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ब्रिटिश कालीन रेल इंजन कारखाना जमालपुर और गया कॉलेज ने मनाया स्थपना दिवस, कई कार्यक्रमों का हुआ आयोजन

ब्रिटिश कालीन रेल इंजन कारखाना जमालपुर और गया कॉलेज ने मनाया स्थपना दिवस, कई कार्यक्रमों का हुआ आयोजन

MUNGER : ब्रिटिश काल के ज़माने का रेल इंजन कारखाना जमालपुर ने आज 163 वां स्थापना दिवस मनाया। इस मौके पर जमालपुर मुख्य कारखाना प्रबंधक ने कहा कि इस कारखाना के कर्मचारियों ने अपने कुशल कारीगरी से देश को बहुत कुछ देने का काम किया है। इस रेल कारखाना के कर्मचारियों को रेलवे की और से जो भी काम दिया गया। उसे चाइलेन्जिग के रूप में लेकर ससमय पूरा करने का काम किया है। 

उन्होंने कहा की उम्मीद है कि जमालपुर रेल कारखाना भविष्य में और ऊँचाईयों को छुएगा। इस कारखाना ने स्थापना काल से कई उतार चढाव भी देखे है। स्टीम इंजन के मरम्मती से लेकर निर्माण कार्य तक का कार्य करने का काम किया है। उसके बाद अलग अलग रूपों में चेज होते हुए डीज़ल लोको, वेगन, poh, जमालपुर जेक का निर्माण किया। साथ ही 140 टन क्रेन का निर्माण करने का काम कर भारतीय रेल के विकास में अहम भूमिका निभाई है। 

उधर गया कॉलेज गया के 81 वें स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर महाविद्यालय स्थित मुंशी प्रेमचंद सभागार में समारोह का आयोजन किया गया। जिसका विधिवत शुभारंभ मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो शशि प्रताप शाही एवं अन्य मंचासिन अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। अपने स्वागत संबोधन में प्रधानाचार्य डॉ सतीश सिंह चंद्र ने कहा कि आज का दिन हम सभी शिक्षक शिक्षकेत्तर कर्मी एवं छात्र-छात्राओं के लिए महाविद्यालय के उत्तरोत्तर विकास हेतु संकल्प लेने का दिन है। अपने संबोधन में डॉ कन्हैया प्रसाद सिंह, सेवानिवृत प्राचार्य, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय एवं गया कॉलेज के संस्थापक सचिव धनेश प्रसाद के सुपुत्र ने कहा कि संस्थान सर्वोपरि है। संस्थान से हम सबों का अस्तित्व जुड़ा हुआ है। संस्थान के उत्थान से ही हम सबों का व्यक्तिगत उत्थान भी संभव है। प्रोफेसर अरविंद कुमार सिंह ,अध्यक्ष, पूर्ववर्ती छात्र एवं भूतपूर्व विभागाध्यक्ष वनस्पति विज्ञान ,गया कॉलेज ,गया ने कहा कि जब मैं यहां का विद्यार्थी था और आज के परिदृष्य में जमीन आसमान का अंतर है। पूर्ववर्ती छात्र संघ सदैव महाविद्यालय के विकास में सेवाएं देने को हेतु तत्पर हैं। अपने भाषण में कुलपति ,प्रोफेसर शशि प्रताप शाही ने कहा कि गया कॉलेज सूबे के बड़े कॉलेजो में शुमार है संसाधनों की भी यहां पर प्रचुरता है। 81 वर्षों के इस सफर में महाविद्यालय की विकास यात्रा में कई महत्वपूर्ण पड़ाव आए हैं। इस महाविद्यालय के स्थापना और विकास में जिन लोगों ने भी योगदान दिया है। मैं उनको हृदय से नमन करता हूं। धनेश बाबु , गुरू शरणदास भदानी, गोवर्धन दास डालमिया एवं गया कॉलेज के भूतपूर्व प्राचार्य प्रोफेसर शिवनाथ सिंह के योगदान की भी उन्होंने विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि धन्य थे वे महापुरुष जिन्होंने महाविद्यालय के स्थापना की परिकल्पना को साकार किया। उस समय शैक्षणिक संस्थान ज्ञान अर्जन के लिए खोले जाते थे और  आज जीविकोपार्जन के लिए खोले जा रहे हैं । गया महाविद्यालय के ग्रेड पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह अत्यंत दुखद है कि जिस महाविद्यालय को दो बार नैक से ए ग्रेड हासिल हुआ हो। उसे किन परिस्थितियों में बी ग्रेड मिला। परंतु वर्तमान प्राचार्य, शिक्षक शिक्षाकेत्तर कर्मचारी एवं छात्रों से अपील करता हूं कि वे सभी महाविद्यालय को  नैक से एक ग्रेड दिलवाने के लिए हर संभव प्रयास करें। 

कार्यक्रम का संचालन डॉ  रूनू रवि ,सहायक प्राध्यापक अंग्रेजी विभाग एवं डॉ धनंजय धीरज विभागाध्यक्ष, शिक्षा विभाग के द्वारा किया गया तथा धन्यवाद ज्ञापन महाविद्यालय के  शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ रविंद्र कुमार पाठक के द्वारा किया गया। उक्त अवसर पर एनसीसी के वैसे कैंडेट जिन्होंने दिल्ली में कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस के अवसर पर परेड में महाविद्यालय का प्रतिनिधित्व किया। उनमें  प्रियंका कुमारी प्रीति कुमारी, वैष्णवी कुमारी, ईशा कुमारी ,सुंदरम कुमार ,युवराज कुमार ,विवेक राज ,अमन कुमार और सतीश कुमार को सम्मानित किया गया। महाविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी दी गई। जिसका संचालन डॉक्टर सोनू अन्नपूर्णा के द्वारा किया गया। मौके पर कुलानुशासक  मगध विश्वविद्यालय ,बोधगया डॉ उपेंद्र कुमार , सीनेट सदस्य मगध विश्वविद्यालय ,डॉ रूपेश कुमार, उप प्राचार्य डॉ विनोद कुमार सिंह सहित भारी संख्या में शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे। सांस्कृतिक प्रस्तुति मे  मोहम्मद इश्तियाक एमबीए विभाग सौरव कुमार केमिस्ट्री विभाग ट्विंकल रक्षिता हिंदी विभाग तनु कुमारी राष्ट्रपति अवॉर्डी  विशाल राज एमबीए विभाग दिव्या भारती हिंदी विभाग सावन अभिषेक एमबीए विभाग  रिशव राज वाणिज्य विभाग ज्ञानी कुमार हिंदी विभाग की महती भूमिका रही। 

मुंगेर से इम्तियाज़ खान और गया से मनोज की रिपोर्ट 

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