महत्व
फिल्म कर्मा का यह किसिंग सीन हिंदी सिनेमा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना है। यह न केवल उस समय के सिनेमा की सीमाओं को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि समय के साथ सिनेमा और समाज में किस तरह का परिवर्तन हुआ है।
ऐतिहासिक किसिंग सीन
हिंदी सिनेमा का यह ऐतिहासिक किसिंग सीन उस समय की सामाजिक और सांस्कृतिक सीमाओं को दर्शाता है। देविका रानी और हिमांशु रॉय का यह सीन एक मील का पत्थर है, जिसने हिंदी फिल्मों में किसिंग सीन की शुरुआत की। यह घटना भारतीय सिनेमा के इतिहास में आज भी महत्वपूर्ण बनी हुई है।