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निगरानी केस में देरी से आरोपी अफसरों को सीधा फायदा ! 'उत्पाद विभाग' में दागी भी महत्वपूर्ण पद व फील्ड पोस्टिंग की रेस में, CM नीतीश की साख पर लगेगा बट्टा

निगरानी केस में देरी से आरोपी अफसरों को सीधा फायदा ! 'उत्पाद विभाग' में दागी भी महत्वपूर्ण पद व फील्ड पोस्टिंग की रेस में, CM नीतीश की साख पर लगेगा बट्टा

PATNA:  बिहार में भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ निगरानी ब्यूरो कार्रवाई करती है. ब्यूरो की टीम रिश्वत लेते सरकारी सेवकों को गिरफ्तार करती है, साथ ही आय से अधिक संपत्ति का (DA) केस दर्ज करती है. लेकिन सबसे बड़ी चिंता यह है कि केस सालों-साल तक लंबित रहता है. इसका फायदा वो सीधे उठाते हैं जिन्हें निगरानी रिश्वत लेते गिरफ्तार करती है या फिर जिनके खिलाफ डीए केस दर्ज करती है. अब इस मामले को देखिए. निगरानी ने उत्पाद विभाग के एक इंस्पेक्टर को 2007 में रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था. आज तक उस केस में खास प्रगति नहीं हुई। केस लंबित है. नतीजा यह हुआ कि आरोपी अधिकारी प्रमोशन पा लिया. अब पोस्टिंग की तैयारी है. हालांकि नीतीश सरकार ने व्यवस्था कर रखी है कि निगरानी केस में फंसे सरकारी सेवकों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं दी जानी है. 

निगरानी केस में देरी से आरोपी अफसरों को सीधा फायदा  

मद्ध निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग ने 29 अक्टूबर को अपने 7 अधिकारियों को  मद्ध निषेध उपायुक्त में प्रोन्नत्ति दी थी. इनमें से एक हैं सुरेंद्र प्रसाद. अब तक ये मद्ध निषेध निरीक्षक के पद पर ही कार्यरत थे. इन्हें भी अब उपयुक्त बनाया गया है. हालांकि प्रोन्नत्ति की अधिसूचना में एक क्लॉज़ लगाया गया है. जिसमें कहा है की निगरानी केस के फलाफल से आपकी प्रोन्नत्ति प्रभावित होगी. बता दें, सुरेंद्र प्रसाद 2007 में समस्तीपुर में एक्साइज इंस्पेक्टर के पद पर तैनात थे. तभी इन्हें निगरानी ने रिश्वत लेने का केस दर्ज किया था. सुरेंद्र प्रसाद के खिलाफ 20 अप्रैल 2007 को ट्रैप केस दर्ज हुआ था, केस नंबर है 53/2007. निगरानी ब्यूरो की तरफ से दागियों और उनके केस का जो अपडेट दिया गया है उसमें सुरेन्द्र प्रसाद के खिलाफ CS-95/07 18.06.07 दर्ज है. इसके अलावे कोई जानकारी नहीं दी गई है. यानि केस पेंडिंग है. 

निगरानी ने उत्पाद विभाग के 10 लोगों के खिलाफ दर्ज किया है केस 

निगरानी की तरफ से जो जानकारी दी गई है उसमें 2007 से लेकर अब तक उत्पाद विभाग के 10 सरकारी सेवकों के खिलाफ डीए और ट्रैप केस दर्ज किया गया है. उनमें हैदर अली, सरोज कुमार, महेंद्र चौधरी, सुजीत कुमार सिंह, (प्रियंका कुमारी वाल्मीकि सिंह-प्राईवेट आदमी) संजय कुमार, सुरेंद्र प्रसाद, विजय कुमार चौरसिया, राधे कृष्णा सिंह और सीताराम महतो शामिल हैं. इसके अलावे विशेष निगरानी इकाई ने 7 दिसंबर 2021 को मोतिहारी के तत्कालीन उत्पाद अधीक्षक अविनाश प्रकाश के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का केस (05/21) दर्ज कर छापेमारी की थी. इस केस की जांच अभी भी जारी है. इधर विभाग ने उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही प्रारंभ किया है. विशेष निगरानी इकाई की तरफ से ही यह जानकारी सार्वजनिक की गई है.

दागियों की महत्वपूर्ण व फील्ड पोस्टिंग से नीतीश की यूएसपी को लगेगा धक्का 

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक विभाग में तबादले की फाईल बड़ी तेजी से दौड़ रही है. खबर है कि निगरानी केस के आरोपी भी अच्छी जगह पाने की कोशिश कर रहे हैं. विभागीय सूत्र बताते हैं कि निगरानी के ट्रैप केस में फंसे अफसर, विशेष निगरानी इकाई द्वारा 2021 में उत्पाद अधीक्षक के खिलाफ दर्ज किए गए आय से अधिक संपत्ति केस में आरोपी समेत अन्य मनचाही जगह पोस्टिंग को लेकर प्रयास कर रहे हैं. बड़ा सवाल यही है कि क्या सीएम नीतीश कुमार ने जो व्यवस्था बना रखी है, उसमें कोर्ट से बिना क्लीन चिट मिले दागियों को राजधानी में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है ? दूसरे को फील्ड में उत्पाद अधीक्षक जैसे महत्वपूर्ण जगह पर पोस्टिंग दी जा सकती है ? वो भी तब जब उत्पाद विभाग खुद जेडीयू के कोटे में है. अगर ऐसा होता है तो सीएम नीतीश की यूएसपी को गहरा धक्का लगेगा. वैसे भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दागियों को फील्ड पोस्टिंग पर परिवहन विभाग के आदेश को पलटवा दिया था. 



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