Underground Highway: हिमाचल प्रदेश में लगभग 85 किलोमीटर फोरलेन सड़क भूमिगत सुरंगों के माध्यम से बनाई जाएगी। इसके लिए एनएचएआई (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) ने केंद्र सरकार और पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी प्राप्त कर ली है। इस परियोजना के तहत कुल 68 सुरंगों का निर्माण किया जाएगा, जिनमें से 50% से अधिक की डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार हो चुकी है। अब तक एनएचएआई ने 11 सुरंगों का निर्माण पूरा कर लिया है, जबकि 27 सुरंगों पर निर्माण कार्य चल रहा है और 30 सुरंगों की डीपीआर तैयार की जा रही है।
सुरंग निर्माण प्रमुखता
इन सुरंगों के प्रस्ताव अधिकतर पिछले साल आई आपदा के बाद तैयार किए गए थे। आपदा के दौरान कीरतपुर-मनाली नेशनल हाईवे पर कुल्लू और मंडी में भारी नुकसान हुआ था। इसके साथ ही, पठानकोट-मंडी और पिंजौर-नालागढ़ मार्ग भी प्रभावित हुए थे। आपदा के बाद एनएचएआई ने प्रभावित नेशनल हाईवे की जांच आईआईटी और एनएचएआई के रिटायर्ड इंजीनियरों से करवाई। इस दौरान सुरंग निर्माण के सुझाव प्रमुखता से सामने आए।
आपदा प्रभावित क्षेत्रों में हुआ सुरंग निर्माण
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी आपदा प्रभावित क्षेत्रों में सुरंग निर्माण पर विचार करने के निर्देश दिए। इसके बाद एनएचएआई ने फोरलेन का बड़ा हिस्सा सुरंगों के माध्यम से बनाने की योजना तैयार की।इन सुरंगों के निर्माण से पूरे प्रदेश में फोरलेन सड़क की कुल लंबाई में 126 किलोमीटर की कमी आएगी और यात्रा का समय 13 घंटे तक घट जाएगा। साथ ही, बारिश और बर्फबारी के कारण नेशनल हाईवे पर होने वाले व्यवधान भी समाप्त हो जाएंगे।
मुख्य फोरलेन और सुरंगों का निर्माण
कीरतपुर-मनाली फोरलेन: 41.31 किलोमीटर लंबी 28 सुरंगें प्रस्तावित हैं, जिनमें से 13 का निर्माण पूरा हो चुका है। कालका-शिमला फोरलेन- कैंथलीघाट से परवाणू के बीच एक सुरंग बन चुकी है। कंडाघाट में लगभग 1 किलोमीटर लंबी सुरंग का निर्माण जारी है। कैंथलीघाट से ढली के बीच 6 सुरंगों का निर्माण प्रस्तावित है। पठानकोट-मंडी हाईवे: कोटला में डबल लेन सुरंग बन चुकी है। सुरंगों की कुल लंबाई 85.110 किलोमीटर होगी। इनके निर्माण से 12.50 घंटे का समय और 126 किलोमीटर की दूरी की बचत होगी, जिससे यात्रा अधिक सुगम और तेज हो जाएगी।