BHAGALPUR: कोरोना महामारी के इस दौर में अगर कोई क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है तो वह है शिक्षा का क्षेत्र। बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई है तो जारी है, मगर शिक्षकों का वेतनमान आधे से भी कम हो गया है। इसी बीच कई स्कूलों के बंद हो जाने से शिक्षकों के रहने खाने पर संकट आ गया है। बीते डेढ़ साल से स्कूल सहित कोचिंग संस्थान बंद रहने से शिक्षक मानसिक रूप से टूट चुके हैं और लगातार सरकार से मांग कर रहे हैं कि कोचिंग संस्थानों को खोलने की इजाजत दी जाए। हालांकि इस संबंध में अभी तक राज्य सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है और इसी वजह से आए दिन प्राइवेट शिक्षक सड़कों पर उतरकर सरकार के विरोध करते हैं।
इसी कड़ी में बुधवार को भागलपुर में प्राइवेट टीचर्स एसोसिएशन के बैनर तले शिक्षकों ने सड़क पर उतर कर भिक्षाटन किया। शिक्षकों का कहना है कि कोचिंग संस्थान बंद रहने से सभी प्राइवेट शिक्षक भुखमरी के कगार पर आ चुके हैं। सभी शिक्षकों की आर्थिक स्थिति कमजोर हो चुकी है। कोरोना महामारी से वह भी उतने ही ज्यादा प्रभावित हैं, जितना की अन्य लोग। उनके घरों में भी बीमारी के इलाज में बड़ी रकम खर्च हुई है, जिसने इनकी कमर तोड़कर रख दी है। इस दौरान आय के साधन बंद होने से वह मानसिक रूप से टूट चुके हैं और कई परिवार भी टूट की कगार पर है।
प्राइवेट टीचर्स एसोसिएशन भागलपुर के अध्यक्ष डॉ अमरेंद्र कुमार ने कहा कि हम लोगों का बिजली बिल और रूम किराया भी लग रहा है। किसी भी योजना का लाभ सरकार की ओर से नहीं मिल रहा है। सरकार से मांग है कि आगामी 6 जुलाई से कोचिंग संस्थानों को खोलने के निर्देश दे दिए जाएं। वहीं पीटीए के पेट्रोन शिक्षक आरके झा ने कहा कि हम लोगों की स्थिति खराब हो चुकी है। अब सड़क पर उतर कर भीख मांगने के सिवा कुछ भी नहीं बचा है। शिक्षक आत्महत्या कर रहे हैं फिर भी सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है।