PATNA : ससुराल वालों पर हमेशा दहेज का आरोप सही नहीं होता है। कभी कभी यह गलत भी साबित होता है। कम से कम हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद यह कहा जा सकता है। जहां पत्नी की आत्महत्या करने के मामले में दस साल की सजा काट रहे पति को कोर्ट ने बरी कर दिया। सबसे बड़ी बात यह है कि पति को जेल से बचाने में सबसे बड़ी सहायता मृत पत्नी ने ही की, जिसकी हत्या का आरोप पति पर लगा था। मरने से पहले मृतका ने एक सुसाइड नोट छोड़ा था, जो आरोपी को सजा से बचाने में बड़ा सबूत बन गया।
मामला दहेज हत्या से जुड़ा है। पीड़ित पक्ष का कहना था कि 2015 में उसकी बेटी का विवाह सन्नी शर्मा के साथ हुआ था। कुछ दिनों के बाद बेटी मायके आ गई और बताया कि उसका पति डिस्पेंसरी खोलने के लिए पांच लाख रुपये की मांग कर रहा है। वर्ष 2016 में उसने फंदे से लटक कर खुदकशी कर ली। पिता प्राथमिकी में बताया था कि बेटी की लाश के साथ एक सुसाइड नोट बरामद हुआ है। उसमें उसने जिक्र किया था कि वह अपने ससुराल पक्ष से खुश नहीं है।
सुसाइड नोट में दहेज का जिक्र नहीं
इस मामले में मृतका के मायकेवालों की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर पति को आरोपी बनाया था। मामले में कोर्ट ने आत्महत्या करने वाली महिला के पति को 10 साल की उम्रकैद की सजा सुनाई थी। जिस पर हाईकोर्ट में अपील दायर की गई थी। न्यायाधीश बिरेंद्र कुमार (Justice Birendra Kumar) की एकलपीठ (single bench) ने सन्नी शर्मा (Sunny Sharma) की अपील याचिका पर सुनवाई की इस पूरे मामले का अवलोकन करने के बाद एकल पीठ ने पाया कि सुसाइड नोट में दहेज की मांग संबंधित किसी भी बात का जिक्र नहीं किया गया था। इस पर हाई कोर्ट ने अप्लार्थी को संदेह का लाभ देते हुए उसे हुए सजामुक्त कर दिया। ऐसे मामलों में अगर पीडि़त पक्ष चाहे तो हाईकोर्ट की डबल बेंच में अपील कर सकता है।