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बिहार के डिप्टी सीएम के दावों की पोल खोल रहे हैं तमिलनाडू से अपनी जान बचाकर आए 50 मजदूर, चेहरे पर दिखा खौफ

बिहार के डिप्टी सीएम के दावों की पोल खोल रहे हैं तमिलनाडू से अपनी जान बचाकर आए 50 मजदूर, चेहरे पर दिखा खौफ

PATNA/JAMUI : जिस होली के त्योहार पर वह खुशियों के साथ अपने परिवार के साथ होली मनाने के लिए वह अपने घर लौटते थे। इस बार होली के त्योहार पर वह खुशी गायब है। खुशी की जगह अब खौफ ने ले ली है। बात उन मजदूरों की हो रही है, जो काम करने के लिए तमिलनाडू गए और अब वहां जिस तरह के उन पर स्थानीय लोगों के द्वारा हमला किया जा रहा है, उसके बाद किसी तरह अपनी जान बचाकर वापस लौटने में कामयाब हुए हैं, लेकिन तमिलनाडू में बिहारियों के साथ जो हो रहा है, उसका खौफ उनमें जरुर नजर आ रहा है।

50 से अधिक मजदूर झाझा पहुंचे

बिहारियों से साथ हो रही हिंसा के बाद बीते शुक्रवार को तमिलनाडु से आने वाली ट्रेन एर्नाकुलम एक्सप्रेस से गुरुवार की शाम 50 से अधिक की संख्या में मजदूर झाझा स्टेशन पर उतरे। कंधे पर बैग, चेहरे पर थकान की लकीरें लिए सभी युवक ट्रेन से उतरते ही उबल पड़े। कहा-हम पर हमला हुआ है और लगातार हो रहा है। हमें वहां से भगाया जा रहा है।

त्योहार में लौटे खाली हाथ

तमिलनाडु में काम करने वाले अमूमन दुर्गापूजा व छठ पर्व पर घर आते थे। इस बार परिस्थितिवश उन्हें घर लौटना पड़ा। अधिकांश बिहारी मजदूर बिना पगार (वेतन) लिए लौट आए हैं। बसकुट्‌टी के रहने वाले बीरेन्द्र कुमार ने बताया कि वह त्रिपुर के पातीउर इलाके के लोहे की कम्पनी में काम करता है। इस इलाके में भी हिन्दी भाषी मजदूरों पर स्थानीय लोगों ने हमला किया, जिस कारण कई मजदूर भयवश बिना वेतन लिए घर लौट आए हैं। उनका कहना है कि राजनेता और पुलिस कह रही है कि सब गलत है लेकिन हम पर तो बीत रही है। अपना रोजगार और पैसा छोड़कर हमें लौटना पड़ा है

बिहार के डिप्टी सीएम के बयान की खोली पोल

बीते शुक्रवार को बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने विधानसभा में यह बयान दिया कि तमिलनाडू में बिहारियों के साथ न तो कोई हिंसा हुई है और न ही कोई हत्या की गई है। तेजस्वी ने इसे भाजपा की साजिश करार देते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय से जांच कराने की बात तक कह डाली। वहीं तमिलनाडू में हुए हमले में अपने भाई पवन को खो चुके नीरज का कहना है कि घटना के बाद सिर्फ बयानबाजी हो रही है। लेकिन पीड़ित परिवार से हकीकत जानने अब तक कोई जनप्रतिनिधि या पदाधिकारी नहीं आया है।

स्थानीय और बाहरी की लड़ाई

जमुई के दीनू कुमार तांती ने कहा, भागे नहीं, भगाए गए हैं हम। पुलिस के सामने बिहारी युवकों की पिटाई की गई, लेकिन पुलिस ने उन्हें नहीं रोका। सिकन्दरा प्रखंड के बसकुट्‌टी के अजीत कुमार ने बताया कि वह तमिलनाडु के त्रिपुर के मंड्रेय इलाके में 8 साल से लोहे की कंपनी में काम कर रहा है।

उसे प्रतिदिन 650 रुपये की दर से मजदूरी मिलती थी। मेहनत के कारण कंपनी के मालिक बिहारी मजदूरों को रखना पसंद करते हैं जो स्थानीय लोगों को नागवार लगता है।

आज तमिलनाडू जाएगी टीम

तमिलनाडु जाने वाली टीम में 4 अफसर होंगे। इसकी अगुवाई ग्रामीण विकास विभाग के सचिव बाला मुरूगन डी. करेंगे। मुख्यमंत्री की समीक्षा बैठक में तय हुआ कि बड़े अफसरों की यह 4 सदस्यीय टीम तमिलनाडु के उस प्रभावित क्षेत्र का दौरा करेगी, जहां से ऐसी खबरें मिली हैं। टीम प्रभावित इलाकों में रह रहे बिहार के लोगों एवं स्थानीय प्रशासन से बातचीत करेगी।

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