DESK : देश के सभी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और सभी राज्यों के मुख्यमंत्री के साथ आज प्रधानंमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैठक की। छह साल बाद आयोजित संयुक्त सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आज न्यायपालिका और सरकार का दायित्व अब बढ़ गया है। देश के सीजेआई एनवी रमना और कानून मंत्री किरण रिजिजु की उपस्थिति में प्रधानमंत्री ने कहा कि 2047 में जब देश आजादी के 100 साल पूरा करेगा तब हम कैसा देश चाहते हैं, हम किस तरह अपने न्याय व्यवस्था को इतना समर्थ बनाएं कि वो 2047 के भारत की आकांक्षाओं को पूरा कर सके, उन पर खरा उतर सके, ये प्रश्न आज हमारी प्राथमिकता होना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 2015 में हमने करीब 1800 ऐसे कानूनों को चिन्हित किया था जो अप्रासंगिक हो चुके थे। उन्होंने कहा कि इनमें से केंद्र ने 1450 कानूनों को खत्म कर लोगों को राहत दी है। लेकिन राज्यों की तरफ से केवल 75 कानून ही खत्म किए गए हैं।
स्थानीय भाषा के इस्तेमाल पर जोर
पीएम ने साथ ही कोर्ट में स्थानीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने की भी बात कही। इस दौरान PM ने कहा- हमें कोर्ट में स्थानीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने की जरूरत है। इससे देश के आम नागरिकों का न्याय प्रणाली में भरोसा बढ़ेगा, वो उससे जुड़ा हुआ महसूस करेंगे। देश में 3.5 लाख कैदी अंडर ट्रायल हैं, इनके मसले को निपटाने पर जोर दिया जाए। मैं सभी मुख्यमंत्रियों और हाईकोर्ट के जजों से इस पर ध्यान देने की अपील करता हूं।
राज्यों की दी बड़ी नसीहत