शिवहर का रण : BJP ने वैश्य जाति के सांसद का टिकट काटा, क्या लालू-तेजस्वी वैश्य पर लगाएंगे दांव ? बड़ा सवाल- राजद का यह फार्मूला इस वर्ग का वोट दिलाएगा...

PATNA: शिवहर लोक सभा सीट जदयू के खाते में चली गई है। बीजेपी के सीटिंग सांसद रमा देवी का यहां से पत्ता साफ हो गया है. पूर्व सांसद लवली आनंद इस सीट से जेडीयू प्रत्याशी होंगी. हालांकि आधिकारिक तौर पर इसका ऐलान नहीं हुआ है. शिवहर के सीटिंग सांसद रमा देवी वैश्य जाति से आती हैं. ये लगातार 2009 से चुनाव जीत रही हैं. वैश्य का टिकट काटकर एनडीए राजपूत समाज के प्रत्याशी को चुनावी मैदान में उतारने जा रही है. ऐसे में विपक्षी पार्टी राजद क्या करेगी..क्या लालू यादव शिवहर सीट पर वैश्य उम्मीदवार पर दांव लगाएँगे ? राजद ने वैश्य पर दांव लगाया तो क्या इस समाज के वोटर राजद कैंडिडेट को वोट देंगे ? यह बड़ा सवाल है. क्यों कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में जनभावना बिल्कुल ही अलग होती है.
तीन जिले का विस मिलाकर है शिवहर लोकसभा
शिवहर लोक सभा क्षेत्र में तीन जिले शिवहर,मोतिहारी और सीतामढ़ी के विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इस लोकसभा में शिवहर, मोतिहारी जिले का मधुबन, चिरैया, ढाका और सीतामढ़ी जिला का बेलसंड और रीगा विधानसभा क्षेत्र आता है। सवर्ण समाज में सबसे अधिक राजपूतों की आबादी है. इसके अलावे ब्राह्मण और भूमिहार वोटरों की भी अच्छी संख्या है. वहीं वैश्यों वोटरों की संख्या भी 2.5 लाख से अधिक है. यह वोट काफी निर्णायक होती है. इस लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीतने वाले अधिकतर प्रत्याशी राजपूत ही रहे हैं। वैश्य समाज से आने वाली रमा देवी लगातार तीन दफे चुनाव जीतने का रिकार्ड बनाई है.
शिवहर सीट जेडीयू के खाते में चले जाने और यहां से राजपूत कैंडिडेट को उम्मीदवार बनाए जाने की खबर के बाद अब यह चर्चा चल पड़ी है कि राजद किसी वैश्य को उम्मीदवार बना सकती है. इसमें कई नेताओं के नाम राजनीतिक गलियारे में तैर रहे हैं. लेकिन बड़ा सवाल यही है कि अगर राजद ने वैश्य कैंडिडेट दे भी दिया तो वैश्य वोटर राजद कैंडिडेट पर चढ़ पाएँगे ? इसकी संभावना काफी कम दिखती है. क्यों कि वैश्य वोटर भाजपा के कोटर वोटर माने जाते हैं. इस बार भाजपा और जेडीयू का गठबंधन है. लोकसभा चुनाव में वैश्य वोटर सीधे नरेंद्र मोदी और अमित शाह को देख वोट करेंगे. वैसे भी लोकसभा चुनाव में लोकल राजनीति नहीं बल्कि राष्ट्रहित को देख कर वोट करने का ट्रेंड रहा है. ऐसे में राजद अगर वैश्य कैंडिडेट को चुनावी मैदान में उतारती है तब भी खास फायदा होते नहीं दिखता . राजनीतिक जानकार बताते हैं कि 2020 के लोकसभा चुनाव में राजद ने यह फार्मूला अपनाया था. कई जगहों पर वैश्य कैंडिडेट को उतार कर भाजपा को कोर वोटरों को तोड़ने की कोशिश की,जिसमें सफलता भी मिली थी.लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव में राजद का यह फार्मूला चल पाएगा, इसकी संभावना बहुत ही कम है. क्यों कि इस बार भी मोदी लहर है. खुद नरेंद्र मोदी और अमित शाह भी इसी वर्ग से आते हैं. ऐसे में वैश्य समाज का मोदी लहर से इतर जाने की संभावना नहीं है. वैश्य वर्ग ''बताशा के लिए मंदिर नहीं तोड़ेगा''.
शिवहर लोकसभा सीट की बात करें तो यहां से सबसे अधिक राजपूत जाति के उम्मीदवार जीते हैं. 1977 में ठाकुर गिरिजानंदन सिंह, जनता पार्टी से चुनाव जीते थे. 1980 में राम दुलारी सिन्हा,भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस,(आई) 1984 में भी रामदुलारी सिन्हा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, 1989 में हरि किशोर राय , जनता दल, 1991 में हरि किशोर सिंह, जनता दल,1996 में आनंद मोहन, समता पार्टी, 1998 में आनंद मोहन सिंह, ऑल इंडिया राष्ट्रीय जनता पार्टी. 1999 में अनवारूल हक, राजद, 2004 में सीताराम सिंह , राजद, 2009 में रमा देवी भाजपा, 2014: रमा देवी, भारतीय जनता पार्टी और 2019: रमा देवी, भारतीय जनता पार्टी.