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'सुशासन' के मुंह पर तमाचा ! हुजूर...आप ही के आदेश पर 'भ्रष्टाचार' के आरोपी अफसर हुए थे सस्पेंड, फिर निगरानी ने DA केस में मारा था छापा...अब चुपके से निलंबन मुक्त कर फिर से हो गई फील्ड पोस्टिंग, है न आश्चर्यजनक ?

'सुशासन' के मुंह पर तमाचा ! हुजूर...आप ही के आदेश पर 'भ्रष्टाचार' के आरोपी अफसर हुए थे सस्पेंड, फिर निगरानी ने DA केस में मारा था छापा...अब चुपके से निलंबन मुक्त कर फिर से हो गई फील्ड पोस्टिंग, है न आश्चर्यजनक ?

PATNA: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भ्रष्टाचार के आरोपी अफसर पर तुरंत कार्रवाई करने को कहा था. आदेश मिलते ही सुशासन को ठेंगा दिखा रहे भ्रष्टाचार के आरोपी अफसर को पहले निलंबित किया गया. इसके बाद डीए केस में विशेष निगरानी इकाई ने छापेमारी की थी. अगस्त-सितंबर 2021 का यह मामला काफी चर्चित हुआ था. लेकिन समय बीतने के साथ ही वह दागी अधिकारी फिर से फील्ड पोस्टिंग ले लिया. जबकि भ्रष्टाचार के आरोपी अफसर को जब तक क्लीनचिट नहीं मिल जाता, तब तक विभाग के स्तर से फील्ड में भेजने पर मनाही है. इस फार्मूले के तहत बड़ी संख्या में ऐसे दागी अफसर मुख्यालय की शोभा बढ़ा रहे. लेकिन इस सुशासन राज में कुछ भी संभव है. जिस अधिकारी को मुख्य़मंत्री के आदेश पर निलंबित किया गया, आय से अधिक संपत्ति केस में पटना से लेकर उत्तर प्रदेश तक छापेमारी की कराई गई. उसे फिर से फील्ड में मलाईदार पोस्टिंग मिल गई है. है न आश्चर्यजनक ? हालांकि ज्वाइन करने के दो माह बाद ही फिर से पोल खुलते दिख रही है. लगभग तीन करोड़ की सरकारी राशि गबन होते-होते बची है. शुक्र मनाइए कि OTP मैसेज पूर्व वाले अफसर के मोबाईल पर चला गया. दोषी चाहे जो होता लेकिन नई जगह पर भी करोड़ों का घोटाला हो चुका होता. 

अनुभूति श्रीवास्तव को मुख्यमंत्री के आदेश पर किया गया था सस्पेंड

मामला नगर विकास विभाग से जुड़ा है. नगर विकास विभाग ने 22 सितंबर 2023 को पदस्थापन की प्रतीक्षा में रहे अनुभूति श्रीवास्तव को रक्सौल नगर परिषद का कार्यपालक पदाधिकारी के तौर पर पोस्टिंग किया है. ये वही अनुभूति श्रीवास्तव हैं जिनके खिलाफ भभुआ नपं के कार्यपालक पदाधिकारी रहते भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे थे. जिलाधिकारी की जांच में आरोप प्रमाणित होने के बाद भी विभाग के स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही थी. इसके बाद भभुआ के एक वार्ड पार्षद ने 16 अगस्त 2021 को सीएम नीतीश जनता दरबार में सुशासन की पोल खोल दी. सुशासन की पोल खुलते ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हरकत में आ गये थे। फिर क्या था..... मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को तुरंत एक्शन लेने को कहा। मुख्यमंत्री का आदेश होते ही जो फाईल महीनों से दबी थी या दबा दी गई थी वह तेज रफ्तार से दौड़ने लगी। 16 अगस्त 2021 को पोल खुली और 18 अगस्त को निलंबन का आदेश जारी हो गया। इतना ही नहीं नगर विकास विभाग के उक्त विवादित अफसर के खिलाफ विशेष निगरानी इकाई ने आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज कर 1 सितंबर 2021 को ही हाजीपुर समेत पटना से लेकर यूपी तक छापेमारी की. विशेष निगरानी इकाई की जब छापेमारी हुई थी तब अनुभूति श्रीवास्तव का स्थानांंतरण हाजीपुर हो गया था. एसवीयू की छापेमारी में अकूत संपत्ति मिलने का दावा किया गया था. 

रक्सौल का नया मामला जानिए....

रक्सौल नगर परिषद में बड़ा फर्जीवाड़ा कर 3 करोड़ गबन करने का प्रयास का खुलासा हुआ है। बताया जा रहा है की बैंक और ट्रेजरी की तत्परता से रक्सौल नगर परिषद के तीन करोड़ की राशि गबन होते होते बच गयी। रक्सौल नगर परिषद के विभागीय पोर्टल पर लॉगिन कर ओटीपी जनरेट कर करीब 2 करोड़ 62 लख रुपए हैक करने की कोशिश की गई. यह राज तब खुला जब ओटीपी पूर्व के कार्यपालक पदाधिकारी के मोबाइल पर चला गया. जानकार बताते हैं कि देर रात राशि भुगतान को लेकर ओटीपी जाने के बाद पूर्व अधिकारी के कान खड़े हो गए. इसके बाद इसकी जानकारी नप के कुछ लोगों को हो गई. दो-तीन दिनों तक मामले को रफा दफा करने की कोशिश होती रही. लेकिन पाप छुप नहीं सका. अब नगर परिषद के कंप्यूटर ऑपरेटर अजीत श्रीवास्तव ने नगर परिषद के ही ऑपरेटर आशीष कुमार वह अज्ञात के खिलाफ मोतिहारी साइबर थाने में एफआईआर दर्ज कराई है. साइबर थाने की पुलिस मामले की जांच कर रही है. बताया जाता है कि नगर परिषद के चार बैंक खाते से करोड़ों रू ट्रांजैक्शन का प्रयास किया गया. हालांकि यह सफळ नहीं हो सका है. लेकिन एक बात तो स्पष्ट हो गई कि भ्रष्टाचार के आरोपी अफसर अनुभूति श्रीवास्तव के रक्सौल नगर परिषद के ईओ बनने के बाद एक बार फिर से चर्चा शुरू हो गई.

एसवीयू के अनुसंधान में है अनुभूति श्रीवास्तव का केस 

बता दें, विशेष निगरानी इकाई ने तत्कालीन ईओ अनुभूति श्रीवास्तव के खिलाफ 31 अगस्त 2021 को पीसी एक्ट के तहत कांड संख्या 1/21 दर्ज किया था. निगरानी विभाग की तरफ से जून 2023 तक का केस अपडेट दिया गया है. जिससे यह पता चलता है कि इनके खिलाफ केस अभी अनुसंधान में है. आखिर भ्रष्टाचार के इतने बड़े आरोपी को फील्ड पोस्टिंग देने की नौबत क्यों आई ? क्या विभाग को अफसर नहीं मिल रहे थे या फिर यहां भी कोई बड़ी सेटिंग हुई है ? तभी तो डीए केस में कितने अफसर अभी भी सड़क पर हैं, विभाग के स्तर से उन्हें फील्ड में नहीं भेजा जा रहा. ऐसे में नगर विकास विभाग ने भ्रष्टाचार के आरोपी को फिर से फील्ड में क्यों भेजा ? ऐसा लगता है कि दागी को फील्ड में पोस्टिंग देकर नगर विकास विभाग ने अपने मुख्यमंत्री के जीरो टॉलरेंस की नीति को ही ठेंगा दिखाया है. हालांकि इस मामले पर विभाग का कोई अधिकारी बोलने को तैयार नहीं. 




  


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