पटना. जिस स्कूटर पर तीन आदमी को बैठकर सफर करना मुश्किल होता है लालू राज में उसी स्कूटर पर सांड ढोया गया. वह भी एक दो नहीं 400 सांड को हरियाणा-दिल्ली से स्कूटर पर बैठाकर बिहार लाया गाया था. सन 1990 में लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री बने और उसके बाद करीब 950 करोड़ रुपए के चारा घोटाले की पटकथा लिखी गई. राजनेताओं और अफसरों की मिलीभगत से बिहार उस दौर में सबसे बड़े घोटाले का केंद्र बन गया. हालांकि इस घोटाले ने लालू यादव की राजनीति और निजी जीवन को खूब नुकसान भी पहुंचाया. अब इसी चारा घोटाले में एक मामले में लालू यादव आठवीं बार जेल जा रहे हैं.
राजद सुप्रीमो लालू यादव को चारा घोटाले के एक और मामले में रांची में सीबीआई की विशेष अदालत ने दोषी करार दिया है. मंगलवार को कोर्ट ने चारा घोटाले में सबसे बड़े मामले डोरंडा कोषागार से 139.5 करोड़ रुपए की अवैध निकासी के मामले में लालू को दोषी करार दिया. उनकी सजा का ऐलान 18 फरवरी को होगा. चारा घोटाले से जुड़ा यह पांचवा मामला है और अब वह फिर से जेल की सलाखों के पीछे होंगे.
लालू यादव को जब पहली बार वर्ष 1997 में गिरफ्तार किया गया था तब उन्हें बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. वर्ष 1996 में पहली बार चारा घोटाले के बवंडर सामने आया. लेकिन उस वक्त इस मामले के कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई. इस बीच 1995 के बिहार विधानसभा चुनाव में लालू यादव की पार्टी को बड़ी जीत मिली और वे फिर से बिहार के मुख्यमंत्री बन गये. हालांकि इसके कुछ महीने बाद ही सीबीआई ने चारा घोटाले मामले में लालू के गिरेबां को पकड़ना शुरू कर दिया. अंततः लालू यादव ने मजबूर होकर जुलाई 1997 में बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. और फिर मात्र पांच दिन बाद ही उन्हें पहली बार जेल जाना पड़ा.
हालांकि तब लालू को गिरफ्तार करना सीबीआई के लिए आसान नहीं था. लालू के सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद बिहार में उनके समर्थक उग्र थे. यहां तक कि बिहार पुलिस भी लालू की गिरफ्तारी से सीधे सीधे बच रही थी. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन सीबीआई के संयुक्त निदेशक यूएन विश्वास ने सेना से लालू प्रसाद की गिरफ्तारी के लिए मदद मांग ली. सेना ने उस समय तुरंत सीबीआई को मदद देने से इनकार कर दिया.
इसी बीच तमाम कानूनी हथकंठों को अपनाने के बाद भी जब लालू को लगा कि उन्हें अब गिरफ्तारी देनी ही होगी तब 30 जुलाई 1997 को लालू यादव ने अदालत में सरेंडर कर दिया था. इसके पहले 29 जुलाई की रात पटना की सड़कों पर अर्धसैनिक बलों और बिहार पुलिस की भारी बंदोबस्ती की गई. पहली बार जेल गये लालू यादव तब 135 दिनों तक जेल में रहे थे. संयोग से उस समय केंद्र में एचडी देवेगौड़ा प्रधानमंत्री थे. लालू यादव ने तब गिरफ्तारी से बचने के लिए संयुक्त मोर्चा की उस सरकार पर भी दवाब बनाया. लेकिन उनका कोई पैंतरा काम नहीं आया. सीबीआई को लालू को गिरफ्तार करने से केंद्र ने नहीं रोका.
चारा घोटाले में सीबीआई ने जो तथ्य कोर्ट में रखे उसमें कहा गया कि स्कूटर पर 400 सांड ढोए गए. सैकड़ों टन पशु अनाज भी स्कूटर और मोपेड पर ढोये गये. डोरंडा ट्रेजरी में अवैध निकासी मामले में 400 सांड हरियाणा और दिल्ली से रांची लाने का लाने का जो बिल दिया था, उस बिल की जांच में गाड़ियों का नम्बर स्कूटर और मोटरसाईकिल का निकला. यहाँ तक की पशुओं के चारे की रकम भी फर्जी तरीके से अलग अलग कोषागारों से निकाली गई. लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद लालू यादव एक के बाद एक चारा घोटाले के पांच मामलों में दोषी करार दिए गए. इस बीच उनके चुनाव लड़ने पर भी रोक लग गई. किसी दौर में बिहार की राजनीति के केंद्र रहे लालू पिछले करीब 25 साल से जेल आते जाते रहे हैं.
चारा घोटाले में लालू यादव वर्ष 1997 से ही जेल का चक्कर लगा रहे हैं. 30 जुलाई 1997 को पहली बार लालू प्रसाद 135 दिन जेल में रहे. 28 अक्टूबर, 1998 को दूसरी बार 73 दिन जेल में रहे. 5 अप्रैल 2000 तीसरी बार 11 दिन जेल रहे. 28 नवंबर 2000 को आय से अधिक संपत्ति मामले में एक दिन जेल में रहे. 3 अक्टूबर 2013 चारा घोटाले के दूसरे मामले दोषी करार दिए जाने पर 70 दिन जेल में कटा. 23 दिसंबर 2017 को चारा घोटाले से तीसरे मामले में सजा हुई. 24मार्च 2018 को दुमका कोषागार से जुड़े चौथे मामले में सजा हुई, जिसके बाद करीब तीन साल बाद पिछले साल अप्रैल में जेल से बाहर आए. अब लालू के सजा का ऐलान 21 फरवरी को होगा.