Bihar Land Survey: जमीन सर्वे में अफरा तफरी, नौकरी और काम काज छोड़ ऐसे लोग पहुंचे बिहार..नतीजा क्या निकला...परेशान जनता

Bihar Land Survey: जमीन सर्वे में अफरा तफरी, नौकरी और काम का

Bihar Land survey: साल 1954 के बाद से 70 वर्षों में पहली बार बिहार में सर्वेक्षण कार्य फिर से शुरू हुआ. चूंकि बिहार में लंबे समय तक मैपिंग का काम नहीं हुआ, इसलिए कई तरह की समस्याएं पैदा हुईं. सूबे विवाद काफी बढ़ गए। अब सर्वेक्षण का काम शुरु हो गया तो लोग अपना काम छोड़ कर सर्वे के काम में जुट गए है.  सर्वे नौकरीपेशा लोगों के लिए मुसिबत बन गई है. लोग नौकरी से छुट्टी लेकर अपने गांव पहुंच रहे हैं. 

बहुत से लोग बाहर रहकर धंधा पानी करते हैं वे भी धंधा , कारोबार छोड़ कर पुस्तैनी जमीन के सर्वे के लिए गांव पहुंच गए हैं. ट्रेनों में अप्रवासी बिहारियों की तादाद सबसे ज्यादा देखी जा रही है. अप्रवासी बिहारियों को डर है कि कहीं सर्वे के काम को छोड़ कर चले जाते हैं तो पैतृक जमीन को खोने का खतरा है. दूसरी ओर समय पर नौकरी ज्वाइन नहीं करने पर सर्विस खतरे में पड़ता दिख रहा है. 

लोगों को लगान की रसीद, खतियान सहित तमाम कागजात जुटाने में पैर का पसीना सिर से निकल रहा है.  लोग जिला मुख्यालय में रेकड रूम की दौड़ लगा रहे हैं. 

Nsmch
NIHER

कुछ लोग बाप, दादा व परदादा का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए चप्पल घिस रहे हैं तो कुछ लोग कागज ठीक कराने में जुटे हुए हैं. दिल्ली , पंजाब , हरियाणा सहित दक्षिण भारत में बिहार के लोग बड़ी संख्या में नौकरी के साथ साथ कारोबार भी करते हैं. इन अप्रवासियों के लिए सर्वे का काम मुसिबत बनता जा रहा है. 

भूमि सर्वेक्षण में खतियान के लिए रेकड रूम का चक्कर लगाते लोग दिख रहे हैं. कई लोग तो सारा काम धंधा छोड़कर कलेक्ट्रेट  स्थित रेकड रूम अहले सुबह हीं पहुंच जा रहे हैं.

 बहरहाल जमीन सर्वे के काम से अप्रवासी बिहारियों की मुसिबत बढ़ गई है. एक तरफ जमीन की चिंता तो दूसरी तरफ नौकरी की चिंता. इधर जाएं कि उधर जाएं , बड़ी मुश्कील में हैं की किधर जाएं...