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अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग संघ का वर्चुअल सम्मेलन, बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर किया गया बड़ा एलान

अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग संघ का वर्चुअल सम्मेलन, बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर किया गया बड़ा एलान

पटना : अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग संघ की तरफ से वर्चुअल कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन किया गया. ये वर्चुअल सम्मेलन के जरिए अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष इन्द्र कुमार सिंह चन्दापुरी ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को बड़ा एलान किया. 

वर्चुअल कार्यकर्ता सम्मेलन में राष्ट्रीय अध्यक्ष इन्द्र कुमार सिंह चन्दापुरी ने कहा कि नई सरकार में पुरानी नीतियां ही चल रही है. जिसके कारण सरकार के सभी स्तर की नौकरियों की नियुक्तियों में, स्थानांतरण व पदोन्नति में, दाखिला एवं छात्रवृत्तियों में, यहां तक की मेधासूची में शीर्ष पर आने वाले पिछड़े वर्गों के अभ्यर्थियों को सामान्य श्रेणी में शामिल करने के सिलसिले में पिछड़े वर्गों के संवैधानिक अधिकारों को पूरी तरह कुचला जा रहा है.  देश में मंडल आयोग को पूर्णतः लागू करने में आ रही कानूनी अड़चनों को शीघ्र दूर करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र भेजा है, किन्तु उस पर कोई कार्रवाई न होना घोर चिंता का विषय है. इसे लेकर पिछड़े वर्गों में काफी आक्रोश है और यह मुद्दा आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा बनेगा.

आगे इन्द्र कुमार सिंह चन्दापुरी कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सरकारी नौकरियों में और विकास के दौर में पीछे रह गए पिछड़े, अति पिछड़े व वंचित जातियों के लिए योजनाएं बनाने, आबादी के अनुसार आरक्षण के कोटा को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार से जाति आधारित जनगणना कराने हेतु दूसरी बार विधानसभा से प्रस्ताव पारित करा कर भेजा है. 2019 में तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी लोकसभा में बताया था कि 2021 में ओबीसी की जनगणना की जाएगी, किन्तु इस मुद्दे से सरकार मुकर गई है जो राष्ट्र की प्रगति के लिए घातक है.

राजनीति का क्षेत्र सोना पैदा करने की खान और एक व्यवसाय बन गया है. आज देश पर 88.16 लाख करोड़ रुपए विदेशी कर्ज है. जिससे केवल 121 अरबपतियों की जेब भरी है. इस नई आर्थिक नीति के लागू होने के बाद से भारत 'गरीबी की कब्रगाह' और नब्बे प्रतिशत लोग गरीबी की गर्त में धकेल दिए गए हैं. ऑक्सफेम की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक इन अरबपतियों ने 20,913 अरब रुपए की कमाई की है, जो भारत सरकार के बजट के बराबर है. लगभग 48 करोड़ युवक - युवतियां बेरोजगार हैं और अंतरराष्ट्रीय पैमाने पर नब्बे प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे हैं. जिन्हें न तो मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध है और न ही पीने के लिए साफ पानी. नब्बे प्रतिशत गर्भवती महिलाएं एवं सत्तर प्रतिशत बच्चे एनीमिया बीमारी से ग्रसित हैं. देश की अर्थव्यवस्था की यह जमीनी सच्चाई है. देश का मौजूदा विकास का मॉडल रोजगार विहीन है. और देश "ऋण जाल" यानी कर्ज चुकाने के लिए कर्ज लेने की स्थिति में डूबा हुआ है, ऐसी परिस्थिति में नरेंद्र मोदी द्वारा कोरोना जैसे आपदा को अवसर बताकर 20 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज लेने की घोषणा न केवल देश की संप्रभुता के साथ बेईमानी है बल्कि भारत की गुलामी का इजहार भी.

 इन्द्र कुमार सिंह चन्दापुरी में अपने संबोधन में आगे बताया कि बिहार की स्थिति को सबसे ज्यादा दयनीय है. विकास के साथ बाढ़ - सुखाड़ एवं गरीबी पर नियंत्रण करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग केंद्र सरकार से बार - बार की है. नरेंद्र मोदी से इसे शीघ्र लागू करने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि यह मुद्दा 2020 बिहार विधानसभा चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा होगा.

वर्चुअल सम्मेलन में संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ एम ए खान, महाराष्ट्र अध्यक्ष प्रदीप ढोबले, झारखंड अध्यक्ष वसंत चौहान, राष्ट्रीय महासचिव सह झारखंड प्रभारी सुशील कुमार सिंह, बिहार के कार्यकारी अध्यक्ष जितेंद्र कु. चंद्रवंशी, उत्तर प्रदेश प्रभारी हरीश गंगवार, युवा मोर्चा बिहार अध्यक्ष ओम प्रकाश यादव , यूपी युवा मोर्चा अध्यक्ष श्याम जी, झारखंड महासचिव रामदेव विश्वबंधु, दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष कासिम खान, तमिलनाडु अध्यक्ष दिनेशन आजाद,  सुनीता पाटिल, सचिव अशोक सिंह पटेल, अलप भाई पटेल, के एस कटियार समेत संघ एवं कई संगठनों के प्रमुख संचालक गण मौजूद रहे.

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