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पुणे पोर्श कांड में आरोपी युवक के बाप-दादा के बाद मां भी अरेस्ट, अस्पताल में ब्लड सैंपल बदलवाने का है आरोप

पुणे पोर्श कांड में आरोपी युवक के बाप-दादा के बाद मां भी अरेस्ट, अस्पताल में ब्लड सैंपल बदलवाने का है आरोप

PUNE : महाराष्ट्र के पुणे में बीते 19 मई को तीन करोड़ की पोर्श  कार से दो लोगों की जान लेनेवाले नाबालिग युवक का पूरा परिवार अब जेल की सलाखों के पीछे चला गया है। जहां मामले में खुद नाबालिग आरोपी के साथ  उसके पिता और दादा को जेल भेजा  गया है। वहीं अब आरोपी की मां शिवानी अग्रवाल को भी पुलिस ने अरेस्ट कर लिया है और आज उसे कोर्ट में पेश किया जाएगा।

पुलिस की जांच में अब सामने आया था कि शराब के नशे में धुत नाबालिग के ब्लड सैंपल को उसकी मां के ब्लड सैंपल से ही बदला गया था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक नाबालिग लड़के की मां शिवानी अग्रवाल ने पुणे के ससून जनरल अस्पताल में अपना ब्लड सैंपल दे दिया था। 

बताया जा रहा है नाबालिग आरोपी की मां शिवानी अग्रवाल ने बेटे के ब्लड सैंपल से ना केवल छेड़छाड़ की थी बल्कि इसे बदल भी दिया था. जैसे ही यह खबर सामने आई तो शिवानी अंडरग्राउंड हो गई। फाइनली पुणे पुलिस ने उसे खोज निकाला है. वह कल रात मुंबई से पुणे आई थी। नाबालिग आरोपी की मां को जस्टिस जुवेनाइल बोर्ड (जेजे बोर्ड) के ऑब्जर्वेशन होम में ले जाया गया है। 

अब पुणे क्राइम ब्रांच नाबालिग आरोपी से उसकी मां की मौजूदगी में पूछताछ कर रही है. दोनों से खून की अदला-बदली मामले में पूछताछ की जाएगी। इस मामले में ससून अस्पताल के दो डॉक्टर और एक वार्ड बॉय पहले से ही पुलिस की हिरासत में हैं। आरोपी के पिता पर भी ब्लड सैंपल हेराफेरी के मामले में मामला दर्ज किया गया है। इस सैंपल को ही उनके बेटे के सैंपल के साथ बदल दिया गया। जिसके लिए 50 लाख रुपए अस्पताल के डॉक्टरों को दिया गया था।

नाबालिग के पिता और डॉक्टर के बीच 14 कॉल

पुलिस सूत्रों ने बताया कि नाबालिग के रक्त के नमूने एकत्र किए जाने से पहले, नाबालिग के पिता विशाल अग्रवाल ने डॉ. तावड़े से वाट्सऐप और फेसटाइम कॉल के साथ-साथ एक जनरल कॉल के जरिए बात की थी। दोनों के बीच कुल 14 बार कॉलिंग हुई। ये कॉल 19 मई की सुबह 8.30 बजे से 10.40 बजे के बीच किए गए थे. बता दें कि नाबालिग के ब्लड सैंपल सुबह 11 बजे लिए गए थे।

दरअसल, फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) की रिपोर्ट में पहले ब्लड सैंपल में अल्कोहल नहीं पाया गया. संदेह होने पर एक दूसरे अस्पताल में फिर टेस्ट किया गया. यहां डीएनए टेस्ट से खुलासा हुआ कि ब्लड सैंपल दो अलग-अलग व्यक्तियों के थे. दूसरे टेस्ट की रिपोर्ट सामने आने के बाद पुलिस को शक हुआ कि ससून अस्पताल के डॉक्टरों ने आरोपी को बचाने के लिए सबूतों के साथ छेड़छाड़ की है

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