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तैयार रहें, कभी भी आ सकता है बड़ा भूकंप, एक्सपर्ट ने बताई तबाही की वजह, भूकंप से नेपाल में हाहाकार,141 लोगों की मौत, झटकों से सहमे हैं लोग

तैयार रहें, कभी भी आ सकता है बड़ा भूकंप, एक्सपर्ट ने बताई तबाही की वजह, भूकंप से नेपाल में हाहाकार,141 लोगों की मौत, झटकों से सहमे हैं लोग

पटना/मोतिहारी- नेपाल में आए जोरदार भूकंप में अब तक 140 लोगों की मौत की खबर है.6.4 तीव्रता वाले भूकंप के झटकों से उत्तर भारत भी हिल गया.वहीं भू वैज्ञानिकों का कहना है कि हमें बड़े भूकंप के लिए तैयार रहना चाहिए. हिमालयी क्षेत्र में इंडियन टेक्टोनिक और यूरेशियन प्लेट के बीच टकराव की वजह से कभी भी बड़ा भूकंप आ सकता है  भूकंप पर शोध कर रहे वैज्ञानिक उमेश वर्मा ने कहा कि अभी सावधान रहना होगा, 36 घंटे सावधान रहने की जरुरत है. भूकंप को हल्के में न लें उनके अनुसार 7 तीब्रता तक भूकंप अभी 36 घंटे के अंदर आ सकता है. उन्होंने कहा कि भूकंप के समय  घकी छत , दीवार से दूर रहना चाहिए, खाली जगह पर चले जाे. और गैस को बंज करना न भूले बिजली का मेन स्वीच ऑफ जरुर कर दे.

सीस्मोलॉजिस्ट ने कहा है कि नेपाल में केंद्रीय बेल्ट में ऐक्टिव एनर्जी रिलीजिंग सेक्टर है. विगत 3 अक्टूबर को भी नेपाल में लगातार कई भूकंप के झटके लगे थे. यह भूकंप भी उसी इलाके में आया था जहां अब आया है. यह इलाका नेपाल की सेंट्रल बेल्ट में पड़ता है.

 भू वैज्ञानिक अमेश ने बताया  कि करोड़ों साल पहले इंडियन प्लेट के सागर से उत्तर की तरफ खिसकने और यूरेशियन प्लेट से टकराने की वजह से ही हिमालय बना था. इंडियन प्लेट अब भी उत्तर की तरफ खिसक रही है और ऐसे में हिमालय के नीचे ऊपर की तरफ दबाव बन रहा है. यह दबाव किसी बड़े भूकंप का रूप ले सकता है. हालांकि यह स्पष्ट तौर पर कोई नहीं बता सकता कि बड़ा भूकंप कब आएगा.  

जानकारों के अनुसार धरती के अंदर सात प्लेट्स हैं जो कि चलती  रहती  हैं. इन प्लेटों के बीच टकराव होता है तो दबाव पैदा हो जाता है और प्लेटें टूटने लगती हैं. जब नीचे की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है तो भूकंप बन जाता है. जहां से यह शक्एति का विस्नफोट होता है वहां सबसे ज्यादा कंपन होता है और भूकंप की तीव्रता सबसे ज्यादा होती है. केंद्र से दूरी बढ़ने पर इसका प्रभाव  भी कम हो जाता है. भूकंप का केंद्र जितना गहराई में होता है भूकंप का असर भी उतना ज्यादा दूर तक होता है. 

भू वैज्भूञानिकों के अनुसार कंप की तीव्रता अगर 0 से 1.9 के बीच होती है तो इसे सीज्मोग्राफ से ही पता लगाया जा सकता है. यह महसूस नहीं होता. 2 से 2.9 के बीच भूकंप से हल्का कंपन महसूस  होता है. 3 से 3.9 के बीच होने से हल्का चक्कर आने जैसा हो सकता है. 4 से 4.9 से 5 से 5.9 तीव्रता होने पर फर्नीचर गिर सकते हैं. 6 से 6.9 की तीव्रता से इमारतों में दरार आ जाती है. वहीं  7 से 7.9 तीव्रता होने मकान गिरने लगते हैं. 8 से 8.9 तीव्रता पर इमारतें और बड़े-बड़े पुल भी ध्वस्त हो सकते हैं.

नेपाल के राष्ट्रीय भूकंप मापन केंद्र के अधिकारियों के अनुसार, शुक्रवार की रात 11.47 बजे भूकंप आया, जिसका केंद्र जाजरकोट में जमीन के नीचे 10 किलोमीटर की गहराई में था.पश्चिमी नेपाल में भीषण भूकंप से अब तक 128 लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। भूकंप से कई घर ध्वस्त हो गए हैं। नेपाली अधिकारियों ने पुष्टि की है कि रुकुम पश्चिम में 35 से ज्यादा लोगों की मौत हो हुई है, जबकि जाजरकोट जिले में 90 से अधिक लोगों की जान गई है 

बहरहाल भूकंप के दौरान सावधान रहना होगा.बता दें, हिमालयी देश नेपाल में भूकंप आना आम बात है। वर्ष 2015 में 7.8 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप ने पूरे देश का हिलाकर रख दिया था, जिसमें 12,000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी और हजारों घर ध्वस्त हो गए थे। 

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