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BIG BREAKING : नीतीश कुमार के पीएम बनने के रास्ते में रोड़ा बनी मायावती, साथ आने के लिए बसपा की बड़ी शर्त

BIG BREAKING : नीतीश कुमार के पीएम बनने के रास्ते में रोड़ा बनी मायावती, साथ आने के लिए बसपा की बड़ी शर्त


पटना. 2024 चुनाव को लेकर लगातार सियासी उठापटक का दौर देखने को मिल रहा है। एक ओर जहां विपक्षी एकता की बात की जा रही है तो वहीं दूसरी ओर भाजपा ने पूरी तरीके से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ही चेहरे पर 2024 का चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है। विपक्षी एकता को मजबूत करने के लिए नीतीश कुमार, शरद पवार, के चंद्रशेखर राव और ममता बनर्जी के नेता लगातार जुटे हुए हैं। विपक्ष के समक्ष एक बड़ी चुनौती यह है कि आखिर पीएम पद का चेहरा किसे बनाया जाए। सभी नेताओं के पार्टी की ओर से उन्हें पीएम पद का चेहरा कराया जा रहा है। उदाहरण के लिए समाजवादी पार्टी चाहती है कि अखिलेश यादव प्रधानमंत्री बने। तृणमूल चाहती है कि ममता बनर्जी के प्रधानमंत्री बने। जदयू की ओर से लगातार नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री मटेरियल बताया जा रहा है। शरद पवार की पार्टी भी लगातार उन्हें प्रधानमंत्री पद की रेस में आगे देखना चाहती है।

पिछले काफी दिनों से चुप्पी साधे हुए मायावती की पार्टी की ओर से भी विपक्षी एकता को लेकर बयान समय आ गया है। मायावती की पार्टी की ओर से साफ तौर पर कहा गया है कि वह विपक्षी एकता में शामिल हो सकती है। लेकिन इसके लिए उनकी ओर से एक शर्त लगा दिया गया है। पार्टी के प्रवक्ता धर्मवीर चौधरी ने बताया कि अगर विपक्ष मायावती को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करता है तो बसपा तीसरे मोर्चे में शामिल होने को तैयार है। 

दरअसल, यह बात तो किसी से छिपी नहीं है कि मायावती हमेशा प्रधानमंत्री बनना चाहती हैं। 2019 के चुनाव में जब समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन हुआ था तो भी प्रधानमंत्री पद के चेहरे को लेकर उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि नतीजों उनके पक्ष में आते हैं तो वे जरूर प्रधानमंत्री बनेंगी। ऐसे में ऐसे बसपा की इस मांग को पूरी करना विपक्ष के कई दलों के लिए एक बड़ी चुनौती है। 

बसपा से साफ तौर पर कहा गया है कि मायावती के कद का कोई दूसरा नेता नहीं है। कुछ शर्तों के साथ हम विपक्षी एकता में शामिल हो सकते हैं। विपक्षी एकता को लेकर बसपा की ओर से तीसरा मोर्चा कहा जा रहा है। उनकी ओर से कहा जा रहा है कि केंद्र की सरकार बनाने में उत्तर प्रदेश की भूमिका काफी अहम है। बसपा का प्रभाव एक बड़े वर्ग पर है। कांग्रेस को लेकर बसपा की ओर से कहा गया है कि उसका अस्तित्व नहीं रह गया है। वहीं, आज समाजवादी पार्टी के अधिवेशन में अखिलेश यादव के प्रधानमंत्री पद बनने की मांग रखी गई है। अखिलेश यादव ने साफ तौर पर कहा है कि हम भाजपा को सत्ता से हटाना चाहते हैं। यही हमारा लक्ष्य होना चाहिए।


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