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बोचहां में BJP की डगमगा रही नैया! ये पांच बड़ी वजह जिसमें फंस गई है भाजपा, इन बड़ी जाति के वोटरों की गोलबंदी से 'भगवा' नेतृत्व सकते में

बोचहां में BJP की डगमगा रही नैया! ये पांच बड़ी वजह जिसमें फंस गई है भाजपा, इन बड़ी जाति के वोटरों की गोलबंदी से 'भगवा' नेतृत्व सकते में

PATNA:  बिहार विधानसभा की बोचहां सीट पर उप चुनाव हो रहे हैं। 12 अप्रैल को वोटिंग है।मतदान से पहले सभी राजनीतिक दल के नेताओं ने उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने को लेकर पूरी ताकत लगा दी है। इस बार बोचहां सीट बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा की सीट बन गई है। ऐसा इसलिए क्यों कि भाजपा नेतृत्व ने यह सीट सहयोगी रहे मुकेश सहनी से छीन ली है, और अपना उम्मीदवार उतारा है। वैसे भाजपा कैंडिडेट के लिए राह आसान नहीं दिख रहा। चुनाव में 100 घंटे से भी कम का समय रह गया है। इसके बाद भी भाजाप प्रत्याशी के खिलाफ जो गुस्सा है वो कमा नहीं है। पांच ऐसे कारण हैं जिस वजह से भाजपा प्रत्याशी की नैया बोचहां के रण में डगमगा रही है। 

बहुत कठिन है डगर पनघट की

बिहार विधानसभा 2020 के चुनाव में बोचहां सीट बीजेपी ने सहयोगी दल वीआईपी के लिए छोड़ी थी। वहां से मुकेश सहनी ने मुसाफिर पासवान को उम्मीदवार बनाया था। वीआईपी कैंडिडेट बीजेपी-जेडीय़ू के सहयोग से चुनाव जीतकर विधायक बन गये। लेकिन 2021 में ही उनका निधन हो गया। इसके बाद अब वहां उप चुनाव हो रहे हैं। इस बार बीजेपी ने मुकेश सहनी को एनडीए से बाहर निकाल दिया है। बोचहां सीट वीआईपी से छीन कर भाजपा ने बेबी कुमारी जो 2015 में निर्दलीय चुनाव जीती थीं उन्हें उम्मीदवार बनाया है। वहीं, 2020 के विस चुनाव में जीते मुसाफिर पासवान के बेटे अमर पासवान को राजद ने मैदान में उतारा है। जबकि एनडीए से बाहर किये गये मुकेश सहनी ने रमई राम की बेटी गीता देवी को उम्मीदवार बनाया है। बोचहां में लड़ाई त्रिकोणात्मक बताई जाती है। तीनों कैंडिडेट जीत के दावे कर रहे। 

पांच वजह से भाजपा की नैया मंझधार में फंसी

जानकार बताते हैं कि बोचहां की लड़ाई इस बार काफी दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गई है। भाजपा भले ही पूर्व विधायक बेबी कुमारी को उम्मीदवार दिया हो लेकिन वहां के मतदाताओं में कैंडिडेट को लेकर भारी नाराजगी है। कैंडिडेट की नाराजगी का खामियाजा भाजपा नेताओं को भी भुगतना पड़ रहा है।दूसरी तरफ बिहार बीजेपी नेतृत्व की नीति से भी दल के परंपरागत वोटर काफी नाराज बताये जाते हैं। बाकी का कसर मुकेश सहनी के एनडीए से बाहर निकाले जाने व चिराग पासवान का इश्यू कर दे रहा। बोचहां चुनाव प्रचार को नजदीक से देखने और वहां के मतदाताओं के मूड को भांपने के बाद ऐसा लग रहा कि पांच ऐसी वजह से जिस कारण भाजपा की नैया मंझधार में फंसती दिख रही. 

1- बीजेपी प्रत्याशी के पति के व्यवहार से वोटरों में भारी नाराजगी

2- सहनी समाज के वोटरों का गुस्सा

3-बीजेपी के परंपरागत भूमिहार वोटरों की भारी नाराजगी

4-चिराग पासवान का राजद कैंडिडेट को इंटरनल सपोर्ट

5-सहानुभूति वोट राजद कैंडिडेट के पक्ष में 

बीजेपी प्रत्याशी के विरोध में जो पहली वजह है वो बेबी कुमारी के पति का व्यवहार। कहा जाता है कि 2015-20 वाले कार्यकाल में विधायक रहीं बेबी कुमारी के प्रति लोगों में भारी नाराजगी हो गई थी। इनके पति से व्यवहार और लोगों को गलत केस में फंसाने की वजह से स्थानीय लोगों में जो नाराजगी थी वो अब भी बरकरार है। भाजपा प्रत्याशी के विपक्ष में जो दूसरी बात जा रही वो यह कि क्षेत्र के सहनी वोटरों में भारी नाराजगी है। मुकेश सहनी को मंत्री पद से हटाये जाने के बाद उनके समाज के वोटर भाजपा से खासे नाराज बताये जाते हैं। इस चुनाव में इस समाज के वोटर बदला लेने की फिराक में हैं। हालांकि बीजेपी ने सहनी वोटरों की नाराजगी कम करने के लिए मुजफ्फरपुर के सांसद अजय निषाद व अर्जुन सहनी को मैदान में झोंक रखा है। लेकिन विधान पार्षद अर्जुन सहनी को बोचहां के एक गांव में वोटरों के विरोध का सामना करना पड़ा है।

बीजेपी से दूर तो राजद के नजदीक जा रहे भूमिहार वोटर 

बीजेपी के परंपरागत भूमिहार समाज के वोटर खासे नाराज हैं। बीजेपी नेतृत्व की तरफ से लगातार की जा रही उपेक्षा से इस समाज के वोटर गुस्से में हैं। बताया जाता है कि बोचहां से भूमिहार वोटर निर्णायक भूमिका में हैं। हालांकि भूमिहार वोटरों की नाराजगी कम करने में कई बड़े नेता लगे हुए हैं। भूमिहार समाज से आने वाले कई विधायक गांव-गांव घूम रहे। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह भी भूमिहार वोटरों की नाराजगी कम करने में जुटे हैं। जानकार बताते हैं कि भाजपा इस समाज के वोटरों को मनाने की कोशिश तो कर रही लेकिन इस बार इस वर्ग के वोटरों का झुकाव राजद के पक्ष में बढ़ा है। विप चुनाव में राजद द्वारा भूमिहार समाज के पांच लोगों को टिकट देने के बाद तेजस्वी यादव के प्रति हमदर्दी बढ़ी है। इस बार राजद में सबसे अधिक तीन कैंडिडेट भूमिहार समाज से जीत कर आये हैं। वहीं, भाजपा ने जिस तरह से सारण में भूमिहार समाज के सीटिंग कैंडिडेट का टिकट काट दिया उससे भी भाजपा के कोर वोटरों में नाराजगी है। भूमिहार वोटर अब यह मानने लगे हैं कि अब भाजपा को हमारे वोट की जरूरत नहीं। लिहाजा राजद की तरफ झुकाव बढ़ रहा है। तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को एक बार फिर से कहा कि जो समाज हमसे नाराज था वो अब साथ है। हम सबको साथ लेकर चलेंगे।

अधिक वोट वाली पांच जाति के वोटर भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ 

इस बार चिराग पासवान भी इंटरनल तेजस्वी यादव के कैंडिडेट अमर पासवान का समर्थन कर रहे।राजद प्रत्याशी अमर पासवान को पिता मुसाफिर पासवान के निधन से सहानुभूति वोट भी मिलने की पूरी गुंजाइश है। इस तरह से बोचहां के रण में भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ मुस्लिम-यादव-सहनी-पासवान के वोटर तो खिलाफ में हैं ही। भाजपा के परंपरागत वोटर भूमिहार भी खिलाफ में हैं। ऐसे समझा जा सकता है कि जिस पांच समाज का वोट सबसे अधिक है वो कहीं न कहीं भाजपा प्रत्याशी के विपक्ष में हैं। हालांकि भाजपा की तरफ से वोटरों को पक्ष में गोलबंदी करने की कोई कसर नहीं छोड़ रही। नेताओं की फौज बोचहां के रण में उतार दिया गया है। अब देखना होगा बीजेपी की नैया मंझधार में फंसती है या किनारे लग पाती है? 

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