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विधान परिषद चुनाव के लिए भाजपा को भी रास नहीं आया राजद का निर्णय, लालू-तेजस्वी से पूछा-क्यों कर रहे महागठबंधन के दलों को दरकिनार

विधान परिषद चुनाव के लिए भाजपा को भी रास नहीं आया राजद का निर्णय, लालू-तेजस्वी से पूछा-क्यों कर रहे महागठबंधन के दलों को दरकिनार

पटना. विधान परिषद की रिक्त हो रही 7 सीटों पर होने वाले चुनाव में राजद की ओर से तीन प्रत्याशी उतारने पर भाजपा ने तंज सका है. नीतीश सरकार में मंत्री सम्राट चौधरी ने राष्ट्रीय जनता दल पर जोरदार हमला बोलते हुए सवाल किया कि जब राजद के पास दो उम्मीदवारों को ही विधान परिषद में भेजने लायक संख्या है तब उन्होंने तीसरा उम्मीदवार कैसे उतारा. राजद को तीसरे उम्मीदवार को जिताने के लिए वाम दल या कांग्रेस का समर्थन चाहिए लेकिन दोनों ही दल इसके लिए तैयार नही दिख रहे हैं. 

उन्होंने इसे महागठबंधन के दलों में बढती दूरी की और संकेत बताते हुए कहा कि राजद को बताना चाहिए कि उन्हें किस दल से समर्थन मिल रहा है. पहले समर्थन बताना चाहिए किसने दिया उसके बाद उम्मीदवार उतारना चाहिए. लेकिन राजद ने इसके उलटा किया है. पहले उम्मीदवार उतार दिया. वहीं वाम दल और कांग्रेस समर्थन के लिए तैयार नहीं दिख रहे हैं. 


दरअसल 20 जुलाई को विधान परिषद की 7 सीटें खाली हो रही हैं. अगले महीने इसके लिए चुनाव होना तय किया गया है. 1 सीट जीतने के लिए 31 विधायकों का वोट चाहिए. ऐसे में दो सीटों पर राजद की जीत पक्की है, लेकिन अपने तीसरे उम्मीदवार के लिए उन्हें माले की तरफ ही देखना होगा. ऐसे में राजद अपने फैसले पर बनी रहती है तो संभव है भाकपा-माले राजद के विरोध में चला जाए. अगर ऐसा होता है राजद को नुकसान हो सकता है. बता दें कि अभी भाकपा-माले के पास 15 विधायक हैं.

राजद के निर्णय पर कांग्रेस विधायक दल के नेता अजित शर्मा  ऐतराज जताते हुए कहा कि राजद ने किसी भी सहयोगी दल से बात किए बिना ही उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. राजद को बैठकर बातचीत करनी चाहिए थी। विधायकों की संख्या बल के अनुसार राजद के पास तीन उम्मीदवारों के लिए वोट नहीं है. वहीं, भाकपा माले ने पत्र लिखकर राष्ट्रीय जनता दल के फैसले का विरोध किया है. राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को लिखे पत्र में भाकपा माले द्वारा यह कहा गया है कि यह स्वीकार करने लायक फैसला नहीं है. राजद को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा है.


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