BIHAR NEWS: निवासी बिहार के लेकिन हर सुविधा के लिए इस राज्य पर निर्भर रहना मजबूरी, बिजली और तार बिहार का लेकिन बिजली दूसरे राज्य की.. जाने इस गांव का दर्द

नवादा: बिहार से अलग होकर झारखंड राज्य बनने को 21 साल हो गये। परिसंपत्तियां बंटी, सीमाओं का भी निर्धारत हो गया। इसके बाद भी कुछ ऐसे हालात हैं, जिसमें पड़कर गांव वाले बुरी तरह से परेशान हो जाते हैं। ऐसा ही एक गांव है बिहार में पड़ने वाला बसरौन, इस गांव के निवासियों के साथ दोनों ही राज्यों की सरकारों की बेरूखी देखने को मिली है। दरअसल बिहार के नवादा जिले के रजौली अनुमंडल के सेवयाटांड पंचायत के बसरौन गांव की कहानी ही कुछ अलग है। इस गांव के लोग कहने को तो बिहार के निवासी हैं लेकिन किसी भी तरह की जनसुविधा के लिए पूरी तरह से झारखंड पर आश्रित रहते हैं। इस गांव से बिल्कुल ही सटे झारखंड के कोडरमा जिले के डोमचांच प्रखंड का सपही गांव है, जिसपर बसरौन के ग्रामीण निर्भर रहते हैं।

वोट बिहार को, डेवलपमेंट के लिए झारखंड पर आश्रित

इस गांव के लोग वैसे तो सूबे में होने वाली चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग बिहार के लिए करते हैं लेकिन जब बात तरक्की और डेवलपमेंट की आती है तो उनकी पूरी उम्मीद झारखंड पर टिक जाती है। इस गांव में करीब 130 मतदाता है। इस गांव में पहुंचने के लिए बनी एक सड़क भी है, जो गांव में घुसने के साथ ही ग्रामीणों का साथ छोड़ देती है। यानि सड़क झारखंड में और जहां सड़क खत्म होती है वह बिहार में पड़ता है। गांव में दाखिल होने के बाद सड़क की बायीं ओर का हिस्सा झारखंड का है, तो दाहिने तरफ बिहार का हिस्सा पडता है।

गांव से बिहार आने में कम से कम तीन से चार घंटे

इस गांव से अगर बिहार आया जाये तो 70 से 80 किलोमीटर की दूरी तय करके रजौली अनुमंडल में जाया जा सकता है, जबकि कोडरमा व डोमचांच महज 14 से 15 किलीमीटर की दूसरी पर स्थित है। ग्रामीण भी बाजार और कारोबार के लिए पूरी तरह से डोमचांच और कोडरमा पर निर्भर हैं। ग्रामीण बताते हैं, यहां नेता और अधिकारी तब ही आते हैं, जब वोट मांगना या डलवाना होता है। इसी गांव के एक ग्रामीण बताते हैं, कोरोना संक्रमण के कारण गांव के करीब 80 प्रतिशत लोग संक्रमित हुए लेकिन मदद के नाम पर किसी को कुछ नहीं मिला। तब लोगों ने बगल के झारखंड स्थित सपहीं गांव में जाकर अपनी जांच करवाई और डोमचांच कोडरमा के डॉक्टरों की मदद से खुद का गांव में ही रहकर ईलाज किया। ग्रामीणों की नयी टेंशन वैक्सीनेशन है। क्योंकि उनको यह सुविधा केवल बिहार में ही मिलेगी, क्योंकि झारखंड में दूसरे राज्यों के लिए यह सुविधा नहीं है। 

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दौड़ रही है झारखंड की बिजली

कोरोना काल में भी ग्रामीणों को नवादा जिला प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिली तो यहां के लोगों ने सपही में जाकर सुविधा हासिल की। कोडरमा जिले के सामाजिक व स्वयंसेवी संगठनों ने ग्रामीणों की मदद की। हालात यह हैं कि इस गांव में बिजली लाने के लिए बिहार सरकार की तरफ से पोल व तार तो लगा दिये गये लेकिन आपूर्ति नहीं की गयी। तब ग्रामीणों ने अपने स्तर पर दो ट्रांसफॉर्मर लगवाये और झारखंड के डोमचांच से बिजली की आपूर्ति करवायी यानि पोल व तार तो बिहार सरकार का है लेकिन बिजली झारखंड की है।