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कोविशील्ड वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने स्वीकारा, कोरोना वैक्सीन से जम सकता है खून का थक्का, कबूलनामे के बाद मचा हड़कंप

कोविशील्ड वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने स्वीकारा, कोरोना वैक्सीन से जम सकता है खून का थक्का, कबूलनामे के बाद मचा हड़कंप

नई दिल्ली: कोविड महामारी के दौर में वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों में शामिल एस्ट्राजेनेका ने सोमवार को यूके के कोर्ट में स्वीकार किया है और ये माना है कि एस्ट्राजेनेका के कोविड-19 वैक्सीन से शरीर को गंभीर परिणाम झेलने पड़ सकते हैं.

ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका कोविड वैक्सीन ने वैश्विक स्तर पर कोविशील्ड और वैक्सज़ेवरिया ब्रांड नामों के तहत दवाइयां बेची गई थी. इस दवा कंपनी को क्लास-एक्शन मुकदमे का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के सहयोग से विकसित उसके टीके से गंभीर चोटों और मौतों का आरोप लगाया गया है.

कोरोना की दवा बनाने वाली ब्रिटेन की फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका  ने पहली बार स्वीकार किया है कि उनकी कोविड-19 वैक्सीन से गंभीर साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं. एस्ट्राजेनेका ने यूके हाईकोर्ट में कबूल किया कि कोविड-19 वैक्सीन से थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम  जैसे साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं.  थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम से शरीर में खून के थक्के जमने  लगते हैं या बॉडी में प्लेटलेट्स तेजी से गिरने लगते हैं. बॉडी में ब्लड क्लॉट की वजह से ब्रेन स्ट्रोक या कार्डियक अरेस्ट की आशंकाएं बढ़ जाती हैं. 

बता दें कोविडशील्ड के खिलाफ कई परिवारों ने कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई थी कि एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन लगवाने के बाद उन्हें गंभीर परिणामों से गुजरना पड़ा है. ऐसे में कंपनी की ओर से स्वीकार किए गए इस बयान के बाद मौजूदा कानूनी लड़ाई पूरी तरह से याचिकाकर्ताओं के पक्ष में मुड़ गया है. इतना ही नहीं कंपनी का ये बयान वैक्सीन से जुड़े संभावित खतरों का भी खुलासा करता है.

एस्ट्राजेनेका ने यूके हाईकोर्ट के समक्ष वैक्सीन के साइड इफेक्टस के आरोपों को स्वीकार किया. लेकिन साथ में कंपनी ने वैक्सीन के पक्ष में अपने तर्क भी रखे. बता दें कि कंपनी इस वैक्सीन को दुनियाभर में कोविशील्ड और वैक्सजेवरिया नाम से बेचती है. 

ब्रिटेन की कई मीडिया रिपोर्टों के अनुसार एस्ट्राजेनेका ने एक मामले के संबंध में अदालती दस्तावेजों में यह स्वीकारोक्ति की है. इसमें आरोप लगाया गया है कि ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ विकसित टीका, दर्जनों मामलों में मौत और गंभीर नुकसान का कारण बना. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कोविशील्ड नामक कोविड -19 वैक्सीन का उत्पादन किया लेकिन एमआरएनए प्लेटफॉर्म का उपयोग नहीं किया. इसे वायरल वेक्टर प्लेटफॉर्म का उपयोग करके तैयार किया गया. एमआरएनए मंच वैज्ञानिकों को बीमारी की रोकथाम या इलाज में मदद करने वाली दवाएं विकसित करने की अनुमति देता है.


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