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बिहार में 'आंखों' से होती है फिटनेस टेस्ट,परिवहन विभाग का हर काम ऑनलाइन पर वाहनों के फिटनेस जांच में 'तकनीक' से तौबा

बिहार में 'आंखों' से होती है फिटनेस टेस्ट,परिवहन विभाग का हर काम ऑनलाइन पर वाहनों के फिटनेस जांच में 'तकनीक' से तौबा

पटनाः बिहार में करीब 10 लाख व्यवसायिक वाहन निबंधित हैं। परिवहन विभाग समय-समय पर इन कॉमर्शियल गाड़ियों का फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करता है।इस तकनीक वाले युग में भी परिवहन विभाग के अधिकारी आंख से देखकर ही फिटनेस प्रमाण पत्र जारी कर रहे हैं। वर्ष 2003-04 में सरकार की तरफ से ऑनलाइन फिटनेस जांच केंद्र की मंजूरी दी गई थी,इसकी संख्या 40 थी. लेकिन अब सूबे में निजी क्षेत्र में एक भी ऑनलाइन फिटनेस केंद्र संचालित नहीं हैं।सभी फिटनेस केंद्र का लाइसेंस खत्म हो गया इसके बाद परिवहन विभाग की तरफ से कोई नया लाइसेंस जारी नहीं की गई है।वहीं दूसरी तरफ बिहार में सरकार का अपना कोई भी फिटनेस केंद्र नहीं है।

परिवहन विभाग को मशीन पर नहीं आंखों पर है भरोसा

बिहार में अब परिवहन विभाग के एमवीआई आंख से देखकर ही गाड़ियों को फिट या अनफिट कर रहे हैं।मतलब अब एमवीआई को ही पूरा काम सुपूर्द कर दिया गया है। सरकार के पास एक भी डिजिटल फिटनेस केंद्र नहीं है। एक तरफ परिवहन विभाग का सारा काम ड्राईविंग लाइसेंस से लेकर अदना सा काम ऑनलाइन और डिजिटल मोड में हो रहा।लेकिन फिटनेस प्रमाण पत्र एमवीआई के द्वारा आंख से देखकर ही जारी किया जा रहा है। कई जगहों से ऐसी शिकायत भी लगातार मिलती है कि एमवीआई बिना जांच के ही फिटनेस प्रमाण पत्र जारी कर दिया.

बिहार में करीब 9.6 लाख कॉमर्शियल वाहन

बिहार मोटर व्हेकिल फिटनेस एसोसिएशन की तरफ से परिवहन विभाग से ऑनलाइन फिटनेस को लेकर लाइसेंस निर्गत करने की मांग की जाती रही है।लेकिन परिवहन विभाग को एमवीआई के आंख पर ज्यादा भरोसा है। सदन में इस मामले को कोई दफे उठाया गया लेकिन सरकार मामले को उलझा दे रही है। परिवहन विभाग ने जून महीने में विधान परिषद में पूछे गए सवाल का जवाब दिया है। मंत्री संतोष निराला की तरफ से दिए गए जवाब में कहा गया है कि बिहार में नौ लाख 57 हजार निबंधित कॉमर्शियल वाहन हैं। 2015 से बिहार में संचालित निजी फिटनेस केंद्र के नवीकरण एवं नये फिटनेस केंद्र के लाइसेंस की स्वीकृति पर रोक है।मोटर यान निरीक्षक की तरफ से व्यवसायिक वाहनों की जांच कर फिटनेस प्रमाण पत्र दिया जाता है। लेकिन मंत्री जी यह नहीं बता पाये कि आंख से देख कर फिटनेस देने वाली प्रथा कब बंद होगी और कब बिहार में ऑनलाइन गाड़ियों की जांच कर फिटनेस देने का काम शुरू होगा. जानकार बताते हैं कि परिवहन विभाग में आज भी गाड़ियों के फिटनेस जांच में उच्च तकनीक का इस्तेमाल नहीं होने के पीछे बड़ी वजह है।जिस कारण आज भी एमवीआई के आंखों पर ही विश्वास किया जा रहा है।

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