Supreme court news: सुप्रीम कोर्ट ने बाल विवाह को लेकर सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने बाल विवाह को एक गंभीर सामाजिक बुराई करार दिया है। अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि वे बाल विवाह को खत्म करने के लिए प्रभावी कदम उठाएं। कोर्ट ने कहा है कि हर जिले में अलग-अलग अफसर नियुक्त किया जाए ताकी बाल विवाह मुक्त गांव का निर्माण हो सके।
बच्चों से उनका अधिकार छीन रहा बाल विवाह
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, बाल विवाह बच्चों के अधिकारों का घोर उल्लंघन है। यह बच्चों को अपनी पसंद का जीवनसाथी चुनने, शिक्षा प्राप्त करने और बचपन का आनंद लेने के मौके से वंचित करता है। बाल विवाह लड़कों और लड़कियों दोनों के जीवन को नष्ट कर देता है।
बाल विवाह को रोकने के लिए बने सख्त कानून
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि बाल विवाह रोकथाम अधिनियम को और अधिक प्रभावी बनाया जाना चाहिए। हर जिले में बाल विवाह मुक्त गांव घोषित किए जाने चाहिए। बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए। बाल विवाह करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
बाल विवाह के गलत प्रभाव
बाल विवाह के कारण: सामाजिक रूढ़ियां, दहेज प्रथा, गरीबी, जागरूकता का अभाव। वहीं बाल विवाह के प्रभाव की बात करें तो इससे लड़कियों की शिक्षा बाधित होती है। लड़कियों का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य खराब होता है। लड़कियों को कुपोषण और एनीमिया जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लड़कियों को घरेलू हिंसा का शिकार होना पड़ता है।
कोर्ट ने गिनाई बाल विवाह की खामिया
कोर्ट में सार्क देशों ,अफ्रीका,यूरोपीय संघों के बाल विवाह पर कानूनी ढ़ाचे का जिक्र करते हुए कहा कि देश के मौजूदा कानून में खामिया है। इसके बाद कुछ सुझाव दिया की अलग-अलग समुदाय के हिसाब से अलग रणनीति बनाई जाए। कोर्ट ने केंद्र,राज्यों जिला प्रशासन पंचायत और न्यायपालिका को कई निर्देश दिए।
जागृति की रिपोर्ट