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श्री सीता प्राकट्य दिवस पर बोले कला संस्कृति मंत्री, राजकीय समारोह के रूप में जन्मोत्सव मनाने की करेंगे कोशिश

श्री सीता प्राकट्य दिवस पर बोले कला संस्कृति मंत्री, राजकीय समारोह के रूप में जन्मोत्सव मनाने की करेंगे कोशिश

DARBHANGA : श्री सीता प्राकट्य दिवस जानकी नवमी के उपलक्ष्य में मंगलवार को विद्यापति सेवा संस्थान के तत्वावधान में 'श्रीसीता पूजनोत्सव सह मैथिली दिवस समारोह आयोजित किया गया। स्थानीय एमएमटीएम कालेज के सभागार में आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन संयुक्त रूप से बिहार के श्रम संसाधन एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री जिवेश कुमार मिश्र, कला संस्कृति एवं युवा मामलों के मंत्री आलोक रंजन झा, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सुरेंद्र प्रताप सिंह, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो शशि नाथ झा, विधायक बेनीपुर के विधायक प्रो विनय कुमार चौधरी, नगर विधायक संजय सरावगी, पूर्व कुलपति द्वय पं देव नारायण झा एवं पं उपेंद्र झा, पूर्व विधान पार्षद डॉ दिलीप कुमार चौधरी, मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा व चेतना समिति के अध्यक्ष विवेकानंद झा ने मिलकर किया. मौके पर बतौर मुख्य अतिथि अपने संबोधन में बिहार के श्रम संसाधन एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री जिवेश कुमार मिश्र ने कहा कि माँ जानकी मिथिला की बेटी है। इस नाते उनका स्वागत और जानकी नवमी मनाना हम सभी मिथिलावासियों का दायित्व और कर्तव्य है। धन्य है मिथिला की धरती जहां मांँ मैथिली ने अवतार लिया। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम बनाने में मां सीता की भूमिका अहम है। उन्होंने कहा कि आज मिथिला को इफ्तार नहीं रफ्तार की जरूरत है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में साफ दिख रहा है। 

कला संस्कृति एवं युवा मामलों के मंत्री आलोक रंजन झा ने कहा कि हमलोग भाग्यशाली हैं, जो हम मिथिला में जन्म लिए। क्योंकि मिथिला माँ जानकी की है और माँ जानकी मिथिला की। माँ जानकी का जन्म मिथिला में होना हम सभी का सौभाग्य है। उन्होंने मौके पर दरभंगा के राज मैदान को अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम और जानकी नवमी को अगले साल से राजकीय पर्व के रूप मनाये जाने हेतु प्रयास करने की बात कही। सांसद डा गोपाल जी ठाकुर ने कहा कि मिथिला विद्वानों की धरती है। यहां की वाणी काफी मधुर है और यहाँ के लोग उससे भी अधिक धैर्यवान हैं। उन्होंने माँ जानकी को त्याग व समर्पण का बेहतर उदाहरण बताते कहा कि उन्होंने एक पत्नी, माँ, बेटी, बहू व भाभी की जो आदर्श छवि प्रस्तुत की। वह आज भी मिथिला की संस्कृति और संस्कार में कायम है, यह हमारे लिए गौरव की बात है। मां जानकी को त्याग व समर्पण की देवी बताते हुए कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो शशि नाथ झा ने कहा कि उनके जैसा उदात्त चरित्र संपूर्ण विश्व के इतिहास में मिलना असंभव है। मां जानकी को मैथिल संस्कृति की धरोहर बताते हुए बेनीपुर के विधायक प्रो विनय कुमार चौधरी ने कहा कि जानकी हमारी माता है जिनके प्रति सम्मान का भाव सिर्फ मिथिला के लोगों में ही नहीं, बाहर के लोगों के हृदय में भी धड़कता है। उन्होंने कहा कि मिथिला की भाषा मैथिली यदि समाज का आईना है तो इसकी धरोहर लिपि मिथिलाक्षर माँ जानकी का गहना है। उन्होंने मिथिलाक्षर के संवर्धन एवं संरक्षण के लिए इसे दैनिक प्रयोग में लाने पर बल दिया। नगर विधायक संजय सरावगी ने कहा कि सीताराम सदियों से भारतीय जनमानस के लिए आराध्य रहे हैं। पूर्व विधान पार्षद प्रो दिलीप कुमार चौधरी ने कहा कि यह हमारे लिए  गौरव की बात है कि मां जानकी का अवतरण मिथिला में हुआ। मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा ने बिहार राज्य गौरव गीत में अबतक मिथिला को स्थान नहीं मिलने और राजकाज की भाषा के रूप में मैथिली को दर्जा नहीं दिए जाने पर सवाल उठाया। समारोह में पूर्व कुलपति द्वय पं देव नारायण झा एवं पं उपेंद्र झा, एम एल एस एम कालेज की प्रधानाचार्य डा मंजू चतुर्वेदी, सीएम कालेज के प्रधानाचार्य डा फुलो पासवान, डा विद्यानाथ झा, डा ओमप्रकाश आदि ने भी विचार रखे। 

अध्यक्षीय संबोधन में मिथिला की मिट्टी को नमन करते हुए ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि मिथिला विभूतियों की जननी है। आध्यात्म व संस्कृति के क्षेत्र में कई विभूतियों को जन्म देकर मिथिला ने देश को समृद्ध किया है। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष डा मदन मोहन झा ने कहा कि दशरथ पुत्र भगवान राम कभी मर्यादा पुरुषोत्तम नहीं कहलाते यदि मां जानकी का उन्हें साथ नहीं मिला होता। आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि मां जानकी मिथिला के लोगों के रंग-रग में बसी हुई है। लेकिन यह सबसे बड़ी त्रासदी है कि मिथिला के लोगों को आज भी मां जानकी की तरह कदम कदम पर अग्निपरीक्षा के दौर से गुजरना पड़ता है। संस्थान के मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा संचालन में आयोजित कार्यक्रम में डा ममता ठाकुर, डा सुषमा झा, पं कुंज बिहारी मिश्र, दुखी राम रसिया,करण- अर्जुन, सुभद्रा झा आदि ने गीत-संगीत के स्वर लहरियों की छटा जमकर बिखेरी। वहीं तबला पर हीरा कुमार झा, इलेक्ट्रॉनिक बैंजो पर पं इन्द्र कांत झा आदि ने उंगली के जादू का जमकर प्रदर्शन किया। 

इससे पहले प्रातः कालीन बेला में सभागार में मां सीता की प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा कर शास्त्रीय विधि से पूजा-अर्चना की गई। इसके यजमान कार्यक्रम के संयोजक डा अमलेन्दु शेखर पाठक बने। पुरोहित के रूप में पं दधीचि की उल्लेखनीय उपस्थिति रही। पूजा अर्चना के दौरान गंधर्व कुमार झा ने सस्वर वेद ध्वनि की। जबकि वरिष्ठ साहित्यकार मणिकांत झा ने स्वरचित जानकी चालीसा का पाठ किया। कार्यक्रम में डा बुचरू पासवान, डा महेंद्र नारायण राम, प्रो विजय कांत झा, विनोद कुमार झा, प्रो चंद्रशेखर झा बूढ़ा भाई, दुर्गा नंद झा, डा गणेश कांत झा, डा उदय कांत मिश्र, आशीष चौधरी, पुरूषोत्तम वत्स, नवल किशोर झा, बालेंदु झा आदि उपस्थित थे। 

दरभंगा से वरुण ठाकुर की रिपोर्ट

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