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"सौ चूहा खाकर बिल्ली चली हज करने, पूर्व मुख्यमंत्री ने शराबबंदी को लेकर सीएम पर लगाया गंभीर आरोप, कहा- 2005 से 2010 तक तो....

"सौ चूहा खाकर बिल्ली चली हज करने, पूर्व मुख्यमंत्री ने शराबबंदी को लेकर सीएम पर लगाया गंभीर आरोप, कहा- 2005 से 2010 तक तो....

PATNA: हम पार्टी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी शराबबंदी कानून के खिलाफ अक्सर बयान देते रहते हैं। उन्होंने कई बार अपने बयान के जरिए बिहार में शराबंबदी कानून खत्म करने की मांग भी की है। वहीं एक बार फिर जीतनराम मांझी ने वीडियो जारी करके शराब सेवन के फायदों का बखान किया है। मांझी ने कहा कि, शराब एक पेय पदार्थ है और इसकी आवश्यकता के अनुसार सेवन फायदेमंद है। इस बात को कई बार कह चुके हैं। खासकर कामगारों को एक सीमित मात्रा में शराब की आवश्यकता होती है, इसको सदैव कहते रहे हैं। लेकिन हमारे बयान को लेकर सब बोलते हैं तो कि मांझी शराब पीने के लिए बोलते हैं।

पूर्व सीएम ने सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि, सीएम नीतीश "सौ चूहा खाकर बिल्ली चली हज करने" वाला काम कर रहे हैं। 2005 से 2010 तक इन्होंने घर घर में शराब बिकवा दिया और अब बनते हैं कि हम ही सबसे बड़े शराब विरोध हैं। हम तो बोलते हैं कि बिहार सरकार को गुजरात सरकार से कुछ सीखना चाहिए।   

वहीं जीतनराम मांझी ने गुजरात सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा कि, गुजरात सरकार ने गिफ्ट सिटी के नाम पर शराब को खुला छोड़ दिया है। इससे राज्य को फॉरेन एक्सचेंज मिलता है। बिहार में तो शराबबंदी के कारण पर्यटन क्षेत्र डैमेज हुआ है। बिहार में आज शराबबंदी नहीं होती तो पर्यटकों की संख्या अधिक होती। सरकार भले ही दावा कर रही है कि पर्यटकों की संख्या में इजाफा हुआ है वह इजाफा सिर्फ कागजों पर ही सीमित है। गया में जितने विदेशी पर्यटक आ रहे हैं शाम को एक भी पर्यटक गया में नहीं रह रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि, शराब के लिए पयर्टकों को या तो उन्हें यूपी बनारस जाना पड़ता है या फिर झारखंड के हजारीबाग या पश्चिम बंगाल जाते हैं। यदि बिहार में शराबबंदी नहीं होती और यहां शराब मिलता तो पर्यटक यहां रुकते और सरकार को रेवेन्यू का फायदा होता। जीतनराम मांझी ने नीतीश सरकार को सलाह देते हुए कहा कि, गुजरात मॉडल के तर्ज पर बिहार में शराबबंदी होनी चाहिए। बिहार सरकार को गुजरात सरकार से सीख लेनी चाहिए, जिससे बिहार को शराबबंदी से रेवेन्यू का नुकसान न हो। 

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