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Independence day: कितने आज़ाद है हम?, एक सवाल खुद से

Independence day: कितने आज़ाद है हम?, एक सवाल खुद से

15 अगस्त तो हर साल आता है, जश्न भी हर साल हम मानते है अपने-अपने तरीके से. 1947 को हमारा देश आज़ाद हो गया था, लेकिन आज़ादी के इतने साल बाद भी हम कितना आज़ाद, क्या कभी अपने खुद से ये सवाल पूछा है की हम और हमारा ये देश कितना आज़ाद है?. बॉर्डर पार हम शांति चाहते है लेकिन बॉर्डर के अंदर कितनी शांति है ये कभी सोचा है क्या? 


आज़ादी के बाद भी ऐसी कई सारी बेड़िया जो हमे तोड़नी है. अगर आप आज आज़ाद परिन्दे की तरह उड़ने से पहले सोच रहे है तो जी आप आज़ाद नहीं है. मानसिकता के बॉर्डर को पार करना ही असली आज़ादी है.

हमारे देश को अनेकता में एकता के लिए पूरी दुनिया में पहचाना जाता है. लेकिन क्या हम इस एकता के बंधन को निभा रहे है? नहीं, हिन्दू-मुस्लिम, सिख-ईसाई सब आपस में लड़ रहे हैं. और हमारी इस लड़ाई की आग में कुछ लोग अपनी राजनितिक रोटियां सेंक रहे हैं. आज़ाद है हम तो क्यों हम धर्म, जात-पात, ऊंच-नीच जैसी समाज की बेड़ियों में जकड़े हुए हैं. क्यों नहीं हम इन बेड़ियों को तोड़कर एक-दूसरे की तरफ दोस्ती और प्यार का हाथ बढ़ाएं.

हमारे देश में जब-जब किसी महिला का बलात्कार होता है, तो सबसे पहले उसको कैरेक्टर सर्टिफ़िकेट दिया जाता है. उसके बाद उसके कपड़ों को टारगेट किया जाता है. यहां तो बुर्क़ा पहनने वाली महिला, 6 महीने की बच्ची जिसने फ़्रॉक पहनी हुई थी और 100 साल की महिला का भी रेप होता है. अब इसके लिए कपड़े कैसे ज़िम्मेदार हो सकते हैं?. खुद को कितना आज़ाद कहते है आप?

आज हम तकनीक में मामले में जितना आगे बढ़ गए हैं कि कोई दर्द और पीड़ा दिल पर दस्तक नहीं दे पाता है. इंसानियत और मानवता तो मानो ख़तम ही हो गई है. यही वजह है, जब कोई सड़क पर मार रहा होता है, या किसी महिला के साथ दुर्व्यवहार हो रहा होता है, तब हम उसकी मदद करने या उसको हॉस्पिटल पहुंचाने की बजाये सेल्फ़ी लेना ज़रूरी समझते हैं. सेल्फ़ी किसी की ज़िन्दगी से बड़ी नहीं है, ये बॉर्डर क्रॉस करना आज की सबसे बड़ी ज़रूरत है, तभी हम एक सभ्य समाज बन पाएंगे.

व्हाट्सप्प पर कोई मैसेज आया, कोई नई ऐतिहासिक मूवी आयी, या कोई त्योहार ही आ गया. तलवार और टायर लेकर हम निकल जाते है दंगे करने लोग आपस में लड़-मर रहे हैं. पॉलिटिक्स करनी चाहिए लेकिन वो जिससे किसी का भला हो. सिर्फ़ अपने फ़ायदे के लिए की गई पॉलिटिक्स देश के लिए किसी काम की नहीं है.

जब तक हम मानसिकता के इन बेड़ियों को नहीं तोड़ेंगे पर इस बॉर्डर को पार नहीं करेंगे तब तक हमारा देश आज़ाद नहीं होगा क्यूंकि देशवासी ही आज़ाद नहीं है.

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