सुशासन राज में भ्रष्टाचारः 4.5 करोड़ के दवा घोटाले में प्रधान लिपिक की अग्रिम जमानत याचिका खारिज, अब एक और लिपिक जमानत के लिए पहुंचे कोर्ट

PATNA: मोतिहारी सदर अस्पताल में 4.5 करोड़ के दवा घोटाला केस में जिला जज की अदालत ने प्रधान लिपिक की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है. सोमवार 24 जून को ही सदर अस्पताल के प्रधान लिपिक संजय सिन्हा की अग्रिम जमानत याचिका अदालत ने खारिज कर दिया. इधर, दवा घोटाले में 2017 में नगर थाने में दर्ज केस में एक और लिपिक ने जिला जज की अदालत में अग्रिम जमानत की याचिका लगाई है.
एक की अग्रिम जमानत याचिका खारिज,दूसरे पहुंचे कोर्ट
मोतिहारी सिविल सर्जन/सदर अस्पताल के एक और लिपिक अनूप चंद ने 24 जून को जिला अदालत में अग्रिम जमानत की याचिका लगाई है. जिस पर कल 26 जून को सुनवाई होगी. सेक्शन 438 के तहत कोर्ट से अग्रिम जमानत की मांग की गई है. इसके पहले मोतिहारी सदर अस्पताल के प्रधान लिपिक संजय कुमार सिन्हा ने भी अग्रिम जमानत के लिए ने कोर्ट में फाइल किया था. 6 मई 2024 को इन्होंने मोतिहारी जिला जज की अदालत में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की थी,जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया.
मोतिहारी सदर अस्पताल में करीब चार करोड़ 50 लाख 77 हजार रुपये के दवा घोटाले के मामले में नया मोड आ गया है. नामजद आरोपियों को 2017-18 में ही पटना हाईकोर्ट से थोड़ी देर के लिए रिलीफ मिला था. 2024 में इस केस में नया नाम जुड़ गया है. पहले सदर अस्पताल के प्रधान लिपिक संजय सिन्हा अग्रिम जमानत के लिए मोतिहारी जिला अदालत पहुंचे,पीछे से दूसरे लिपिक अनूप चंद ने भी अग्रिम जमानत की याचिका लगाई है. पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, दवा घोटाले मामले में कई सरकारी सेवकों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है. पुलिस अनुसंधान में नाम आने के बाद संजय सिन्हा, अनूप चंद अग्रिम जमानत के लिए न्यायालय की शरण में पहुंचे हैं. मोतिहारी नगर थाना केस संख्या 232-2017 में मोतिहारी सिविल सर्जन-सदर अस्पताल के कर्मी अग्रिम जमानत के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
घोटाले में नाम आने के बाद भी महत्वपूर्ण पद पर बने हैं....
हालांकि इतने बड़े घोटाले में नाम आने के बाद भी वे सभी महत्वपूर्ण जिम्मा संभाल रहे हैं. इतने बड़े घोटाले में संदिग्ध भूमिका के बाद भी सदर अस्पताल के प्रधान लिपिक पर तीन-तीन फाईल का जिम्मा दिया गया है. बताया जाता है कि संजय सिन्हा प्रधान लिपिक के साथ-साथ एक पीएचसी के लिपिक के चार्ज में हैं. साथ ही पोस्टमार्टम की भी फाईल डील कर रहे.घोटाले के आरोपी सरकारी सेवक ठाट से ड्यूटी बजा रहे हैं और महत्वपूर्ण फाइलों को निबटा रहे हैं. यह भी अपने आप में गंभीर इश्यू है.
4.50 करोड़ के घोटाले की दर्ज हुई थी प्राथमिकी
बता दें, मोतिहारी के तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ प्रशांत कुमार ने 5 अप्रैल 2017 को नगर थाना में केस दर्ज कराया था. दवा घोटाला करीब चार करोड़ 50 लाख 77 हजार रुपये का है.प्राथमिकी के अनुसार, बगैर किसी आदेश के आपूर्तिकर्ता कंपनी की ओर से करीब छह करोड़ की दवा आपूर्ति की गयी. जांच के दौरान भंडार में करीब 85 लाख सात हजार की दवा मिली. अनुलग्नक के अनुसार, जब भुगतान किया गया है वह ड्यू वाउचर के आधार पर किया गया है. हस्ताक्षर वाउचर पर है, लेकिन पंजी में उसका उल्लेख नहीं है.
मामले को लेकर तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ मीरा वर्मा शाही कॉलोनी हाजीपुर, डॉ यूएस पाठक तत्कालीन भण्डार चिकित्सक, भुनेश्वर श्रीवास्तव तत्कालीन प्रधान लिपिक डामोदरपुर गोविन्दगंज, ब्रह्मपुरा मुजफ्फरपुर निवासी मनोज कुमार व तुरकौलिया, वर्तमान में बेलबनवा निवासी अमित कुमार पर प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. सिविल सर्जन ने इन अधिकारियों व कर्मियों की मिलीभगत से बगैर दवा खरीद उक्त राशि के भुगतान का आरोप लगाया था. निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य विभाग डॉ आरडी रंजन ने पूर्व में प्राथमिकी का निर्देश दिया था. प्राथमिकी के बाद विभाग में हड़कंप मच गया था.