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लोकसभा चुनाव के बीच कलकत्ता हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, 26 हजार शिक्षकों की चली गई नौकरी, लौटानी होगी 8 साल की सैलरी

लोकसभा चुनाव के बीच कलकत्ता हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, 26 हजार शिक्षकों की चली गई नौकरी, लौटानी होगी 8 साल की सैलरी

PATNA: लोकसभा चुनाव के बीच कलकत्ता हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है। वहीं हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद करीब 26 हजार शिक्षकों की नौकरियों मुश्किल में घिर गई है। हाईकोर्ट ने बीते दिन सुनवाई के दौरान सभी नियुक्तियों को रद्द करते हुए उसे अवैध घोषित कर दिया है। वहीं पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने हाईकोर्ट के इस फैसले को चुनौती देने को कहा है। जबकि जस्टिस देवांग्सू बसाक और जस्टिस एमडी शब्बर रशीदी की पीठ ने यह भी कहा है कि इस परीक्षा के तहत चुने गए सभी शिक्षक बीते 8 साल में मिली सैलरी को वापस लौटाएं।

दरअसल, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा संचालित और उससे सहायता प्राप्त विद्यालयों में राज्य स्तरीय चयन परीक्षा-2016 (एसएलएसटी) की भर्ती प्रक्रिया के जरिए हुई सभी नियुक्तियों को रद्द करने का सोमवार को आदेश देते हुए इसे अमान्य एवं अवैध करार दिया। इन विद्यालयों में 24 हजार 640 रिक्त पदों के लिए 23 लाख से अधिक अभ्यर्थी 2016 की एसएलएसटी परीक्षा में शामिल हुए थे। 25 हजार 753 लोगों को नौकरी दी गई थी, जिन्हें तुरंत हटाने का आदेश दिया गया है।

न्यायमूर्ति देबांग्शु बसाक और न्यायमूर्ति मोहम्मद शब्बर राशिदी की खंडपीठ ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को (रद्द की गई) नियुक्ति प्रक्रिया के संबंध में और जांच करने तथा तीन महीनों में एक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया। वहीं ममता बनर्जी कहा हाईकोर्ट के फैसले को अवैध करार देते हुए कहा कि हम उन लोगों के साथ खड़े हैं, जिनकी नौकरियां चली गईं हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी जाएगी।

वहीं आयोग के अध्यक्ष सिद्धार्थ मजूमदार ने कहा है कि हम फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। बंगाल सरकार ने 2014 में 9वीं से 12वीं के सरकारी स्कूलों में टीचर्स और गैरशिक्षक पदों पर भर्ती निकाली थी। शिक्षकों के 24,640 पदों के लिए 23 लाख लोगों ने परीक्षा दी और 25,753 लोगों को नियुक्ति दी गई। इसके खिलाफ 350 याचिकाएं लगीं। 

आरोप लगा कि 5 से 15 लाख रु. लेकर नौकरी दी गई। ओएमआर शीट खाली छोड़ने वाले भी चुन लिए। कोर्ट ने कहा है कि 24,640 के अलावा जो भर्ती हुई, उनसे 12% सालाना ब्याज भी वसूला जाए। जस्टिस रंजीत बाग समिति और सीबीआई ईडी की जांच में पता चला कि अफसरों ने उम्मीदवारों के नंबर बढ़ाने के लिए आरटीआई को हथियार बनाया। चुनिंदा उम्मीदवारों से उनकी ओएमआर शीट आरटीआई के तहत निकलवाई।

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