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सीमांचल के रास्ते सत्ता तक पहुंचने के लिए शहनावज हुसैन को विप का उम्मीदवार बना भाजपा ने खेला मुस्लिम कार्ड !

सीमांचल के रास्ते सत्ता तक पहुंचने के लिए शहनावज हुसैन को विप का उम्मीदवार बना भाजपा ने खेला मुस्लिम कार्ड !

डेस्क... बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में सीमांचल बहुत बड़ा फैक्टर बनकर सामने आए। सीमांचल वाले इलाकों में मुस्लिम बाहुल्य होने के कारण सभी राजनीतिक दलों का अपना-अपना समीकरण देखा गया, लेकिन सफलता की चर्चा जिस पार्टी की हुई, वो AIMIM थी। अब सीमांचल पर भाजपा की भी पैनी नजर है और इसलिए बिहार में भाजपा ने शाहनवाज हुसैन को विधान परिषद का उम्मीदवार बनाकर अपनी पैठ बनाने के लिए मुस्लिम कार्ड खेला है। गत बिहार विधानसभा चुनाव में ओवैसी ने अपनी पार्टी के 24 उम्मीदवार दिए थे, जिनमें पांच जीते। बाकी सीटों पर महागठबंधन को नुकसान पहुंचाया था। इस तरह ओवैसी ने उस क्षेत्र में पैठ बना ली है। 

सीमांचल के 4 जिलोें में मुस्लिम मतदाताओं के आंकड़े को देखें तो पूर्णियां में 35 प्रतिशत, कटिहार में 45 प्रतिशत, अररिया में 51 प्रतिशत तो किशनगंज में 70 प्रतिशत मतदाता मुस्लमान हैं। यकीनन 2020 के दंगल में एनडीए और महागठबंधन के बीच में सीधी टक्कर थी, लेकिन AIMIM ने इनकी जीत का जायका बिगाड़ दिया। ऐसे में जाहिर है सीमांचल में जमीनी हकीकत को समझने के लिए बिहार सबसे बड़ी पार्टी ने सबसे बड़ी रणनीति तैयार की है।

24 सीटों वाले सीमांचल में 15 से 17 सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। कुछ ऐसी भी सीटें हैं जहां मुस्लिम मतदान परिणाम को प्रभावित करते हैं। लिहाजा चुनौती तमाम दलों के सामने है।क्योंकि सत्ता का रास्ता सीमांचल होकर ही जाएगा।  अब भाजपा ने इसका लाभ लेने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। शाहनवाज हुसैन न सिर्फ सियासत के जाने-माने चेहरा हैं, बल्कि सीमांचल से ही उनका राजनीति में उदय हुआ है। किशनगंज से सीमांचल के जाने माने नेता तसलीमुद्दीन को हराकर पहली बार सांसद बने। इसके बाद भागलपुर से दो बार सांसद रहे। इनके बहाने भाजपा सीमांचल में अल्पसंख्यकों के बीच अपनी पैठ बनाने की रणनीति पर काम कर रही है। शाहनवाज हुसैन को विधान परिषद भेजने का फैसला कर पार्टी ने अल्पसंख्यक कार्ड खेला है।

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में भाजपा ने भले ही किसी मुसलमान को टिकट नहीं दिया, पर शाहनवाज को आगे कर पार्टी ने अल्पसंख्यक समुदाय को साधने की कोशिश शुरू कर दी है। भाजपा के रणनीतिकारों की मानें तो शाहनवाज सीमांचल में पार्टी की सियासत के लिए अहम साबित हो सकते हैं।  

विस चुनाव के बाद ही भाजपा में किसी अल्पसंख्यक चेहरे को आगे करने की रणनीति पर मंथन चल रहा था। पहले पार्टी ने राज्यस्तरीय नेता को ही आगे लाने की योजना बनाई पर कोई ऐसा चेहरा नहीं दिखा जो ओवैसी फैक्टर को मात देने के साथ ही भाजपा के लिए असरदार साबित हो। तब रणनीतिकारों ने राष्ट्रीयस्तर पर बेबाकी से हर मंच पर भाजपा का मजबूती से पक्ष रखने वाले शाहनवाज को विधान परिषद में भेजकर अल्पसंख्यक कार्ड खेला।

सुपौल में 12 दिसम्बर 1968 को जन्मे शाहनवाज ने दिल्ली आईआईटी से इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है। वह हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू व अरबी जानते हैं। भारतीय जनता युवा मोर्चा में राष्ट्रीय सचिव रहते युवा नेता की पहचान बनाई। पहली बार किशनगंज से वर्ष 1999 में मो. तसलीमुद्दीन को हराकर 13वीं लोकसभा के सदस्य बने। वहीं, सुशील कुमार मोदी के इस्तीफे के बाद खाली हुई भागलपुर सीट से 2006 में उपचुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे। इसके बाद वर्ष 2009 के चुनाव में भी भागलपुर से लोकसभा सांसद बने।

सांसद रहने के दौरान वे सबसे पहले 14 अक्टूबर, 1999 को केंद्रीय खाद्य आपूर्ति राज्यमंत्री बने। एक मई 2001 को केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री बने। सबसे कम उम्र में कैबिनेट मंत्री बनने रिकॉर्ड बनाने वाले शाहनवाज देश के कपड़ा मंत्री भी रह चुके हैं।   








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