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कर्नाटक की जंग : 224 सीटों के लिए वोटिंग शुरू, पीएम मोदी के जादू से फिर से सत्ता पाना चाहेगी बीजेपी

कर्नाटक की जंग : 224 सीटों के लिए वोटिंग शुरू, पीएम मोदी के जादू से फिर से सत्ता पाना चाहेगी बीजेपी

DESK : कर्नाटक में एक महीने चले चुनाव प्रचार के बाद 224 सीटों के लिए आज सुबह 7 बजे से वोटिंग होगी। राज्य में 5.31 करोड़ वोटर और 2615 कैंडिडेट हैं। मुकाबला भाजपा, कांग्रेस और जेडीएस के बीच है। नतीजे 13 मई को आएंगे। मतदान को लेकर पूरी तैयारियां कर ली गई हैं. करीब 4 लाख मतदान कर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है.

राज्य की 224 विधानसभा सीटों के लिए 2615 उम्मीदवार मैदान में हैं. उम्मीदवारों में 2,430 पुरुष हैं, 184 महिलाएं हैं, और एक थर्ड जेन्डर है.चुनाव में बीजेपी से मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार, पूर्व सीएम सिद्धारमैया और जेडीएस प्रमुख एचडी कुमारस्वामी जैसे दिग्गज उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं.

राज्य भर में 58,545 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. यहां कुल 5,31,33,054 मतदाता वोट डालेंगे. इनमें 2,67,28,053 पुरुष और 2,64,00,074 महिलाएं और 4,927 अन्य वोटर्स हैं. जबकि 2,430 पुरुष, 184 महिलाएं और एक थर्ड जेंडर उम्मीदवार है. कर्नाटक का भावी भविष्य यानी युवा वोटर्स की संख्या 11,71,558 है. जबकि 5,71,281 दिव्यांग व्यक्ति (पीडब्ल्यूडी) हैं।

सभी ने खूब की सभाएं

इस बार भाजपा के लिए पीएम नरेंद्र मोदी समेत पार्टी के बड़े नेताओं ने साढ़े चार सौ से ज्यादा रैलियां कीं। 100 से ज्यादा रोड शो भी किए। खुद पीएम मोदी दो दिन कर्नाटक में रुके। वहीं, राहुल, प्रियंका और सोनिया ने 31 से ज्यादा सभाएं कीं।

क्यों चुनाव में बीजेपी का जीतना मुश्किल

कर्नाटक में पिछले 38 साल से हर 5 साल में सत्ता बदलती आ रही है। आखिरी बार 1985 में रामकृष्ण हेगड़े के नेतृत्व वाली जनता पार्टी ने सत्ता में रहते हुए चुनाव जीता था। वहीं, पिछले पांच चुनाव (1999, 2004, 2008, 2013 और 2018) में से सिर्फ दो बार ( 1999, 2013) सिंगल पार्टी को बहुमत मिला। भाजपा 2004, 2008, 2018 में सबसे बड़ी पार्टी बनी।

पांच साल में दो बार बदली सत्ता

जहां तीन दशक में सिर्फ दो बार ऐसा हुआ कि सत्ता में रहनेवाली पार्टी की फिर सरकार बनी। वहीं 2018 इससे अलग रहा। बीते पांच साल में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अपनी सरकार बनाई। 2018 में भाजपा ने 104, कांग्रेस ने 78 और JDS ने 37 सीटें जीती थीं। किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। भाजपा से येदियुरप्पा ने 17 मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन सदन में बहुमत साबित न कर पाने की वजह से 23 मई को इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कांग्रेस-JDS की गठबंधन सरकार बनी।

इसके 14 महीने बाद कर्नाटक की सियासत ने फिर करवट ली। कांग्रेस और JDS के कुछ विधायकों की बगावत के बाद कुमारस्वामी को कुर्सी छोड़नी पड़ी। इन बागियों को येदियुरप्पा ने भाजपा में मिलाया और 26 जुलाई 2019 को 219 विधायकों के समर्थन के साथ वे फिर मुख्यमंत्री बने, लेकिन 2 साल बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। भाजपा ने बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाया।


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