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आज सेवानिवृत हुए 1985 बैच के आईएएस अधिकारी अमित खरे, चारा घोटाला उजागर किया तो लालू गए जेल

आज सेवानिवृत हुए 1985 बैच के आईएएस अधिकारी अमित खरे, चारा घोटाला उजागर किया तो लालू गए जेल

RANCHI : भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1985 बैच के अधिकारी आज सेवानिवृत हो गए। कड़क अधिकारी के रूप में जाने जानेवाले अमित खरे ने चारा घोटाला को उजागर किया था। जिसके बाद बिहार के कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को जेल जाना पड़ा। अमित खरे ने चारा घोटाले का पर्दाफाश किया। चाईबासा उपायुक्त के पद पर रहते हुए उन्होंने चारा घोटाला में पहली एफआइआर दर्ज कराई। इसके बाद कई हाईप्रोफाइल नेता और अधिकारी जेल गए और उन्हें सजा मिली। बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद को भी सजा हुई। इस वजह से उन्हें कुछ दिनों तक तत्कालीन शासन का कोपभाजन भी बनना पड़ा था, लेकिन वे अपने कर्तव्य पथ पर अडिग रहे। उनकी पत्नी निधि खरे फिलहाल केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय में अपर सचिव के पद पर तैनात हैं।

झारखण्ड कैडर के इस अधिकारी ने अपने 36 वर्षों के कार्यकाल में भारत सरकार, बिहार सरकार और झारखण्ड सरकार में कई ऐसे काम किये, जो आज प्रशासन के लिए मिसाल है। अमित खरे के ही नेतृत्व में देश में नई शिक्षा नीति लागू किया गया। जिसे भारत को विश्वगुरु बनने का रोडमैप बताया जा रहा है। इसके साथ ही अमित खरे ने इंजीनियरिंग और प्रबन्धन की प्रतिष्ठित संस्थाओं को वर्ल्ड क्लास बनाने पर बल दिया था। अमित खरे अगस्त 2021 तक केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण सचिव के अतिरिक्त प्रभार में भी रहे। इस दौरान उन्होंने तकनीकी विकास पर जोर दिया, जिसका फायदा कोरोना काल में लोगों को देखने को मिला। इस पद पर रहते हुए उन्होंने डीडी झारखण्ड सहित करीब एक दर्जन सेटेलाइट चैनल लांच किया। साथ हीं दूरदर्शन और आकाशवाणी को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए। इनकी आधारभूत संरचना को मजबूत बनाने की योजना को अमली जामा पहनाया। वहीं डिजि‍टल मीडिया पॉलिसी सहित प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की मजबूती के लिए कई कदम उठाए। ओटीटी प्लेटफार्म को लेकर पालिसी को अंतिम रूप दिया। अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव गोवा को वैश्विक पहचान दिलाने की कोशिश की और राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति के भाषणों का संकलन सहित कई महत्वपूर्ण विषयों पर पुस्तकों का प्रकाशन कराया।

खरे झारखंड के पहले वाणिज्यकर आयुक्त थे। शिक्षा, वित्त और राज्यपाल के प्रधान सचिव से लेकर विकास आयुक्त का पद भी उन्‍होंने संभाला। चाईबासा का उपायुक्त रहते हुए डायन हत्या के खिलाफ सामाजिक जागरुकता अभियान चलाया। इससे राष्ट्रीय स्तर पर डायन हत्या के खिलाफ विमर्श शुरू हुआ। 

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