डिजिटल हुआ बिहार का चुनाव तो 50 हजार से अधिक युवाओं को मिला रोजगार ,सभी नेता की कर रहे खिदमत

desk: बिहार में कोरोना काल के बीच होने जा रहे विधानसभा चुनाव में काफी कुछ बदला हुआ है. पारंपरिक प्रचार अभियान की जगह वर्चुअल रैली की जा रही है.आरोप प्रत्यारोप भी ट्विटर फेसबुक से किये जा रहे है ,वहीं डिजिटल मीडियम के जरिए मतदाताओं तक ‘मन की बात’ पहुंचाई जा रही है. नेता जी डिजिटल कैंपेनिंग कर रहे हैं. वर्चुअल चुनाव में 50 हजार से ज्यादा युवाओं को भी नौकरी मिली है. एंकर से आईटी मैनेजर तक के पोस्ट पर युवाओं को काम मिला है. सारी कोशिश मतदाताओं तक नेताजी के ‘मन की बात’ पहुंचाने की है.
बिहार के वर्चुअल चुनाव को देखकर कई चैनल्स बनाएं गए हैं. ‘बिहारी फर्स्ट’, ‘चंपारण का लाल’, ‘बिहार की आवाज’, ‘नीतीश केयर्स’ समेत कई नये चैनल्स बनाए जा चुके हैं. इनके जरिए सोशल मीडिया पर खास कैंपेन भी चलायी जा रही है. न्यूज चैनल्स की तर्ज पर बुलेटिन हो रहे हैं. इंटरव्यू चलाये जा रहे है. फेसबुक पेज, ट्विटर, इंस्टाग्राम समेत हर सोशल मीडिया प्लेटफार्म का जमकर इस्तेमाल भी हो रहा है. बिहार में पचास से ज्यादा छोटी-बड़ी पार्टियां सक्रिय हैं. चुनाव को लेकर सोशल मीडिया कैंपेन के लिए युवाओं को नौकरी पर रखा जा रहा है. मतलब बिहार में विधानसभा चुनाव तक युवाओं को रोजगार की दिक्कत नहीं होगी.
वर्चुअल कैंपेन के जरिए नेताजी मतदाताओं से कई वायदे करते दिखाई दे रहे है .हर डिमांड को पूरी करने के दावे किए जा रहे है. मतदाताओं के स्थानीय मुद्दों को उठाकर हर तरह से मदद देने की बातें कही जा रही है. साथ ही कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं तक वर्चुअल वर्ल्ड के सहारे हकीकत में रिश्ते बनाए जाएं. लिहाजा सोशल मीडिया प्लेटफार्म का हर तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है और कैंपेन चलाने का जिम्मा युवाओं के हाथों में दिया गया है. अनुमान के मुताबिक बिहार में अभी 50 से ज्यादा पार्टियां विधानसभा चुनाव में वर्चुअल कैंपेन चला रही हैं. इससे 50 हजार से ज्यादा युवाओं को नौकरी मिली है.