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यूपी के बाद हिमाचल में भी राज्यसभा चुनाव में हुआ खेला, कांग्रेस के नौ विधायकों ने भाजपा उम्मीदवार को दिया वोट, सरकार पर भी खतरा

यूपी के बाद हिमाचल में भी राज्यसभा चुनाव में हुआ खेला, कांग्रेस के नौ विधायकों ने भाजपा उम्मीदवार को दिया वोट, सरकार पर भी खतरा

DESK : राज्यसभा चुनाव को लेकर न सिर्फ यूपी में क्रॉस वोटिंग हुई है। बल्कि ऐसी ही स्थिति हिमाचल प्रदेश में भी नजर आयी है। यहां हुए राज्यसभा के एकमात्र सीट के लिए चुनाव में कांग्रेस के कम से कम नौ विधायकों ने अपनी पार्टी के उम्मीदवार के पक्ष में वोट न देकर भाजपा कैंडिडेट को वोट दिया है। राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के पीछे हिमाचल कांग्रेस की गुटबाजी को मुख्य वजह बताया जा रहा है।

बंटी हुई है कांग्रेस

दरअसल, हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के दो धड़े हैं. एक धड़ा वीरभद्र सिंह समर्थकों का है जिसे प्रतिभा सिंह लीड करती हैं. दूसरा धड़ा है ऐसे विधायकों और नेताओं का, जो सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ हैं.

अभिषेक मनु सिंघवी हैं कांग्रेस के उम्मीदवार

कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी के खिलाफ बीजेपी ने कभी वीरभद्र सिंह के करीबी रहे हर्ष महाजन को उम्मीदवार बनाया है. हर्ष महाजन के कांग्रेस के कई विधायकों के साथ अच्छे संबंधों की चर्चा भी होती रही है. इसे लेकर कांग्रेस सतर्क भी थी. 

कांग्रेस ने जारी किया थी व्हिप

एक दिन पहले ही विधायक दल की बैठक में विधायकों को पार्टी लाइन पर रहकर वोट करने के लिए कहा गया था. कांग्रेस ने व्हिप जारी कर यह भी कहा था कि वोट किसको दे रहे हैं, ये विधायकों को पोलिंग एजेंट को दिखाना होगा


बीजेपी कैंडिडेट ने कहा- क्रॉस वोटिंग हुई तो यह कांग्रेस की गलती

बीजेपी उम्मीदवार हर्ष महाजन ने कहा है कि मैं सबको जानता हूं. मैंने सबसे वोट मांगा है. अब रिजल्ट आएगा तब पता चल जाएगा. उन्होंने क्रॉस वोटिंग को लेकर सवाल पर कहा कि अगर ऐसा हुआ है तो हमारी गलती थोड़ी है. कांग्रेस के विधायक सीएम की कार्यशैली से नाराज हैं. इसी नाराजगी में क्रॉस वोटिंग हुई है जो उनकी गलती है।

कांग्रेस की मौजूदा सरकार पर भी खतरा

हिमाचल प्रदेश में नौ विधायकों के क्रॉस वोटिंग से न सिर्फ राज्यसभा चुनाव में पार्टी की हार का खतरा बढ़ गया है. बल्कि मौजूदा प्रदेश सरकार डंवाडोल होने की स्थिति में आ जाएगी। हिमाचल में 68 विधानसभा सीट हैं। जिसमें कांग्रेस के 40, बीजेपी के 25 और दो निर्दलीय समेत तीन अन्य विधायकों का समर्थन भी सुक्खू सरकार के साथ है. 

यानी कांग्रेस के पक्ष में 43 विधायक हैं और बीजेपी के पास 25. अब अगर नौ विधायकों ने कांग्रेस की जगह बीजेपी के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की है तो ऐसी स्थिति में बीजेपी का वोट गणित 34 पहुंच जाएगा. कांग्रेस भी 43 से घटकर प्रथम वरीयता के 34 वोट पर आ जाएगी. सीट जीतने के लिए प्रथम वरीयता के 35 वोट चाहिए होंगे.

अगर दोनों में से किसी भी दल के पास यह संख्याबल नहीं रहा तो बात दूसरी वरीयता के वोट पर जाएगी. ऐसा हुआ तो बीजेपी को विश्वास है कि कांग्रेस के कई विधायक दूसरी वरीयता का वोट हर्ष को देंगे और पार्टी जीत जाएगी।


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