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मुंगेर में फंस गए अशोक महतो ! पीयूष की हुंकार धानुकों हैं हमारे साथ, त्रिकोणीय मुकाबले का सज रहा मैदान

मुंगेर में फंस गए अशोक महतो ! पीयूष की हुंकार धानुकों हैं हमारे साथ, त्रिकोणीय मुकाबले का सज रहा मैदान

पटना. बिहार में सबसे हॉट लोकसभा सीटों में एक मुंगेर इस बार त्रिकोणीय चुनावी मुकाबले की ओर बढ़ रहा है. यहां से जदयू ने राजीव रंजन उर्फ़ ललन को उम्मीदवार बनाया है. वहीं दूसरी ओर राजद से कुख्यात अशोक महतो की पत्नी कुमारी अनीता मैदान में हैं. इन दोनों के बीच धानुक समाज से आने वाले पीयूष प्रियदर्शी भी चुनावी समर में उतरे हैं और इससे मुकाबला त्रिकोणीय होता जा रहा है. ललन सिंह मुंगेर से वर्ष 2009 से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं. उनकी जीत में हमेशा ही भूमिहार सहित सवर्ण एवं कुर्मी और धानुक वोटों की अहम भूमिका रही है. 

राजद ने इस बार कुमारी अनीता को उम्मीदवार बनाकर कुर्मी वोटों में सेंधमारी का प्लान तैयार किया है. अशोक महतो जो करीब 16 साल जेल में रहकर आए हैं उन्होंने कुछ दिन पूर्व ही 60 साल की उम्र में 46 साल की अनीता से विवाह रचाया. अब अनीता राजद से उम्मीदवार हैं. ऐसे में नवादा के इलाके में वर्ष 1990 और 2000 के दशक में आतंक का दूसरा नाम रहे अशोक महतो मुंगेर में जातीय समीकरण साधकर चुनाव जितने का फॉर्मूला तय करने में लगे हैं. वे यादव के साथ ही कुर्मी वोटों पर अपनी पकड़ बनाने में लगे हैं. 

हालांकि अशोक महतो के प्लान में इस बार पीयूष प्रियदर्शी सेंधमारी कर सकते हैं. पीयूष धानुक समाज से आते हैं. युवा और शिक्षित होने के साथ ही पिछले करीब 3-4 साल से मुंगेर के सभी विधानसभा क्षेत्रों में घूम घूमकर धानुकों को गोलबंद करने में जुटे हैं. मुंगेर में वोटों के समीकरण में धानुकों की अच्छी खासी तादाद है. ऐसे में धानुकों को अपने पक्ष में कर वे बड़े उलटफेर में लगे हैं. धानुकों के साथ ही पीयूष प्रियदर्शी खुद को साफ –सुथडा छवि का नेता बताते हैं. वहीं उनके मुकाबले में उतरे अशोक महतो के अपराधिक इतिहास को लेकर वे लोगो को सजग करने में लगे हैं. 

अशोक महतो पर जातीय नरसंहार का भी आरोप लगा था. इसमें सवर्णों के साथ ही धानुक बिरादरी के लोगों की हत्या में भी अशोक महतो पर आरोप लगे थे. अब चुनाव में इसे मुद्दा बनाकर उछाला जा रहा है. इससे धानुक वोटों को गोलबंद करने में पीयूष लगे हुए हैं. मुंगेर में लगातार पीयूष का जनसम्पर्क भी हो रहा है. पीयूष के समर्थकों का दावा है कि वे धानुकों के वोटों को साधने में सफल होंगे. साथ ही चुनाव मैदान में उन्हें जोरदार समर्थन मिलेगा और यह मुंगेर के मुकाबले को त्रिकोणीय बनाएगा. 


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