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कैग की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, बिहार के किसानों को नहीं मिला किसान सम्मान निधि के 3,443 करोड़ का लाभ

कैग की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, बिहार के किसानों को नहीं मिला किसान सम्मान निधि के 3,443 करोड़ का लाभ

पटना. कैग की रिपोर्ट से हुए एक खुलासे के अनुसार बिहार के 71 लाख 45 हजार 65 लाभार्थी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के 3,443.55 करोड़ रुपए का लाभ लेने से वंचित रह गए.  बिहार विधान मंडल के समक्ष भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक का लेखापरीक्षा प्रतिवेदन (निष्पादन एवं अनुपालन लेखापरीक्षा) 2022 प्रस्तुत किया गया है. इसी रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि 31 मार्च 2021 को समाप्त हुए वर्ष में बिहार के किसान 3,443.55 करोड़ रुपए का लाभ लेने से वंचित रह गए. 

रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि विभाग के पास योजना के संभावित लाभार्थियों की कोई मौजूदा सूची नहीं होने से 71,45,065 लाभार्थी ₹3,443.55 करोड़ से वंचित रहे। 164 लाख प्रचलित भूमिधारकों के विरूद्ध पंजीकृत लाभार्थियों की संख्या केवल 82.50 लाख (50 प्रतिशत) थी (अगस्त 2021)। अपर्याप्त आच्छादन के लिए विभाग के पास संभावित लाभार्थियों की कोई मौजूदा सूची नहीं होने, अन्य योजनाओं के मौजूदा डाटाबेस तक पहुंच नहीं होने, ऑफलाइन आवेदनों के लिए किसी भी विकल्प का प्रावधान नहीं करने आदि को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इसमें यह भी कहा गया है कि ऑफ लाईन आवेदन का विकल्प नहीं देकर राज्य सरकार ने वैसे किसानों को योजना के लाभ से वंचित कर दिया, जो ऑनलाईन आवेदन नहीं कर सके थे।

कृषि विभाग आयकर भुगतान की स्थिति और योजना के लाभ हेतु पात्रता निर्धारित करने वाली अन्य सूचनाओं के विषय में लाभार्थियों द्वारा की गई स्व घोषणाओं पर निर्भर था। परिणामस्वरूप 82,50,032 पंजीकृत लाभार्थियों में से 48,366 अपात्र लाभार्थी जो आयकर दाता थे जिन्हें ₹ 39.05 करोड़ (नवंबर 2021 ) का योजना का लाभ प्राप्त हुआ। इसी प्रकार 19,485 मामले जिनमें ₹23.62 करोड का भुगतान (नवंबर 2021) हुआ था. लाभार्थी के रोजगार, मृत्यु मामलों आदि के आधार पर अपात्र थे।

भारत सरकार द्वारा शत प्रतिशत वित्त पोषित प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पी.एम.- किसान) योजना, सभी पात्र किसान परिवारों को उचित फसल स्वास्थ्य एवं उचित पैदावार सुनिश्चित करने के साथ-साथ उनकी घरेलू जरूरतों के लिए वित्तीय आवश्यकता को संबल प्रदान करने हेतु प्रत्येक चार माह में ₹ 2000 की तीन समान किस्तों में ₹6,000 प्रति वर्ष की आय सहायता प्रदान करती है।

रिपोर्ट के अनुसार 10 नमूना जाँचित जिलों में 22,301 अवयस्क लाभार्थियों (कुल पंजीकृत अवयस्क लाभार्थियों का 91 प्रतिशत) को ₹23.59 करोड़ की राशि के अस्वीकार्य लाभ का भुगतान किया गया था क्योंकि पी.एम.- किसान के तहत लाभ के लिए आवेदन में कट-ऑफ तिथि अर्थात् 1 फरवरी 2019 को लाभार्थी की आयु को संज्ञान में नहीं लिया गया था।

विफल और लंबित भुगतानों के कारण राज्य के लाभार्थियों को ₹50:48 करोड़ का हस्तांतरण नहीं किया जा सका जो दर्शाता है कि विभाग द्वारा आवश्यक और विवरण को अद्यतन करना शेष था। इसमें यह भी कहा गया है कि बैंक खाते से संबंधित विसंगतियों के कारण पी. एफ.एम.एस. द्वारा 67.535 लाभार्थियों के आवेदन अस्वीकृत कर दिए गए थे जो इस तथ्य के कारण थीं कि - (i). राज्य के डी.बी.टी. पोर्टल पर बैंक खाता विवरणों की जाँच की सुविधा नहीं थी और (ii). राज्य नोडल अधिकारी ने इस तथ्य को केंद्र सरकार के संज्ञान में नहीं लाया था।

175 लाभार्थियों से संबंधित ₹22.62 लाख के योजना लाभ अन्य व्यक्तियों के बैंक खातों में हस्तांतरित किए गए थे, जो लाभार्थियों के बैंक खाते के विवरण की शुद्धता सुनिश्चित करने के मौजूदा तंत्र में कमजोरी की पुष्टि करते हैं। राशि की वसूली किया जाना अभी तक बाकी ( नवंबर 2021 तक ) था । 10 नमूना- जाँचित जिलों में से छः में, डी.ए.ओ. द्वारा राज्य नोडल कार्यालय को भुगतान रोकने के आग्रह के बावजूद, 138 लाभार्थियों को ₹6.96 लाख का भुगतान किया गया था।

अपात्र 67,851 लाभार्थियों से वसूली योग्य ₹62.67 करोड़ के विरूद्ध लगभग ₹5.00 करोड़ (आठ प्रतिशत) वसूल किया गया (फरवरी 2022 तक) था और इसे अभी तक भारत सरकार को हस्तांतरित किया जाना शेष था क्योंकि समाशोधन प्रक्रिया पूरी नहीं हुई थी। समर्पित पी.एम.यू. की स्थापना न करने के कारण बिहार सरकार 2018-21 की अवधि के लिए भारत सरकार से ₹9.48 करोड़ प्राप्त नहीं कर सकी। पुनः, समर्पित पी.एम.यू. के अभाव ने योजना की प्रभावी निगरानी को प्रभावित किया।

योजना के प्रारम्भ (फरवरी 2019 ) से अगस्त 2021 तक अर्थात् 31 माहों के दौरान केवल 9,408 शिकायतों (23 प्रतिशत) का निवारण किया गया, जबकि सितंबर 2021 से नवंबर 2021 (तीन माह ) के दौरान शेष 30,674 (77 प्रतिशत) शिकायतों का निवारण किया गया। संबंधित अभिलेखों के अभाव में यह सत्यापित नहीं किया जा सका कि लाभार्थियों की 30,674 लंबित शिकायतों, जिन्हें निष्पादित इंगित किया गया था, का निवारण वास्तव में किया गया। साथ ही, विभिन्न अधिकारियों ने शिकायत मामलों का सत्यापन नहीं किया गया था ।

योजना के प्रारम्भ से कम से कम एक किस्त प्राप्त करने वाले लाभार्थियों की संख्या की तुलना में लाभार्थियों की संख्या में कुल 1,30,492 की कमी पाई गई। यद्यपि, कृषि विभाग ने लाभार्थियों की संख्या में कमी के कारणों का विश्लेषण नहीं किया। वहीं आवेदनों के निष्पादन में 124 दिनों (एक तिमाही) से अधिक के विलंब के कारण संभावित लाभार्थियों को 92 लाख रुपए का भुगतान नहीं किया जा सका था. 


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