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बिहार के एक मुख्यमंत्री का किस्सा,....बूढ़े शख्स ने CM की तोड़ दी थी अंगुली,PM ने पूछा- यह क्या हुआ?

बिहार के एक मुख्यमंत्री का किस्सा,....बूढ़े शख्स ने CM की तोड़ दी थी अंगुली,PM ने पूछा- यह क्या हुआ?

पटनाः बात दशको पुरानी है जब एक वृद्ध व्यक्ति ने  तब के मुख्यमंत्री के हाथ की उंगली तोड़ दी थी. तब के प्रधानमंत्री ने उनसे पूछा कि आपकी उंगली में यह क्या हुआ ? इस सवाल पर तब के मुख्यमंत्री रहे भागवत झा आजाद ने हंसते हुए कहा था कि यह अंगुली बिहार में एक घटना के दौरान टूट गई. ''आपकी कृपा से सिर्फ उंगली ही टूटी सिर नहीं फूटा'' तब आजाद के इस उत्तर पर राजीव गांधी आहिस्ते से मुस्कुरा कर रह गए थे.

माफियाओं ने ले ली सीएम की कुर्सी

दरअसल, 8 मार्च 1989 को बिहार के मुख्यमंत्री रहे भागवत झा आजाद को कांग्रेस के माफिया वाली चक्रव्यूह में फंस कर इस्तीफा देना पड़ा था। इस्तीफा देने से तीन-चार दिन पहले  मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद गया में पदयात्रा कर रहे थे. अचानक भीड़ चीरते हुए एक वृद्ध व्यक्ति सामने आया और मुख्यमंत्री का हाथ थाम कर आवेग में कहा। वृद्ध व्यक्ति सीएम आजाद के हाथ की अंगुली पकड़कर यह कहते हुए देर तक झकझोरता रहा कि ''आजाद माफिया को मत छोड़ना''- ''बिहार को बचा लेना''. अति उत्साह में वृद्ध व्यक्ति भागवत झा आजाद का हाथ छोड़ ही नहीं रहा था. इस दौरान पदयात्रा में शामिल आजाद के पीछे लोगों का लंबा कारवां कुछ पल के लिए  ठहर गया. तब वृद्ध को आश्वस्त करते हुए मुख्यमंत्री आजाद ने कहा था ''आप सबों की मदद से माफिया को मिटा कर ही दम लूंगा''

सीएम को आया फोन -कुर्सी छोड़ दीजिए

वृद्ध ने जब आजाद का हाथ छोड़ा था तो उसी समय  मुख्यमंत्री को लगा कि देर तक जोर-जोर से हाथ झंकझोरे जाने की वजह से उनकी उंगली में मोच आ गई है. गया से लौटकर आजाद जब पटना आए थे तो दिल्ली से सूचना मिली कि उन्हें इस्तीफा दे देना है. जाहिर था कि माफिया को मिटाकर बिहार को बचाने का दावा करने वाले भागवत झा आजाद अपनी कुर्सी नहीं बचा पाए. माफिया अपनी जीत का झंडा गाड़ दिया और भागवत झा आजाद माफिया के विरुद्ध अपनी लड़ाई में बुरी तरह लहूलुहान होकर गिर गए थे. 

प्रधानमंत्री ने पूछा-यह क्या हुआ?

20 मार्च 1989 को स्वर्गीय हेमवती नंदन बहुगुणा की अंत्येष्टि में शामिल होने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी इलाहाबाद जा रहे थे. अचानक  दिल्ली के 7 अशोका रोड स्थित बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद ठहरे थे। इसी दौरान प्रधानमंत्री आवास से फोन आया कि उन्हें भी प्रधानमंत्री के साथ इलाहाबाद जाना है.लिहाजा तत्काल पहुंच जाएं. 11 मार्च 1989 को बिहार में मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवा कर भागवत झा आजाद तीन-चार दिन पटना में रुके और फिर वापस दिल्ली के अपने सांसद वाले पुराने सरकारी निवास में चले आए थे. दिल्ली आने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी से उनकी मुलाकात नहीं हुई थी. इसलिए बुलावा आते ही आजाद प्रधानमंत्री के साथ जाने के लिए रवाना हो गए थे. रास्ते में ही बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री राजीव गांधी की नजर आजाद की टूटी हुई उंगली पर पड़ी, जिस पर मरहम पट्टी लगी हुई थी. तभी प्रधानमंत्री ने  पूछा कि  यह क्या हुआ?

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