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दुुश्मनों को हराने के लिए भारतीय जवान बनेंगे 'मिस्टर इंडिया'

दुुश्मनों को हराने के लिए भारतीय जवान बनेंगे 'मिस्टर इंडिया'

न्यूज4नेशन डेस्क। चीन से मुकाबला करने के लिए भारतीय जवान मिस्टर इंडिया की तरह अदृश्य हो सकेंगे। इस संबंध में सेना के अधिकारियों ने बताया कि आनेवाले कुछ सालों में ऐसा संभव हो सकेगा।

ये किसी साइंस फिक्शन की बात नहीं हो रही, बल्कि ऐसा सचमुच हो सकता है। दरअसल, दक्षिण कोरिया ने इस दिशा में काम भी शुरू कर दिया है. उन्होंने हाल ही में ऐसी cloaking skin तैयार की, जिसे पहनने के बाद सैनिक या कोई भी अपने आसपास के वातावरण में ऐसा घुलमिल जाए कि दिखाई न दे. वहां के वैज्ञानिकों की ये कोशिश वैज्ञानिक जर्नल एडवांस्ड फंक्शनल मटेरियल्स में छपी है. ये कोई ऐसी-वैसी स्किन या कपड़े नहीं होंगे, बल्कि पूरी तरह से अत्याधुनिक होंगे. ये थर्मल-कंट्रोल्ड होंगे और कुछ इस तरह से तैयार होंगे कि सैनिक इस पहनने के बाद थर्मल इमेजिंग कैमरा को भी देख सके. इससे सैनिकों को पकड़ना मुश्किल हो जाएगा, बल्कि वे ही उल्टे दुश्मन सेना में सेंध लगा सकेंगे. साथ ही ये काफी फ्लेक्जिबल भी होंगे ताकि सब पर फिट आ सकें। अनुमान लगाया जा रहा है कि जल्द ही बहुत से देशों की सेनाएं इसे ले सकेंगी. हालांकि अब तक ऐसी कोई निश्चित जानकारी नहीं आई है कि दक्षिण कोरिया और किसी देश के बीच इसे लेकर कोई करार हुआ हो. 

 एक रिपोर्ट में भारतीय सेना के एक अधिकारी ने कहा है कि दुनिया के सबसे ऊंचे लड़ाई के मैदान में इस तरह की आर्टिफिशियल स्किन काफी कारगर हो सकती है. खासकर चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के नापाक इरादों से निपटने में ये मदद कर सकता है. हालांकि अब तक ये भी नहीं पता है कि कोरियाई वैज्ञानिकों ने क्या इस ऐसे तैयार किया है कि बेहद सर्दी में भी ये उसी तरह से काम करें. बता दें कि फिलहाल इंडियन आर्मी के पास इस तरह की यूनिफॉर्म होती है, जो लड़ाई के मैदान में कुछ हद सैनिकों को छिपा सकें. जैसे जमीनी इलाकों में लड़ाई होने पर घास-मिट्टी से मिलती-जुलती यूनिफॉर्म रहती है, जबकि बर्फीले इलाकों में सफेद. इसके बाद भी सैनिक दिखाई देते ही हैं. तो दक्षिण कोरिया की आर्टिफिशियल स्किन वाली तकनीक मददगार हो सकेगी. दक्षिण कोरिया और चीन के रिश्ते पहले से ही तनावपूर्ण रहे हैं. ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि वो इस तकनीक का सौदा भारत से कर ले. हालांकि अगर ऐसा न होकर चीन के साथ भी ये सौदा हुआ तो भारत शायद इसका इस्तेमाल करने से परहेज करे. 

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