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छपरा में एक ऐसे संत जो 12 वर्षो से नहीं करते भोजन, जीने के लिए खाते हैं "बेलपत्र", सावन में करते हैं एक क्विंटल लाल मिर्च का हवन

छपरा में एक ऐसे संत जो 12 वर्षो से नहीं करते भोजन, जीने के लिए खाते हैं "बेलपत्र", सावन में करते हैं एक क्विंटल लाल मिर्च का हवन

CHHAPRA : भारत को ऋषि मुनि और संतो का देश कहा जाता है। ना जाने इस भारत की धरती पर कितने वीर सपूत एवं ऋषि-मुनियों ने जन्म लिया है। छपरा जिले में भी एक ऐसे संत हैं, जो सावन महीने में एक  क्विंटल लाल मिर्च का हवन करते हैं। सुनने में यह अजीब लगता है, लेकिन यह हकीकत है। 


आश्चर्य की बात यह की इस संत ने 12 वर्षों से भोजन भी नहीं किया है। बेलपत्र, अकवन पत्र, दुभ का भुंगा खाकर अपना जीवन यापन करते हैं। सालो भर भगवान भोलेनाथ और मां काली की पूजा करते हैं। इनका नाम जयराम दास है, जिन्हें इलाके में लोग बेलपतिया बाबा के रूप में भी जानते हैं। जिन्होंने पानापुर के रसौली गांव में स्थित मां दक्षिणेश्वरी काली मंदिर को अपना ठिकाना बना रखा है। बाबा गांव के ही मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं। साथ ही वायुमंडल को शुद्ध करने के लिए और भूत पिचाश जैसे साया को भगाने के लिए लाल मिर्च का हवन करते हैं। 

बाबा का कहना है कि मरीचा का हवन विश्वामित्र मुनि भी किए थे। सावन में मरीचा के हवन करने से भगवान भोलेनाथ खुश हो जाते हैं। जबकि जादू टोना भूत प्रेत जैसे साया भी घर से दूर हो जाते हैं। इसलिए बाबा मरीचा का हवन कराते हैं। बाबा मरीचा का हवन 12 वर्षों से कराते आ रहे हैं। 

बाबा से भेंट करने के लिए दूरदराज से लोग आकर दर्शन करते हैं, और आशीर्वाद लेकर अपने घर जाते हैं। लोगों का कहना है कि बाबा से जो लोग भी अपना दु:ख प्रकट करते हैं। उनका दु:ख भी हर लेते हैं। इसके बाद लोग खुशी-खुशी अपने घर लौट जाते हैं। यही कारण है कि छपरा के बेलपतिया बाबा लोगों के लिए भगवान स्वरूप हो गए हैं।

छपरा से शशि सिंह की रिपोर्ट 

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