Devnadi Damodar Shri Ram Relation: दामोदर नदी का इतिहास त्रेतायुग युग से जुड़ा हुआ माना जाता है। मान्यता है कि यहां भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण ने यहाँ विश्राम किया था। यह नदी झारखंड के छोटा नागपुर पठार से निकलती है, स्थानीय लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीक है। यह नदी 592 किलोमीटर लंबी है और अंततः हुगली नदी में मिल जाती है। दामोदर नदी का उद्गम स्थल चूल्हा पानी गांव में स्थित पाकड़ के पेड़ की जड़ों से होता है, जो लगभग 2,000 फीट की ऊंचाई पर है।
दामोदर नदी का जल स्थानीय लोगों की आस्था का केंद्र है। विशेष रूप से छठ पूजा के दौरान, हजारों श्रद्धालु यहाँ आते हैं और सूर्यनारायण को अर्घ्य अर्पित करते हैं। यह पर्व विशेष रूप से दामोदर नदी के तट पर मनाया जाता है, जहाँ श्रद्धालुओं की भीड़ होती है। हालांकि, नदी की स्थिति आजकल खराब हो गई है और इसके किनारे गंदगी फैली हुई है, जिससे इसकी पवित्रता प्रभावित हो रही है।
नदी बंगाल के लिए कभी दुखों का प्रतीक रही है। 592 किलोमीटर की लंबाई वाली इस विशाल नदी का उद्गम स्थल देखकर लोग आश्चर्यचकित रह जाते हैं। इस नदी का संबंध त्रेतायुग में भगवान श्रीराम, माता जानकी और लक्ष्मण से भी जोड़ा जाता है।लेकिन क्या आप जानते हैं कि इतनी विशाल नदी का उद्गम स्थल अत्यंत छोटा और संकीर्ण है?
दामोदर नदी का उद्गम स्थल छोटा नागपुर पठार के चुल्हा पानी गांव में स्थित है। यहां पाकड़ के पेड़ की जड़ के नीचे से नदी का उद्गम होता है। झारखंड के लोहरदगा और लातेहार जिले की सीमा पर स्थित चुल्हा पानी गांव कुड़ू प्रखंड की सलगी पंचायत में लगभग 2000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।