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बिहार विधान सभा चुनाव में वोगस वोटिंग रोकने को लेकर लागू होगा नया मॉडल,चुनाव आयोग ने पुलिस मुख्यालय को भेजा पत्र,जानिए...

बिहार विधान सभा चुनाव में वोगस वोटिंग रोकने को लेकर लागू होगा नया मॉडल,चुनाव आयोग ने पुलिस मुख्यालय को भेजा पत्र,जानिए...

PATNA: बिहार में अक्टूबर-नवंबर महीने में विधान सभा के चुनाव होने हैं। चुनाव को निष्पक्ष कराने को लेकर चुनाव आयोग की तैयारी जारी है। इवीएम के दौर में भी बिहार में बोगस वोटिंग की शिकायतें लगातार आती हैं।हालांकि वोगस वोटिंग रोकने को लेकर चुनाव आयोग की तरफ से समय-समय पर कई तरह के प्रयोग भी किए जाते रहे हैं।इस बार के विधानसभा चुनाव में आयोग एक नया फार्मूला लागू कर रहा है। फर्जी मतदान रोकने को लेकर नया मॉडल लागू किया जा रहा है।लोकसभा चुनाव 2019 में अररिया में यह प्रयोग किया गया था। अब उसी प्रयोग को 2020 के विधान सभा चुनाव में पूरे बिहार में दुहराने की तैयारी है।

अररिया के तत्कालीन एसपी का है यह मॉडल

2019 के लोक सभा चुनाव में अररिया की तत्कालीन एसपी धुरत सयाली सावला राम ने यह मॉडल लागू किया था। इस मॉल के लागू होने का असर यह हुआ कि  सांप्रदायिक रूप से संवेदशनशील अररिया जिला में दूसरे के नाम पर मतदान घट गया।इतना ही नहीं फर्जी मतदान करने के जुर्म में दर्जनों  लोग अभी तक कोर्ट-कचहरी का चक्कर लगा रहे हैं।

जानिए अररिया मॉडल को..


अररिया की तत्कालीन एसपी ने स्वच्छ वोटिंग को लेकर अलग एसओपी बनाई।इसके लिए तीन चरणों में 755 पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया। इसमें इंस्पेक्टर से लेकर दारोगा और जमादार तक शामिल थे।चुनाव के समय इन प्रशिक्षित पुलिस अधिकारियों की अलग-अलग टीम गठित की गई। प्रत्येक  टीम को यह जिम्मेदारी दी गई थी कि दिन भर अपने बूथ पर राउंड लगाते रहें।वोटिंग के कतार में लगे हर वोटरों की जांच करें।टीम को यह खास हिदायत दी गई थी कि खास तौर पर वोटरों के नाखून की जांच करें।इसका मकसद यही था कि मतदान वाली स्याही पर नेल पॉलिश लगाने वालों की पहचान हो सके. जिले में हर 10 बूथ का एक समूह बना। उन दस बूथों की निगरानी के लिए एक पुलिस अफसर के नेतृत्व में टीम बनाई गई। इस टीम को मतदान वाले दिन सिर्फ उन्हीं दस बूथों पर लगातार जांच करनी थी, जहां उनकी ड्यूटी लगी थी।

घुंघट-नकाब वाली महिलाओं के लिए भी थे खास इंतजाम

अररिया की तत्कालीन एसपी ने घुंघट और नकाब वाली महिलाओं की जांच के लिए भी विशेष इंतजाम किए थे। वोटिंग के दौरान पहचान पत्र में छपी फोटो और चेहरे का मिलान किया जाता था। पुलिस टीम ने पहचान पत्र की बारीकी से जांच की और नाम और पिता का नाम मिलान किया. शक होने पर अन्य पहचान पत्र भी मंगाए गए। पुलिस की इस कड़ाई का असर यह हुआ कि जो लोग वोगस वोटिंग के फिराक में थे उनमें भय पैदा हो गई और चेकिंग के डर से बूथ पर दुबारा नहीं गए।कई बूथों पर वोगस वोटिंग देते बड़ी संख्या में लोग पकड़े भी गए। इसका फायदा यह हुआ कि बोगस वोटिंग कम हुई। 

इस मॉडल की अब पूरे बिहार में होगी परीक्षा 

अररिया मॉडल की अब पूरे बिहार में परीक्षा होगी।अररिया मॉडल पूरे बिहार कैसे लागू होगा, इसकी तैयारी शुरू हो गई है।बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने अपर पुलिस महानिदेशक जितेंद्र कुमार को पत्र लिखकर विस्तृत गाइड-लाइन दिया है।पत्र में कहा गया है कि राष्ट्रीय मतदाता दिवस पर पुरस्कृत अररिया मॉडल को पूरे बिहार में लागू करें। पुलिस मुख्यालय अररिया मॉडल लागू कराने को लेकर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों की ट्रेनिंग दिलाए।बता दें कि 2010 बैच की बिहार कैडर की एसपी धुरत सयाली सावला राम को इस कार्य के लिए मतदाता दिवस पर इसी वर्ष राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।



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