CHHAPRA : सारण जिला परिषद अध्यक्ष के विरुद्ध लाये गये अविश्वास प्रस्ताव में अध्यक्ष को मुंह की खानी पड़ी. अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 29 वोट पड़े, जबकि विपक्ष में मात्र 18 वोट ही पड़े. जानकारी हो हाईकोर्ट के निर्देश पर 29 अगस्त को विशेष बैठक का आयोजन निर्धारित किया गया था.
सुबह से ही थी गहमागहमी
समाहरणालय सभागार में पूर्व से निर्धारित समय पर जिला परिषद की विशेष बैठक जिलाधिकारी अमन समीर की अध्यक्षता में शुरू हुई. बैठक को लेकर सुबह से ही जिला परिषद के पार्षदों के बीच गहमागहमी का माहौल था. 11 बजाते ही समूह में पार्षदों का आना शुरू हो गया था. कुछ ही मिनट में पूरा हॉल पार्षदों से भर गया. इस बैठक में जिला परिषद अध्यक्ष सहित सभी 47 सदस्य उपस्थित हुये. सभी उपस्थित सदस्यों की उपस्थिति पंजी में दर्ज की गई.
पहले पढ़ा गया अध्यक्ष पर लगे सभीआरोप
बैठक की अध्यक्षता कर रहे जिलाधिकारी अमन समीर द्वारा अविश्वास प्रस्ताव में लगाये गये आरोपों को कंडिकावार पढ़कर सदस्यों को सुनाया गया.इसके उपरांत पक्ष एवं विपक्ष के सदस्यों द्वारा इन आरोपों को लेकर आपस में चर्चा की गई. आरोप प्रत्यारोप का दौड़ खूब चला. जब भी आरोप लगाए जा रहे थे तब निवर्तमान अध्यक्ष जय मित्र देवी के द्वारा अपना पक्ष रखा जा रहा था.
चर्चा के बाद शुरू हुई वोटिंग
चर्चा समाप्त होने के उपरांत मत विभाजन की प्रक्रिया अपनाई गई. इससे पूर्व सभी सदस्यों को मत विभाजन की प्रक्रिया एवं बैलट पेपर के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई. अध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव को लेकर मत विभाजन किया गया. बनाए गए बैलट बॉक्स में पार्षदों ने अपना अपना वोट इसके लिए सभी उपस्थित सदस्यों को एक एक कर नाम लेकर पुकारा गया तथा उन्हें जिला पदाधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित बैलेट पेपर उपलब्ध कराया गया.
वोटिंग में हार गई अध्यक्ष
मतदान के उपरांत मतों की गणना की गई. अध्यक्ष के विरुद्ध लाये गये अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 29 मत पड़े तथा अविश्वास प्रस्ताव के विपक्ष में 18 मत पड़े. यानी अध्यक्ष पर मात्र 18 लोगों का ही विश्वास था, 29 लोगों को उन पर बिल्कुल विश्वास नहीं था कि उनकी कार्यशैली दुरुस्त है. इस प्रकार बहुमत के आधार पर अध्यक्ष के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित करते हुये अध्यक्ष का पद रिक्त घोषित किया गया.
अब क्या होगा?
अविश्वास प्रस्ताव में हारने के बाद जिला परिषद अध्यक्ष की कुर्सी रिक्त हो गई है. जिला पदाधिकारी के माध्यम से पंचायती राज विभाग मुख्यालय को पत्र लिखा जाएगा जिसमें अध्यक्ष के चुनाव से संबंधित डेट निर्धारित करने की बात होगी ताकि नए अध्यक्ष का चुनाव किया जा सके और एक बार फिर जिला परिषद से जुड़े विकास का शुरू हो सके. सूत्रों की माने तो 15 से 21 दिन के अंदर तिथि का निर्धारण हो जाता है.
अब शुरू होगा असली खेल
अविश्वास प्रस्ताव को लेकर जनवरी से चल रहे उठा पठक 29 अगस्त को समाप्त हो गई. लेकिन इन आठ महीना में पार्षदों के जिला के बाहर हाईजैक करने उन्हें एक जगह रखने, कई तरह की सुविधा शुल्क देने आदि की भी चर्चा खूब रही. कई पार्षदों को खूब ऐसो आराम कराया गया ताकि वे गुट से बीडके नहीं. पार्षदों को एक सूत्र में बांधे रखने के लिए कई कवैद् दोनों पक्षों की ओर से की गई थी. जिस पक्ष ने जितनी अधिक सुविधा दी उन्हीं की जीत बताई जा रही है. लेकिन अध्यक्ष के चुनाव का खेल अभी समाप्त नहीं हुआ है जानकारी के अनुसार अभी हॉर्स ट्रेडिंग का खेल चलेगा और अध्यक्ष पद हासिल करने के लिए किसी भी हद तक पक्ष विपक्ष जा सकते हैं. सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि अविश्वास प्रस्ताव में इधर-उधर गए पार्षद कभी भी दल बदल सकते हैं. बशर्ते उन्हें उनके मन मुताबिक काम हो जाए.
क्यों करानी पड़ी विशेष बैठक?
जानकारी हो की पटना हाई कोर्ट ने बीते 14 अगस्त को सारण जिला परिषद की अध्यक्ष जयमित्रा देवी की याचिका को खारिज करते हुए सारण के डीएम को निर्देश दिया था कि वे सारण जिला परिषद की अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए अगले सात दिनों में विशेष बैठक की नई तारीख तय करें. कोर्ट ने सारण जिला परिषद के सभी निर्वाचित सदस्यों को नोटिस भेजने का भी निर्देश दिया था, जो याचिकाकर्ता के खिलाफ 'अविश्वास प्रस्ताव' पर चर्चा करने के लिए नई बैठक में भाग लेने के हकदार हैं. कोर्ट का आदेश आते ही जिलाधिकारी ने 29 अगस्त को 11:00 बजे से अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए डेट निश्चित कर दी थी. उसी के तहत आज यह विशेष बैठक होगी.
तो इसलिए आया अविश्वास प्रस्ताव
सारण जिला परिषद के 17 निर्वाचित सदस्यों ने अध्यक्ष जयमित्रा देवी के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हेतु विशेष बैठक बुलाने के लिए दिनांक 04.01.24 को अधियाचना समर्पित की थी. इसकी तिथि 15.01.24 निर्धारित की गई. 15.01.24 को विशेष बैठक बुलाई गई. 47 सदस्यों में से मात्र 6 सदस्य बैठक में उपस्थित हुए. राज्य निर्वाचन आयोग, बिहार द्वारा जारी दिनांक 16.09.2008 के पत्र के आलोक में अविश्वास प्रस्ताव को पराजित घोषित कर दिया.
इससे बढ़ गई और परेशानी
अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हेतु विशेष बैठक की तिथि निर्धारित करने हेतु अधियाचनाकर्ताओं द्वारा दिनांक 29.05.24 को अध्यक्ष को नया अधियाचना समर्पित किया गया. अध्यक्ष ने दिनांक 28.06.24 को तिथि निर्धारित की. डीडीसी, सारण को निर्देश दिया कि केवल उन्हीं 6 सदस्यों को नोटिस जारी करें, जिन्होंने 15.01.24 को बैठक में भाग लिया था. डीडीसी ने केवल उन्हीं 6 सदस्यों को नोटिस जारी किया. एक सदस्य कमलेश कुमार सिंह की शिकायत पर डीएम के निर्देश पर 06.06.24 को इस आदेश को वापस ले लिया गया.
क्यों हाईकोर्ट गया मामलाः
18.06.24 को जिलाधिकारी ने कानून विभाग से राय मांगी गयी. कानूनी राय प्राप्त होने पर डीएम ने डीडीसी को सभी 47 निर्वाचित सदस्यों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया. 30.07.24 को विशेष बैठक की तारीख तय की थी. डीडीसी ने सभी 47 सदस्यों को नोटिस भेजे. जयमित्रा देवी ने इसी को हाई कोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी. इस मामले में वरीय अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव एवं वरीय अधिवक्ता विन्ध्यांचल सिंह ने निजी प्रतिवादियों की ओर से उपस्थित हुए और रिट याचिका का विरोध किया था.
कोर्ट में रखा गया था यह पक्ष
17 निजी प्रतिवादियों की ओर से वरीय अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव ने कोर्ट के समक्ष पक्ष प्रस्तुत किया था. उन्होंने पटना हाईकोर्ट के एक खंडपीठ द्वारा धर्मशीला देवी व सुप्रीम कोर्ट के भानुमती के निर्णय को कोर्ट के समक्ष रखा था. उन्होंने कहा कि 15 जनवरी,2024 के अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान ही नहीं हुआ. अतः नये सिरे अविश्वास प्रस्ताव लाये जाने पर कोई कानूनी बाधा नहीं है. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता एसबीके मंगलम व कुछ अन्य प्रतिवादियों की ओर से वरीय अधिवक्ता वसंत कुमार चौधरी ने पक्षों को प्रस्तुत किया था.
छपरा से संजय भारद्वाज की रिपोर्ट